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PM Modi Meet Meera Manjhi: वीर और नैतिक के लिए स्कूल बैग, लाभार्थी के घर में चाय, राहुल गांधी-रामेश्वर मुलाकात से कहीं अलग है पीएम मोदी की नीति

Ayodhya Meera Manjhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या कोई विपक्षी नेता जब देश के आम लोगों से मिलते हैं तो उस मुलाकात के मायने क्या होते हैं? दोनों की पॉलिसी में क्या फर्क होता है, आइए ये बात समझ लेते हैं.

PM Modi Meet Meera Manjhi: वीर और नैतिक के लिए स्कूल बैग, लाभार्थी के घर में चाय, राहुल गांधी-रामेश्वर मुलाकात से कहीं अलग है पीएम मोदी की नीति
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Vinay Trivedi|Updated: Jan 05, 2024, 10:35 AM IST

PM Modi Meera Manjhi Meeting: राजनीति में मुलाकातें अहम होती हैं. कई बार नेता अपने वोटर्स से मिलते हैं तो कभी विरोधी दल के नेताओं से भी मुलाकात होती है. जिसमें राजनीति से इतर भी कुछ बातें होती हैं. नेताओं की मुलाकात में उनका अपना-अपना तरीका और सलीका भी दिखता है. अभी हाल ही में एक ऐसी ही मुलाकात अयोध्या में हुई थी. पीएम मोदी अयोध्या में मीरा मांझी (Narendra Modi Meet Meera Manjhi) के घर पहुंचे थे. उनके परिवार से मुलाकात की थी. इतना ही नहीं पीएम मोदी ने मीरा मांझी के घर चाय भी पी थी. कमाल की बात है कि ऐसा नहीं है कि पीएम मोदी सिर्फ पहुंचे थे, वहां से लौटने के बाद नए साल पर प्रधानमंत्री ने मीरा मांझी के घर तोहफे भी भेजे. मीरा के बच्चों वीर और नैतिक के लिए स्कूल बैग और तमाम गिफ्ट भेजे. राहुल गांधी भी ऐसी ही मुलाकात करते हैं. वो पिछले साल अगस्त में रामेश्वर से मिले थे. उन्हें अपने घर बुलाकर राहुल गांधी ने साथ में लंच किया था. आइए समझते हैं कि राहुल गांधी और रामेश्वर की मुलाकात (Rahul Gandhi Rameshwar Meet) से पीएम मोदी की नीति कितनी अलग है. दोनों में फर्क क्या है.

जब अचानक मीरा मांझी के घर पहुंचे PM मोदी

बता दें कि पीएम मोदी अयोध्या में जिस मीरा मांझी के घर पहुंचे थे, वो मीरा मांझी केंद्र सरकार की उज्जवला योजना की लाभार्थी हैं. मीरा मांझी इस योजना का फायदा लेने वाली 10 करोड़वें नंबर की लाभार्थी हैं. कहते हैं कि इसी आधार पर मीरा मांझी का चयन हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी उनके घर पहुंचेंगे. मोदी जब मीरा मांझी के घर पहुंचे तो मीरा तो मीरा, उनके परिवार से लेकर पूरा मोहल्ला सरप्राइज हो गया. पीएम मोदी ने मीरा के घर में थोड़ी देर तक रुके और इस दौरान सभी घर वालों से बात की. बच्चों को दुलार किया. इसके अलावा मीरा से जानकारी ली कि किस-किस योजना का उन्हें लाभ मिल रहा है. कोई परेशानी तो नहीं है. जबकि राहुल गांधी से रामेश्वर की मुलाकात अलग थी.

रामेश्वर से क्यों मिले थे राहुल गांधी?

जान लें कि 6 महीने पहले राहुल गांधी और रामेश्वर की मुलाकात हुई थी. रामेश्वर दिल्ली की आजादपुर मंडी में काम करते हैं. रामेश्वर ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में राहुल गांधी से मिलने की इच्छा जताई थी. जिसके बाद राहुल गांधी ने उन्हें अपने घर बुलाया था और साथ में बैठकर लंच किया था. राहुल गांधी ने अपने हाथ से खाना परोसकर रामेश्वर और उनकी पत्नी को खिलाया था. राहुल गांधी ने इस दौरान रामेश्वर से महंगाई से होने वाली परेशानियों के बारे में पूछा था. यूपी के कासगंज के रहने वाले रामेश्वर पिछले 10-12 साल से दिल्ली में रह रहे हैं. रामेश्वर ने सोचा था कि दिल्ली आकर जिंदगी आसान हो जाएगी लेकिन यह तो और ज्यादा मुश्किल हो गई. रामेश्वर ने राहुल गांधी को बताया था कि दो वक्त रोटी का इंतजाम करने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं, तब जाकर खाना नसीब होता है.

राहुल से अलग है PM मोदी की नीति

अब अगर पीएम मोदी और राहुल समेत विपक्ष के बाकी नेताओं की आम लोगों से मुलाकात में फर्क के बारे में बात करें तो पता चलता है कि दोंनों सकारात्मता और नकारात्मकता का फर्क है. पीएम मोदी हमेशा फ्रंट में रहकर चुनाव लड़ते हैं. चाहे वो लोकसभा का चुनाव हो या हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का. पीएम मोदी जब भी किसी से मिलते हैं तो वह अपनी योजनाओं को प्रमोट करते हैं. मिलने वाले से अपनी सरकार की योजना के बारे में बात करते हैं. उससे पूछते हैं कि योजना का लाभ पाने में कोई घूस तो नहीं देनी पड़ी. इस योजना से आपका जीवन कैसे बेहतर हुआ? मोदी जब किसी लाभार्थी से मिलते हैं तो देश के बाकी गरीब-वंचित लोग भी उससे कनेक्ट करते हैं. उन्हें लगता है कि उस लाभार्थी की तरह योजना का लाभ लेकर हम भी अपना जीवन बेहतर कर सकते हैं. आपने भी ध्यान दिया होगा कि कई बार पीएम मोदी खुद नहीं पहुंच पाते तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सीधे लाभार्थियों से बात करते हैं. इसके अलावा पीएम मोदी ये भी कह चुके हैं कि उनके लिए सिर्फ चार ही जातियां सबसे बड़ी हैं. जिनमें गरीब, युवा, किसान और महिलाएं हैं. पीएम मोदी का इन पर खास फोकस रहता है.

विपक्षी नेताओं की मुलाकात में निगेटिविटी क्यों?

लेकिन जब विपक्ष के नेता किसी से मिलते हैं तो विरोधी होने के नाते वो मोदी सरकार के खिलाफ ही बातें करते हैं. उसमें नकारात्मकता की बू आती है. हालांकि, विपक्ष की ये मजबूरी भी है कि वे ऐसे हथकंडे अपनाए जिससे जनता के बीच मौजूदा सरकार को लेकर एंटी इनकंबेंसी बढ़े. राहुल गांधी और रामेश्वर की मुलाकात में अधिकतर बातें निगेटिव थीं. फोकस ज्यादातर इसी पर था कि जीवन और कितना कठिन होता जा रहा है. परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. बल्कि पीएम मोदी और लाभार्थियों की मुलाकात में सकारात्मकता दिखाई देती है.

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