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US Election 2024: जनता ही पहले कैंडिडेट चुनती है फिर राष्ट्रपति... कहानी अमेरिका के दिलचस्प चुनाव की

2024 United States presidential election: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव बिल्कुल अलग तरीके से होता है. सालभर प्रक्रिया चलती है जो 15 जनवरी से शुरू होने वाली है. कॉकस और प्राइमरी की चर्चा होती रहेगी. ऐसे में समझ लीजिए कि अमेरिका के लोग अपना अगला राष्ट्रपति कैसे चुनने वाले हैं. 

US Election 2024: जनता ही पहले कैंडिडेट चुनती है फिर राष्ट्रपति... कहानी अमेरिका के दिलचस्प चुनाव की
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Anurag Mishra|Updated: Jan 12, 2024, 12:18 PM IST

US Election 2024, Biden vs Trump: 2024 लगभग पूरी दुनिया के लिए चुनावी साल रहने वाला है. भारत, पाकिस्तान, यूके, इंडोनेशिया, रूस और अमेरिका समेत कई देशों में चुनाव होने वाले हैं. इस तरह से देखें तो आधी दुनिया चुनाव में हिस्सा लेने जा रही है. दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका के चुनाव में अभी कई महीने का वक्त है लेकिन प्रक्रिया इसी महीने की 15 तारीख को आयोवा कॉकस के साथ शुरू हो जाएगी. ऐसे में यह समझना दिलचस्प है कि करीब सालभर अमेरिका में चुनाव के नाम पर क्या होता है? 

वैसे, अंतरराष्ट्रीय मीडिया में अमेरिकी चुनाव की कवरेज तब बढ़ती है जब रिंग में दो उम्मीदवार फाइनल हो जाते हैं. हां, एक डेमोक्रेटिक पार्टी से और दूसरे रिपब्लिकन पार्टी से. हालांकि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव दूसरे देशों जैसा नहीं होता है. वहां पार्टियां अपने हिसाब से सीधे उम्मीदवारों का चुनाव भी नहीं करती हैं. ऐसे में यह समझना दिलचस्प है कि चुनावी साल में वहां पार्टियों के भीतर जनवरी के महीने से कौन सी प्रक्रिया शुरू हो रही है? हां, ये फाइट आयोवा कॉकस से शुरू होती है.

कॉकस क्या है?

Caucus शब्द का मतलब समझें तो यह समान हितों या कहिए समान विचारों वाले लोगों का एक समूह होता है. आमतौर पर यह किसी बड़े संगठन या राजनीतिक दल में होता है. 

अमेरिकी राजनीति के हिसाब से समझें तो कॉकस का मतलब सभा से है. हालांकि केवल एक सभा नहीं होती है. कॉकस में लोग संकेत देते हैं कि वे एक पार्टी के कई लोगों में से किस राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का समर्थन करते हैं. इन कॉकस के नतीजे ही आगे चलकर उस शख्स की उम्मीदें बढ़ातें हैं जिसे पार्टी आधिकारिक रूप से नामित कर सकती है. 

खास बात यह है कि कॉकस का आयोजन राजनीतिक दल करते हैं, सरकारी या चुनाव अधिकारी नहीं. हर दल अपना कॉकस आयोजित करता है. सामान्य स्थिति में पार्टी के पंजीकृत मतदाता संबंधित कॉकस में हिस्सा लेते हैं जो राज्य में सैकड़ों जगहों पर होते हैं. हां, यहां आम जनता उस पार्टी के पक्के वाले वोटर ही होते हैं. 

कॉकस में क्या होता है?

कॉकस एक तरह से छोटी सामुदायिक बैठक होती है, जहां उम्मीदवारों के प्रतिनिधि (कभी-कभी उम्मीदवार खुद) लोगों को संबोधित करते हैं कि पार्टी मतदाताओं को उन्हें वोट क्यों देना चाहिए. वहां मौजूद लोगों में चर्चा भी हो सकती है. आखिर में वहां जुटे लोग उस पार्टी उम्मीदवार का नाम लिखते हैं जिसे वे नॉमिनेट करना चाहते हैं और अपना वोट डालते हैं. राज्य के वोटों की गिनती की जाती है और स्टेट यूनिट तक भेजी जाती है. 

