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Bihar Politics: नीतीश के आने से NDA में चिराग-उपेंद्र कुशवाहा का क्या होगा? समझ लीजिए BJP की रणनीति

BJP Plan for Bihar Politics: क्या आप जानते हैं कि नीतीश कुमार के एनडीए में आने के बाद चिराग पासवानस उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी का क्या होगा. बिहार में छोटे दलों को साधे रखना सभी दलों की अपनी मजबूरी है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बीजेपी ने भी छोटे दलों को कैसे साध लिया?

Bihar Politics: नीतीश के आने से NDA में चिराग-उपेंद्र कुशवाहा का क्या होगा? समझ लीजिए BJP की रणनीति
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Sumit Rai|Updated: Jan 29, 2024, 10:12 AM IST

BJP Strategy for Bihar: बिहार की सत्ता में करीब 17 महीने बाद बीजेपी की वापसी हुई है. नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में बीजेपी इस बार नई उम्मीदों और नई शर्तों के साथ आई है. इसीलिए सरकार बनी तो बीजेपी दफ्तर में जमकर जश्न भी मना पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह देखने को मिला. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि नीतीश कुमार के एनडीए में आने के बाद चिराग पासवानस उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी का क्या होगा. तो आपको बता दें कि बिहार में छोटे दलों को साधे रखना सभी दलों की अपनी मजबूरी है. जातीय आंकड़े और वोट बैंक के लिए हर पार्टी और हर नेता के साथ तालमेल बनाने की कवायद होती रही है. बीजेपी ने भी छोटे दलों को साध लिया है, लेकिन कैसे?

BJP ने छोटे दलों को कैसे साधा?

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा जब रविवार को पटना पहुंचे तो चिराग पासवान उनके साथ थे. इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा को भी फोन करके शपथ समारोह में बुलाया गया. यानी बीजेपी ने अपनी ओर से साफ कर दिया कि नीतीश के आने से उन दलों की अहमियत पर कोई असर नहीं पड़ेगा जो पहले से ही NDA के साथ हैं. ये सब बीजेपी को इसलिए भी करना पड़ा, क्योंकि पहले से ही ये चुनौती थी कि नीतीश कुमार आए तो गठबंधन के दूसरे साथियों का क्या होगा.

ऐसा इसलिए भी क्योंकि चिराग पासवान का नीतीश से छत्तीस का आंकड़ा रहा है. उपेंद्र कुशवाहा ने भी नीतीश से नाराज होकर ही अपनी पार्टी बनाई. इसके अलावा जीतन राम मांझी भी नीतीश को पसंद नहीं करते हैं. लेकिन, अब सवाल है कि बीजेपी ने इस चुनौती को कैसे पार पा लिया और कैसे सभी छोटे दलों को साधने में कामयाब रही?

सहयोगियों से बातकर बीजेपी ने बना ली बात

नीतीश कुमार की जब एनडीए में वापसी हुई तो ऐसी स्थिति में बीजेपी के सामने सवाल ये था कि सभी दलों को कैसे साधा जाए. इसीलिए जब नीतीश को साथ लाने की रणनीति बनी तो सबसे पहले सहयोगियों से बात की गई. कल यानी 28 जनवरी को दिल्ली में चिराग पासवान खुद अमित शाह और जेपी नड्डा से मिलने पहुंचे. इससे पहले केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय पटना में उपेंद्र कुशवाहा से मिले.

जीतन राम मांझी को साधने के लिए बिहार बीजेपी के अध्यक्ष और अब डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी उनके घर मुलाकात करने गए. बीजेपी ने बातचीत के जरिए रास्ता निकाला और सहयोगियों को साध बनाए रखने की पूरी भूमिका तैयार की. बदले हुए राजनीतिक घटनाक्रम पर चिराग पासवान ने भी अपना रुख बदल लिया और नीतीश को लेकर नरमी भी दिखाई.

छोटे दलों को साधने के लिए बीजेपी ने क्या काम किया?

बीजेपी ने चिराग पासवान को पूरा सम्मान देने का भरोसा दिया. ये बात कल ही साफ हो गई थी. चिराग को लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे में भी पूरा ख्याल रखने का भरोसा दिया गया है. वहीं, उपेंद्र कुशवाह को ये भरोसा दिया गया कि लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में उनका पूरा ध्यान रखा जाएगा और नीतीश के आने के बावजूद उनके कोटे की सीटों में कटौती नहीं होगी. जबकि, जीतन राम मांझी साथ बने रहें इसके लिए आज ही उनके एक विधायक को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई और लोकसभा चुनाव में भी सीट देने का भरोसा दिया गया है.

बीजेपी के एक और सहोयगी पशुपति कुमार पारस हैं. वो केंद्र में मंत्री हैं और हाजीपुर लोकसभा सीट छोड़ने को तैयार नहीं हैं. यानी अपने भतीजे चिराग के साथ उनका झगड़ा अभी जारी है और बीजेपी के लिए इसे सुलझाना भी चुनौती है. बिहार में एक छोटी पार्टी असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM भी है. उनके पास फिलहाल 1 विधायक है. 2020 में उनके 5 विधायक जीतकर आए थे, लेकिन 2022 में तेजस्वी यादव ने 4 विधायक अपने पाले में कर लिए. इसीलिए, जब बिहार में फिर से उथल पुथल है तो ओवैसी ने लालू प्रसाद यादव पर तीखा हमला बोला.

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