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Bhupesh Baghel Failure: एक क्विंटल के फर्क ने बदल दी धान के कटोरे की राजनीतिक तस्वीर

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में जहां प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का वादा किया था. वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार आई तो प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की एमएसपी पर सरकारी खरीद की जाएगी. 

Bhupesh Baghel Failure: एक क्विंटल के फर्क ने बदल दी धान के कटोरे की राजनीतिक तस्वीर
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Keshav Kumar|Updated: Dec 05, 2023, 04:01 PM IST

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे ने भाजपा को तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, कांग्रेस को एक राज्य तेलंगाना और जरोम पीपुल्स मूवमेंट को मिजोरम में सरकार बनाने का जनादेश दिया है. इस बीच छत्तीसगढ़ में भाजपा की करिश्माई जीत ने सबका ध्यान खींचा है. राजनीतिक जानकारों ने हैरत जताते हुए कहा है कि देश में धान के कटोरे के नाम से मशहूर राज्य छत्तीसगढ़ में एक क्विंटल के फर्क ने राजनीतिक तस्वीर बदल दी. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में जहां प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का वादा किया था. वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार आई तो प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की एमएसपी पर सरकारी खरीद की जाएगी. प्रति एकड़ एक क्विंटल अधिक धान की खरीद के वादे को भी छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत के कई कारणों में एक बताया जा रहा है.

भाजपा और कांग्रेस के मेनिफेस्टो में धान खरीदी के वादे में कितना अंतर

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा का घोषणापत्र लॉन्च करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रति एकड़ धान की सरकारी खरीद को लेकर चर्चा की थी. भाजपा के घोषणा पत्र में इसको लेकर कहा गया कि कृषक उन्नति योजना के तहत 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी होगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य 3100 रुपए में धान खरीदी होगी. किसानों को बिना लाइन में लगे एक ही किस्त में रकम का भुगतान किया जाएगा. हर पंचायत भवन में बैंकों के नगदी निकालने वाले काउंटर बनाए जाएंगे. वहीं छत्तीसगढ़ में धान खरीदी से पहले ही भंडारण और संरक्षण की व्यवस्था की जाएगी. वहीं, कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए जारी 'भरोसे का घोषणा-पत्र' में किसानों से धान की खरीदी के लिए 3,200 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य का वादा किया था. भाजपा की घोषणा के मुकाबले यह प्रति क्विंटल 100 रुपये अधिक है, लेकिन प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदी का वादा भाजपा के मुकाबले प्रति एकड़ एक क्विंटल कम था.

धान के कटोरे में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी बड़ा चुनावी मुद्दा 

धान के कटोरे छत्तीसगढ़ में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का मामला बड़ा चुनावी मुद्दा बनता है. राज्य सरकार किसान सहकारी समितियों के जरिए धान खरीदी की पूरी कवायद को अंजाम देती है. इसके लिए सरकार की उच्च स्तरीय समिति नियम बनाती है. राज्य में साढ़े 26 लाख से अधिक किसान पंजीकृत हैं. इनसे धान की खरीद के लिए इस साल करीब 2600 केंद्र बनाए गए थे. ज्यादातर केंद्रों किसानों की भीड़ लगी रहती है. छत्तीसगढ़ में धान किसानों के लिए पैसे कमाने का और राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए वोट लेने का बड़ा जरिया है. इसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल बड़े वादे करते हैं. राज्य के किसानों के लिए धान की सरकारी खरीदी कर्ज माफी से बड़ा मुद्दा माना जाता है. 

भाजपा को वोट शेयर उछला, कांग्रेस का बेहद बुरा प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे में कुल 90 सीटों में से भाजपा की झोली में 54, कांग्रेस को 35 और अन्य के खाते में एक सीट मिली है. छत्तीसगढ़ में भाजपा के पास 46.27 फीसदी और कांग्रेस को 42.23 फीसदी वोट शेयर है. विधानसभा चुनाव इससे पहले दो बार भाजपा का वोट शेयर कम होता जा रहा था. विधानसभा चुनाव 2013 में बीजेपी का वोट शेयर जहां 41 फीसदी था, वहीं 2018 में घटकर वह 32 फीसदी रह गया था. हालांकि, भाजपा साल 2000 में बने छत्तीसगढ़ राज्य में शुरुआत से ही विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से आगे रही है. छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से कांग्रेस ने यहां की कुल 11 लोकसभा सीटों में महज एक या दो सीटें ही जीती हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 90 में से 68 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी.

क्या होता है चुनावी घोषणा पत्र, क्यों होती है इतनी चर्चा

चुनावों के दौरान घोषणा पत्र एक ऐसा राजनीतिक दस्तावेज होता है जिसमें किसी राजनीतिक दल की विचारधारा, उसकी मंशा, विजन, नीतियों और कार्यक्रमों की घोषणा होती है. इसका मतलब होता है कि नतीजे के बाद सरकार में आने पर कोई दल क्या काम करने वाला है. साथ ही सरकार चलाने की उसकी दशा और दिशा क्या होगी. इसके अलावा जनता उनसे हिसाब ले पाएगी कि उन्होंने कौन सा वादा पूरा किया और कौन सा नहीं कर पाए. वहीं, सरकार भी समय-समय पर इस बारे में जानकारी पब्लिक करती रहती है कि हमने अपने इतने वादे पूरे कर दिए. चुनाव के दौरान कई दलों के बीच उनके चुनावी घोषणा पत्र के आधार पर भी चुलना की जाती है कि कौन ज्यादा ज

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