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Dara Singh Life Story: बाल विवाह से प्यार में बुरी किस्मत तक, मशहूर पहलवान ने लाइफ के हर पहलू को जिया खुलकर

Dara Singh: दारा सिंह (Dara Singh Life Story) एक लोकप्रिय पहलवान से एक्टर बने. आपको बता दें कि दारा ने अपने करियर में 500 मैच खेले और उनमें से एक भी कुश्ती मैच नहीं हारा. आज हम आपको उनकी जिंदगी के कुछ अनसुने हिस्सों से रूबरू करवाएंगे.   

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Zee News Desk|Updated: Jul 23, 2022, 07:35 PM IST

Dara Singh Life Story: दीदार सिंह रंधावा, जिन्हें लोग दारा सिंह के नाम जानते हैं. उन्होंने पहलवान के रूप में तो देश का नाम रौशन किया है साथ ही वो एक्टर भी कमाल के थे. आपको बता दें कि दारा सिंह 500 मैच खेले और एक में भी हार का सामना नहीं किया. लोग उसकी कुश्ती के दीवाने थे और दूर-दूर से उसके मैच देखने आया करते थे. दारा सिंह ने कुश्ती के अलावा कई फिल्मों में भी काम किया था. उन्होंने फिल्म संग दिल से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इसके बाद उन्होंने 'पहली झलक', 'रुस्तम-ए-बगदाद', 'जग्गा', 'आंधी और तूफान', 'सात समंदर पार' जैसी कई फिल्मों में काम किया. 

एक्ट्रेस से जुड़ा नाम

19 नवंबर 1928 को पंजाब के गुरदासपुर जिले में जन्मे दारा सिंह का बचपन काफी संघर्षों से भरा था. दारा सिंह का नाम एक्ट्रेस मुमताज के साथ काफी चर्चा में रहा था. दोनों पहली बार तब मिले जब दारा सिंह की दूसरी फिल्म 'फौलाद' के लिए प्रोड्यूसर हीरोइन ढूंढ रहे थे. इससे पहले दारा सिंह की फिल्म 'किंग कांग' बॉक्स ऑफिस पर हिट हो चुकी थी. हर बड़ी एक्ट्रेस ने दारा सिंह के साथ काम करने से इंकार कर दिया था, क्योंकि वो किसी पहलवान की मूवी में काम नहीं करना चाहती थीं. फिर मुमताज ने उनके साथ काम करने के लिए हांमी भरी. मुमताज के लिए फिल्म में छोटा सा रोल था.

यूं हुई मुलाकात

मुमताज अपनी बहन के साथ फिल्म के सेट पर पहुंच गई थीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जैसे ही दारा सिंह ने उन्हें देखा तो उन्हें तुरंत अपनी फिल्म की हीरोइन चुन लिया. फिर दोनों ने फिल्म फौलाद में साथ काम किया. ये फिल्म साल 1963 में रिलीज हुई थी. साथ काम करने के दौरान दारा और मुमताज के अफेयर की खबरें उड़ने लगीं. फिर मुमताज ने बॉलीवुड का रुख किया और वो हिंदी सिनेमा की टॉप एक्ट्रेस बन गईं. वो अपनी फिल्मों की शूटिंग में इतनी बिजी हो गई थीं कि उन्हें दारा सिंह से मिलने का वक्त ही नहीं मिलता था. इस वजह से दोनों के बीच दूरियां आ गईं. कहा जाता है कि मुमताज से अलग होकर दारा सिंह टूट गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दारा सिंह ने एक बार कहा था, 'बॉलीवुड ने मुमताज को मुझसे छीन लिया.' खैर, दारा सिंह ने दो शादियां की थीं.

14 साल में हुई पहली शादी

14 साल की छोटी सी उम्र में दारा सिंह के परिवार वालों ने उनकी पहली शादी करवा दी. दारा की पहली शादी साल 1937 में बचनो कौर से हुई. वो दारा से उम्र में काफी बड़ी थीं. इतना ही नहीं बालिक होने से पहले ही दारा पिता बन गए थे. लेकिन शादी के दस साल बाद दारा और बचनो अलग हो गए थे. फिर साल 1961 में सुरजीत कौर से दारा सिंह ने दूसरी शादी की थी. दूसरी शादी के दिनों वो चौकीदार का काम किया करते थे. सुरजीत के साथ दारा की शादीशुदा जिंदगी काफी अच्छी गुजर रही थी. शादी के बाद दोनों 6 बच्चों के माता-पिता बने. तीन बेटे और तीन बेटियां. 

स्कूल से निकाल दिया था

बहुत कम उम्र से दारा सिंह ने माता-पिता के कहने पर खेतों में काम करना शुरू कर दिया था. उन्हें स्कूल से भी निकाल दिया गया था. हालांकि, आगे चलकर उनका दिल कुश्ती में लगा. दारा अक्सर कुश्ती कॉम्पटीशन में भाग लेते थे. फिर 1947 में, दारा सिंह सिंगापुर गए और वहां मिल में काम किया. फिर उनकी जिंदगी में मोड़ आया जब वो अपने गुरु हरनाम सिंह से मिले. 

ऐसे बनाया कुश्ती में करियर

दारा सिंह ने अपने खाने-पीने पर ध्यान दिया और शरीर को मजबूत बनाया. वो दूध, घर का बना मक्खन, बादाम और चिकन सूप खाया करते थे. फिर साल 1954 में दारा सिंह ने पहलवान टाइगर जोगिंदर सिंह को हराकर रुस्तम-ए-हिंद का खिताब जीता था. इसके बाद 1959 में उन्होंने राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप भी जीती. इसके बाद दारा सिंह प्रोफेशनल कुश्ती खेलने लगे. अपने करियर में उन्होंने बहुत सी चैंपियनशिप जीती और साल 1956 में दारा सिंह ने मशहूर ऑस्ट्रेलियाई पहलवान किंग कांग और 1968 में अमेरिका के वर्ल्ड चैंपियन लू थेज हराया था.

ऐसे मिला फिल्मों में ब्रेक

दारा सिंह को उनके मस्कुलर लुक और पॉपुलैरिटी की वजह से बॉलीवुड में ब्रेक मिला था. उन्हें भारत का पहला ही-मैन कहा जाने लगा. उन्होंने साल 1952 में दिलीप कुमार और मधुबाला स्टारर फिल्म संगदिल में छोटी सा किरदार निभाया. दारा सिंह ने राजनीति में भी भाग लिया. साल 1998 में दारा सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. वहीं, साल 2003 से 2009 तक वो राज्यसभा सांसद रहे. दारा अखिल भारतीय जाट समाज और बॉम्बे जाट समाज के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. आपको बता दें कि साल 1983 में उन्होंने कुश्ती से संन्यास लिया था. फिर साल 2012 में दारा सिंह का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. 

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