... तो प्राइमरी क्या होती है?

हां, यह समझना दिलचस्प है. राजनीतिक पार्टियों की ओर से आयोजित किए जाने वाले कॉकस से उलट, प्राइमरी का आयोजन सरकारी अधिकारी करते हैं. Primary का आयोजन किसी पार्टी के लिए कैंडिडेट चुनने के लिए होता है. वही कैंडिडेट इलेक्शन बैलट पर दिखाई देता है. कॉकस और प्राइमरी के बीच एक समानता है कि इससे पता चलता है कि पार्टी के मतदाता किस उम्मीदवार को पसंद करते हैं. 

रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों पार्टियों के हर राज्य में डेलिगेट्स यानी प्रतिनिधि होते हैं. ये आखिर में संबंधित पार्टी कन्वेंशन में एक कैंडिडेट को सपोर्ट करते हैं, जो सभी प्राइमरी और कॉकस के बाद आयोजित किया जाता है. अगर सीरियल समझें तो पहले कॉकस, प्राइमरी उसके बाद कन्वेंशन में एक कैंडिडेट पर मुहर लगती है.  

आयोवा कॉकस

अब बात आयोवा कॉकस की. यहीं से चुनावी सीजन की शुरुआत हो जाती है. रिपब्लिकन पार्टी 15 जनवरी को अपना कॉकस आयोजित कर रही है. शाम 7 बजे रिपब्लिकन मतदाता हजारों जगहों पर रिपब्लिकन कॉकस में इकट्ठा होंगे और उम्मीदवार को लेकर अपनी पसंद बताएंगे. सीक्रेट वोटिंग होगी. गिनती होगी और कुछ घंटों के भीतर परिणाम पता चल जाएगा. रिपब्लिकन पार्टी ने राज्य के लिए 40 प्रतिनिधि तैनात किए हैं. 

कौन वोट कर सकता है?

18 साल से अधिक उम्र के आयोवा के निवासी वोट कर सकते हैं. हां, रिपब्लिकन के रूप में उनका पंजीकरण जरूर होना चाहिए. दूर से भागीदारी की अनुमति नहीं है. साफ है कि मतदाता वोट करना चाहता है तो उसे कॉकस में उपस्थित होना चाहिए.

आयोवा इतना महत्वपूर्ण क्यों? 

आयोवा अमेरिका का काफी छोटा राज्य है. इसकी आबादी केवल 30 लाख से ज्यादा है. यह स्टेट भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे को बदलने की ताकत न रखता हो लेकिन इसकी महत्ता अधिक है. दरअसल, यहां सबसे पहले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच फाइट शुरू हो जाती है. आयोवा कॉकस जीतने वाले किसी भी उम्मीदवार के लिए अपने सपोर्ट में माहौल और नरैटिव तैयार करना आसान हो जाता है. इससे उसकी प्रोफाइल मजबूत होती जाती है. विजेता सुर्खियों में आ जाता है और दूसरे राज्यों में उन लोगों का वोट उसके साथ जा सकता है जो अब तक अपना पसंदीदा कैंडिडेट तय न कर पाए हों. ऐसे में आयोवा में जीत का एक व्यावहारिक लाभ मिल सकता है. 

रिपब्लिकन की स्थिति: विवादों और कानूनी मुश्किलों के बावजूद पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आगे हैं. रॉन डीसेंटिस, निक्की हेली और विवेक रामास्वामी भी रिपब्लिकन हैं जो उन्हें चुनौती दे सकते हैं.

डेमोक्रेटिक पार्टी की स्थिति: राष्ट्रपति जो बाइडन फिर से चुनाव मैदान में हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी आयोवा में कॉकस आयोजित करेगी लेकिन इसकी प्रक्रिया 5 मार्च तक चल सकती है. 

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