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Bengaluru Blast Case: पुलिस, CBI, CID सब हैं, फिर भी NIA को क्यों सौंपी गई बेंगलुरु धमाके की जांच?

Rameshwaram Cafe NIA Probe: गृह मंत्रालय ने NIA को जिम्मेदारी दे दी है कि वह रामेश्वरम कैफे के धमाके की जांच करे और दोषियों को सलाखों के पीछे तक पहुंचाए. आइए जानते हैं कि NIA को किसी केस की जांच कब और क्यों सौंपी जाती है.

Bengaluru Blast Case: पुलिस, CBI, CID सब हैं, फिर भी NIA को क्यों सौंपी गई बेंगलुरु धमाके की जांच?
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Vinay Trivedi|Updated: Mar 04, 2024, 10:30 AM IST

Rameshwaram Cafe NIA Investigation: बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में हुए धमाके (Rameshwaram Cafe Blast) की जांच नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई है. गृह मंत्रालय ने निर्देश दिए हैं कि NIA ही रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट की जांच करेगी. जो भी इस केस के दोषी हैं उनको पकड़ेगी और कोर्ट के सामने पेश करेगी. बता दें कि सीसीटीवी फुटेज में बेंगलुरु धमाके का आरोपी दिखा था. उसके हाथ में एक बैग था. NIA की जांच में इस शख्स का पकड़ा जाना बहुत अहम है. लेकिन अब आपके मन में ये सवाल जरूर होगा कि क्या रामेश्वर कैफे धमाके की जांच कर्नाटक की पुलिस या फिर सीबीआई क्यों नहीं कर सकती है. NIA को ही इस तरह के धमाकों की जांच क्यों सौंपी जाती है. क्या NIA दूसरी एजेंसियों से ज्यादा ताकतवर है. आइए इसकी वजह जान लेते हैं.

बेंगलुरु ब्लास्ट की जांच NIA को पास क्यों?

NIA को बेंगलुरु धमाके की जांच क्यों सौंपी गई है, ये समझने से पहले जानते हैं कि बेंगलुरु में क्या हुआ था. बता दें कि बीते 1 मार्च को दोपहर में बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में धमाका हुआ था. इस घटना में 10 लोग घायल हुए थे. इसके बाद पुलिस और FSL की टीम मौके पर पहुंची और सबूत जुटाए. जांच के दौरान सीसीटीवी खंगाले गए तो CCTV में एक आरोपी दिखा. उसके कंधे पर विस्फोटकों से भरा बैग नजर आया. फुटेज में वह कैफे की तरफ आगे बढ़ता हुआ दिखाई दिया. वह रामेश्वरम कैफे में बैग के साथ घुसा था. संदिग्ध ने कुछ ऑर्डर भी किया था. फिर वह हाथ में प्लेट ले जाता हुआ भी दिखा. इसके बाद संदिग्ध ने कैफे में ही काला बैग छोड़ दिया. और बाद में फिर धमाका हुआ.

किस तरह के मामलों की जांच NIA करता है?

अब समझ लेते हैं कि कौन से ऐसे केस हैं जिनकी जांच NIA को सौंपी जाती है. बता दें कि NIA केंद्र सरकार की वो एजेंसी है जो भारत की संप्रभुता, सिक्योरिटी और अखंडता को प्रभावित को खतरा पहुंचाने वाले अपराधों की जांच करती है. अगर कहीं ऐसा क्राइम हुआ है जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा है तो उसे मामले की जांच को NIA को सौंपा जाता है. NIA केंद्रीय काउंटर टेररिज्म लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी है. अगर कोई मामला धमाके, हथियारों, फेक करेंसी और ड्रग तस्करी से जुड़ा होता है तो उसे राज्य सरकार की सिफारिश पर केंद्रीय गृह मंत्रालय NIA को सौंपता है.

NIA क्यों बनाया गया था?

बता दें कि 26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई हमले ने देश ही नहीं पूरी दुनिया के लोगों को दहला दिया था. क्योंकि इस आतंकी हमले में भारत ही नहीं, इजराइल समेत कई देशों के नागरिक मारे गए थे. मुंबई हमले में 166 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी और 600 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इस घटना के बाद तत्कालीन सरकार अलर्ट हुई थी और ऐसे अपराधों की जांच के लिए नई एजेंसी बनाने का फैसला किया था. हमले के अगले महीने दिसंबर में ही तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने संसद में NIA से जुड़ा बिल पेश किया था. 31 दिसंबर को NIA का गठन हो गया था. और फिर जनवरी, 2009 से NIA ने अपना काम शुरू किया था.

ब्लास्ट का 'मंगलुरु' कनेक्शन!

बेंगलुरु ब्लास्ट केस को NIA को सौंपने की वजह मंगलुरु ब्लास्ट से कनेक्शन भी मानी जा रही है. जान लें कि बेंगलुरु-मंगलुरु धमाके एक जैसे लगते हैं. दोनों जगह धमाका करने के लिए एक जैसी विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल हुआ. दोनों जगह बैटरी, डेटोनेटर, नट-बोल्ट का इस्तेमाल हुआ. दोनों जगह धुएं का एक जैसा पैटर्न था. ये नया एंगल सामने आने के बाद मंगलुरु ब्लास्ट में बंद आरोपी से भी पूछताछ होगी. बेंगलुरु जेल में शारिक और उसका गैंग बंद है. दोनों धमाकों के बीच समानता की भी जांच की बात कही जा रहा है.

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