Gaganyaan mission latest update: भारत स्पेस सुपरपावर बन रहा है. ग्लोबल इकॉनोमी के Top 5 में शुमार भारत, अंतरिक्ष में अमेरिका, रूस, चीन को टक्कर दे रहा है. Chandrayaan-3 और Aditya L-1 की कामयाबी के बाद ISRO के गगनयान मिशन (gaganyaan mission) के एक सीक्रेट का खुलासा पीएम मोदी (PM Modi) ने किया. पीएम ने उन अंतरिक्ष यात्रियों का परिचय दुनिया से कराया जो 'गगनयान' मिशन के तहत अंतरिक्ष की उड़ान भरेंगे. चारों एस्ट्रोनॉट्स (Astronauts) अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट हैं. जिनके सेलेक्शन की कहानी दिलचस्प है.
अंतरिक्षयात्रियों का अब तक का सफर
मिशन गगनयान (mission gaganyaan) के चार शॉर्टिलिस्टेड एस्ट्रोनॉट्स हैं- ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन, ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला. इनकी भारत में गहराई से पड़ताल हुई. चारों इंडियन एयरफोर्स का हिस्सा हैं और टेस्ट पायलट हैं. इनका चयन एक लंबी चौड़ी चयन प्रक्रिया के बाद हुआ है. आगे चारों को रूस के मॉस्को के गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में 13 महीने की कड़ी ट्रेनिंग मिली. भारत में थ्योरिटिकल और फिजिकल ट्रेनिंग के कई लेवल को पूरा करने के बाद, चारों अब अमेरिका जा रहे हैं.
अमेरिका जाने की वजह है खास
चारों अंतरिक्षयात्री प्रशिक्षण अमेरिका जाने के लिए रेडी हैं. इससे पहले, ISRO के अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ ने ज़ी न्यूज़ से बातचीत में पुष्टि की थी कि मिशन गगनयान का अगला चरण जल्द शुरू होने वाला है. भारतीय अंतरिक्षयात्री अब नेक्स्ट लेवल की ट्रेनिंग के लिए अमेरिका रवाना होंगे. इनका प्रशिक्षण जल्द ही नासा (NASA) के जॉनसन स्पेस सेंटर, टेक्सास में होगा.
गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने का भारत का अपना प्रयास है. इससे पहले स्पेस की रेस में केवल रूस और अमेरिका शीत युद्ध के दौरान से ही ह्यूमन स्पेस मिशन के अगुवा रहे हैं. बाद में संयुक्त प्रयासों के तहत यूरोप के एस्ट्रोनट्स भी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे.
बर्फ, रेगिस्तान और पानी में रहने की ट्रेनिंग
रूस में चारों अंतरिक्ष यात्रियों की सर्वाइवल ट्रेनिंग भी हुई है. मॉस्को के पास स्टार सिटी में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को बर्फ, रेगिस्तान, पानी में जीवित रहने का प्रशिक्षण दिया गया. ताकि चालक दल किसी भी प्रतिकूल इलाके में इमरजेंसी लैंडिंग से बच सकें. मदद पहुंचने तक वो खुद को सुरक्षित रख सकें. रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में चारों की ट्रेनिंग फरवरी 2020 से मार्च 2021 तक हुई.
यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर वही जगह है, जहां 1984 में अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा की ट्रेनिंग हुई थी. इसी सेंटर में भारत के इन अंतरिक्ष यात्रियों को तैयार किया गया.
जीरो ग्रैविटी ट्रेनिंग
चारों भारतीय एस्ट्रोनट्स खास स्पेस व्हीकल्स में उड़ान भरते समय जीरो ग्रेविटी यानी भारहीनता का अनुभव कर चुके हैं. इस ट्रेनिंग से स्पेस में रहने में आसानी होती है. अंतरिक्ष यात्री मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों से परिपक्व हो जाते हैं. अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष उड़ान के दौरान अनुभव होने वाले उच्च G-फोर्स को संभालने में सक्षम होना चाहिए. धरती पर लोग 1G बल के निरंतर भार का अनुभव करते हैं. (जिसका मतलब है कि एक व्यक्ति अपने वास्तविक शरीर के वजन का अनुभव करेगा और उसे महसूस करेगा). वहीं, जो लोग तेजी से गति/गति धीमी करने वाले लड़ाकू विमानों या रॉकेटों में सफर करते हैं, उन्हें कई गुना जी फोर्स का अनुभव होता है.
स्पेस की ओर जाते समय पहला अनुभव क्या होगा?
इसरो की टीम से हुई बातचीत के मुताबिक स्पेस में चढ़ते समय भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को करीब 16 मिनट तक 4G के लोड का अनुभव प्रभावी रूप से महसूस होगा. इसका मतलब ये कि एक अंतरिक्ष यात्री जिसका वजन 70 Kg है, उसे ऐसा महसूस होगा जैसे उसका वजन 280 किलोग्राम है.
लड़ाकू विमानों यानी फाइटर जेट के पायलट ऐसे उच्च जी फोर्स को संभालने में माहिर होते हैं. ये पायलट अपने मिशन और ट्रेनिंग के दौरान करीब 9G फोर्स का सामना करने के लिए जाने जाते हैं. यही कारण है कि लड़ाकू पायलट अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण के लिए पसंदीदा उम्मीदवार हैं. हालांकि, अंतरिक्ष यात्री ले जाने वाले कैप्सूल के मध्य-उड़ान निरस्त होने की स्थिति में, गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों को कुछ सेकंड के लिए 12G भार का अनुभव होगा.
डॉ. एस. सोमनाथ ने बताया था कि नासा की ट्रेनिंग इसलिए जरूरी है क्योंकि 1984 में जब भारतीय अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा रूस के क्रू कैप्सूल पर स्पेस गए थे और तब से टेक्नालजी में भारी बदलाव आया है. खासकर अमेरिकी तकनीक स्पेस के मैन मिशन के लिए पूरी तरह बदल चुकी है. स्पेस टूरिज्म के नाम पर निजी कंपनियों द्वारा द्वारा स्पेस की टेस्ट फ्लाइट की जा रही है. भारत-अमेरिका (ISRO-NASA) डील के मुताबिक, NASA, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में होने वाले निजी प्रक्षेपण में एक सीट स्पॉंसर करेगा, हमारे अंतरिक्ष यात्री उनकी तकनीकि सहयोग और निगरानी में ट्रेनिंग लेंगे और फिर वहां से हरी झंडी मिलने के बाद चारों कों इंटरनेशल स्पेस सेंटर भेजा जाएगा.
मिशन गगनयान को जानिए
गगनयान टीम के एक हिस्से के रूप में, चारों बेंगलुरु में भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र में सिम्युलेटर ट्रेनिंग और फिजिकल ट्रेनिंग के कई चरणों से गुजर रहे हैं. जून 2023 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा दिए गए संयुक्त भाषण के दौरान भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग की दिशा में अग्रणी पहल की घोषणा की थी. इसके तहत 2024 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए एक संयुक्त मिशन लॉन्च करने की योजना थी. जिसके तहत जॉनसन स्पेस सेंटर में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को नासा की निगरानी में एडवांस ट्रेनिंग देने की डील हुई थी.