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Chandra Grahan 2023: इस हसीन हीरोइन ने की थी चंद्रमा को ग्रहण लगने की कामना, प्यार का था मामला

Chandra Grahan: आज चंद्रग्रहण है और हिंदी फिल्मों में चांद को लेकर तमाम तरह के दृश्य रचे गए हैं. चांद को लेकर सैकड़ों गीत भी बने हैं. एक ऐसा भी गीत है, जिसे आपने खूब सुना होगा. इसमें हीरोइन भगवान से मना रही है कि चंद्रमा को ग्रहण (Lunar Eclipse) लग जाए. जानिए कौन सा है गीत और सुनिए यहां...  

Chandra Grahan 2023: इस हसीन हीरोइन ने की थी चंद्रमा को ग्रहण लगने की कामना, प्यार का था मामला
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Ravi Buley|Updated: Oct 28, 2023, 04:25 PM IST

Chandragrahan India: हिंदी सिनेमा में चांद या चंद्रमा को लेकर सैकड़ों गाने आपको मिलेंगे. इन गानों कभी हीरो-हीरोइन मिलकर चांद के बहाने रोमांस कर रहे हैं, कभी हीरोइन चांद को देखते हुए हीरो को याद कर रही है. कुछ गानों में हीरो अपनी हीरोइन की खूबसूरती की तुलना चांद या चांदनी से कर रहा है. लेकिन क्या आपने कभी उस गाने पर गौर किया, जिसमें एक हसीन नायिका चांद से शिकायत करते हुए, उसे ग्रहण लग जाने की कामना कर रही है! हिंदी सिनेमा के लगभग सौ साल के इतिहास में यह दुर्लभ उदाहरण. निश्चित ही आपने फिल्म बंदिनी (1963) का गीत सुना होगाः मेरा गोरा अंग लई ले. जिसे लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar Song) ने गाया और एस.डी. बर्मन ने संगीतबद्ध किया था. लेकिन यह गाना खास तौर पर गीतकार गुलजार (Gulzar) के लिए याद किया जाता है.

कहानी में ट्विस्ट
गुलजार को शोहरत दिलाने वाला यह पहला गीत था. इस गाने से पहले गुलजार मुंबई (Mumbai) में मोटर मैकेनिक की हैसियत से काम करते थे. वह किस्सा अलग है. लेकिन यह गाना लिखने के लिए उन्हें बंदिनी के निर्माता-निर्देशक बिमल रॉय ने कहा था. असल में उन्होंने फिल्म में गीत लिखने के लिए गीतकार शैलेंद्र से अनुबंध किया था, परंतु इसी बीच ऐसी घटना हुई कि बिमल रॉय उनसे नाराज हो गए. कहा जाता है कि शैलेंद्र ने बिमल रॉय की बेटी को अपने बॉयफ्रेंड के साथ भागने में मदद की. बिमल रॉय ने उन्हें फिल्म हटा दिया. तब उन्होंने अपनी फिल्म में सहायक के रूप में काम कर रहे गुलजार से गीत लिखने को कहा. हालांकि एस.डी. बर्मन ऐसा नहीं चाहते थे. लेकिन गाना तैयार हुआ, मोरा गोरा अंग लई ले. इस गाने के बाद एस.डी. बर्मन ने बिमल रॉय से शैलेंद्र को वापस बुलाने को कहा. अंत में शैलेंद्र ने ही फिल्म के बाकी गीत लिखे.

गुलजार का कमाल
खैर, गुलजार का लिखा यह गाना आज भी खूब सुना जाता है. पर्दे पर यह गाना नूतन पर फिल्माया गया था. फिल्म की कहानी ऐसे मोड़ पर आती है, जब क्रांतिकारी बने अशोक कुमार के लिए नायिका (नूतन) प्रेम महसूस करती है. तब रात को वह यह गाना गाती हैः मोरा गोरा अंग लइ ले/मोहे शाम रंग दइ दे/छुप जाऊंगी रात ही में/मोहे पी का संग दइ दे. गाने के बीच में निर्देशक ने दिखाया है कि आसमान से चांद निकल रहा है और तब नायिका उससे जैसे शिकायत करते हुए आगे कहती हैः बदरी हटा के चंदा/चुप के से झांके चंदा/तोहे राहू लागे बैरी/मुस्काये जी जलाइ के. हिंदू धर्म में मान्यता है कि जब आकाश में छाया ग्रह राहु या केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं, तब चांद को ग्रहण लगता है. गुलजार ने इसी मान्यता का अपने इस गीत में खूबसूरत प्रयोग किया है. जो हिंदी सिनेमा में चांद को लेकर बने सैकड़ों गीतों में आपको कहीं और नहीं मिलता.

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