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OPINION: क्या उत्तराखंड के बाद पूरे देश में लागू होगा UCC! लोकसभा चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता पर थाह ले रही BJP?

UCC And CCC Difference: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में रविवार को हुई कैबिनेट बैठक में समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट को मंजूरी दी गई. विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान इसे चर्चा के लिए पेश किया जाएगा. फिर इसके पास होते ही उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा.

OPINION: क्या उत्तराखंड के बाद पूरे देश में लागू होगा UCC! लोकसभा चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता पर थाह ले रही BJP?
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Keshav Kumar|Updated: Feb 04, 2024, 11:42 PM IST

Uttarakhand Civil Code News: उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में सोमवार (5 जनवरी) को समान नागरिक संहिता ड्राफ्ट को पेश किया जाएगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) की अध्यक्षता में रविवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस ड्राफ्ट को पेश करने की मंजूरी दे दी गई. कैबिनेट बैठक के बाद बताया गया कि ड्राफ्ट को विधानसभा में पेश किया जाएगा और चर्चा के बाद पास कर इसे कानून का रूप दिया जाएगा. 

सभी नागरिकों को समान अधिकार, लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा

उत्तराखंड कैबिनेट से मंजूर ड्राफ्ट के मुताबिक, इस कानून से सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करेगा और लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देगा. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जनसंघ-भाजपा समेत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचार परिवार के संगठनों की लंबे समय से जारी समान नागरिक संहिता की मांग पूरी होने होने की दिशा में उत्तराखंड में मील का पहला पत्थर लग जाएगा. 

समान नागरिक संहिता लागू करने के मामले में देश में पहला राज्य बन जाएगा उत्तराखंड 

समान नागरिक संहिता लागू करने के मामले में उत्तराखंड देश में पहला राज्य बन जाएगा. इसके बाद की प्रतिक्रियाओं को देख, सुन, समझ और उसका सामना कर भाजपा आने वाले दिनों में अपने शासन वाले दूसरे राज्यों और फिर केंद्र में इस दिशा में अपना कदम बढ़ा सकती है. इस कानून की आहट के साथ एक बार यूनिफॉर्म सिविल कोड और कॉमन सिविल कोड कहे जाने के अंतर को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है. शाब्दिक तौर पर देखें तो यहां कॉमन का मतलब है कि जो सबके लिए समान हो. वहीं यूनिफॉर्म का मतलब है कि जो एक जैसे लोग हैं उनके लिए एक समान कानून हो. 

यूनिफॉर्म और कॉमन तो समझे, सिविल और कोड का मतलब क्या है

सिविल कोड में शामिल शब्द सिविल को समझने के लिए पहले भारतीय कानून के बारे में जानते हैं. कानून में दो तरह के अधिकार हैं. पहले अधिकार में कोई लोन पर्सनल मामला है. ये मामला सिविल लॉ से डील करता है. इसके एवज में मुआवजा या सजा या जुर्माना होने पर यह क्रिमिनल लॉ में आता है. देश में ज्यादातर सिविल मामलों में एक ही कानून है. इसमें पार्टनरशिप एक्ट, ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, कंपनी बनाने को लेकर एक ही कानून है. सिर्फ शादी, तलाक और जायदाद जैसे मामलों में पर्सनल लॉ लगता है. इसी को सिविल कहा जाता है. 

कोड का मतलब इसके तहत सिर्फ एक ही कानून नहीं होता. कोड में भी कई लॉ हो सकते हैं. इंडियन पीनल कोड (IPC) देश का एक जनरल लॉ है. इसमें डकैती, हत्या और बाकी तमाम अपराध आते हैं. इसके अलावा हमारे देश में कम से कम तीन से चार हजार कानून होंगे, जो क्रिमिनल लॉ से डील किए जाते हैं. UAPA भी क्रिमिनल लॉ है, लेकिन ये आईपीसी में नहीं है. हालांकि, अब आईपीसी का नाम भी बदल रहा है. 

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले समान नागरिक संहिता पर चर्चा से भाजपा को कितना फायदा

इसके बाद आ यह भी जानने की कोशिश करते हैं कि क्या भाजपा देश में अपने तीसरे सबसे बड़े चुनावी कमिटमेंट को उत्तराखंड से लागू करने की शुरुआत कर रही है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले देश और दुनिया में इस पर चर्चा से भाजपा को क्या, कैसे और कितना फायदा होगा?

हिन्दू-मुस्लिम या बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक जैसे वाद-विवाद से जुड़ा नहीं है कानून, फिर भी...
 
आमतौर पर समान नागरिक संहिता या कानून के पांच मुख्य अवयव हैं. इसमें  1. विवाह (Marriage), 2. तलाक (Divorce), 3. गुजारा-भत्ता (Maintenance), 4. उत्तराधिकार (Inheritance) और, 5. दत्तक ग्रहण या गोद लेना (Adoption) वगैरह  के मुद्दे शामिल हैं. हालांकि, यह कानून हिन्दू-मुस्लिम या बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक जैसे वाद-विवाद से जुड़ा हुआ नहीं है, फिर भी लोग बाग इस लिहाज से ही चर्चा की शुरुआत करते हैं.  
 
भले ही, यह चर्चा गलत दिशा में बढ़ जाए, मगर राजनीतिक तौर पर चुनाव से पहले इसके आने और विपक्ष के विरोध से यह मुद्दा बढ़ने वाला है. उत्तराखंड में कॉमन सिविल कानून को हमेशा से अपने मैनिफेस्टो में शामिल तीसरा सबसे बड़ा कमिटमेंट पूरा करने की शुरुआत बताकर भाजपा जनता को आकर्षित कर सकती है.

प्रगतिशील कानून और सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम क्यों कहा जा रहा 

उत्तराखंड कैबिनेट बैठक के बाद इसे स्पष्ट ड्राफ्ट बताते हुए प्रस्तावित कानून को प्रगतिशील कहा गया है. दावा किया गया है कि देश की आजादी के बाद  75 साल में अधिकारों से महिलाओं और बच्चों को वंचित रखा गया है, उनके लिए अधिकारों को सुनिश्चित करना इस कानून का मकसद है. वहीं, प्रस्तावित कानून किसी का भी अधिकार छीनने का नहीं, बल्कि वंचित लोगों को उनका कानूनी अधिकार देने से जुड़ा हुआ है. इसके साथ समान नागरिक संहिता को सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होने की बात कही जा रही है.  लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा की रणनीति खासकर महिला, किसान, गरीब और युवा वर्ग पर फोकस है. इसमें महिला वोट बैंक को इस कानून से प्रभावित किया जा सकता है.

 

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