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Lockdown Horror: लॉकडाउन का डरावना सच आया सामने, देखिए हार्ड हिटिंग डायरेक्टर की फिल्म का ट्रेलर

India Lockdown Trailer: मधुर भंडारकर एक बार फिर नई फिल्म के साथ आ रहे हैं. पिछले दिनों उनकी बबली बाउंसर ओटीटी पर रिलीज हुई थी. अब जी5 पर उनकी इंडिया लॉकडाउन आने के लिए तैयार है. फिल्म का ट्रेलर आज रिलीज होकर सुर्खियां बटोर रहा है.  

Lockdown Horror: लॉकडाउन का डरावना सच आया सामने, देखिए हार्ड हिटिंग डायरेक्टर की फिल्म का ट्रेलर
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Ravi Buley|Updated: Nov 17, 2022, 04:49 PM IST

Corona Lockdown: चांदनी बार, पेज 3 और फैशन जैसी फिल्मों के मेकर मधुर भंडारकर बीते एक दशक से पुरानी सफलता की तलाश में हैं. फिल्म हीरोइन के बाद उनकी कैलेंडर गर्ल्स और इंदु सरकार जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर जादू नहीं जगा सकीं और हाल में ओटीटी पर रिलीज हुई बबली बाउंसर देखकर लगा कि वह अपना टच खो चुके हैं. मगर अगले महीने ओटीटी जी5 पर रिलीज होने वाली मधुर की फिल्म इंडिया लॉकडाउन का ट्रेलर आज रिलीज हुआ है और इसमें उनके पुराने काम की झलक नजर आती है. इंडिया लॉकडाउन के ट्रेलर में मधुर अपने पुराने हार्ड हिटिंग अंदाज में नजर आ रहे हैं. मधुर की फिल्म में 2020 में देश में लगे लॉकडाउन में लोगों की जिंदगी की हकीकत दिखी तो वह पुरानी प्रतिष्ठा फिर हासिल कर सकते हैं.

अलग-अलग कहानियां
नेशनल अवार्ड विजेता मधुर की यह फिल्म दो दिसंबर को जी5 पर रिलीज होगी. इसमें श्वेता बसु प्रसाद, प्रकाश बेलावाड़ी, आहना कुमरा, सई ताम्हनकर और प्रतीक बब्बर जैसे चेहरे हैं. ट्रेलर लॉकडाउन में कोविड-19 के दौरान लगे लॉकडाउन के दिनों में चार किरदारों की जिंदगी की कहानी दिखा रहा है. ट्रेलर शुरू होता है, जिस्मफरोशी का धंधा करने वाली मेहरूनिस्सा (श्वेता बसु प्रसाद) से. एक व्यक्ति उससे कहता है कि यह धंधा बंद करना होगा क्योंकि लॉकडाउन लग गया है. सीनियर सिटिजन एल.नागेश्वर राव (प्रकाश बेलावाड़ी) परिवार से दूर अकेले हैं और लॉकडाउन की वजह से अब नौकरानी भी नहीं आएगी. पायलट मून एल्वेस (आहना कुमरा) के लिए भी इन दिनों घर में बैठने से जिंदगी मुश्किल हो जाती है और वह अपने पड़ोसी के साथ बातचीत शुरू करती है. वहीं इनके बीच रोजमर्रा मजदूरी करके कमाने-खाने वाले माधव (प्रतीक बब्बर) और फूलमती (सई ताम्हनकर) का परिवार भी है.

सबकी अपनी समस्याएं
लॉकडाउन इंडिया की कहानी में समाज के हर वर्ग की तस्वीर दिखाने की कोशिश है. लॉकडाउन में हर वर्ग की अपनी-अपनी समस्याएं थीं. सबकी अपनी-अपनी मजबूरियां थीं. किसी के पास सब कुछ होकर भी कुछ नहीं जैसी स्थिति थी तो कोई रोजी-रोटी खोकर खाने और पैसे को तरस गया था. फिल्म में मीलों पैदल चलकर महानगरों से अपने गांव जाने वाले वाले गरीबों का दर्द भी दिखाया गया है. लॉकडाउन इंडिया बताती है कि कैसे लोगों ने अपना-अपना संघर्ष किया और कैसे वह दौर बिताया. यह फिल्म उन्हीं डरावनी यादों से दर्शकों को रू-ब-रू कराएगी.

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