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A Trip to the Moon: जब नहीं बना था रॉकेट, तब बनी मिशन मून पर पहली फिल्म; यहां देखिए, लगेंगे सिर्फ 12 मिनट

Chandrayaan Moon Landing: जब से इंसान में समझ आई, उसे चांद ने आकर्षित किया. कहानी-कविता से लेकर साइंस तक. इंसान के चांद पर पहुंचने से पहले ही, फिल्मों ने वहां पहुंचने का सपना देखा. 1902 में जब दुनिया रॉकेट भी नहीं बनाई थी, तब पहली फिल्म बनी जिसमें इंसान चांद पर पहुंचा था. कैसेॽ यहां देखिए...  

A Trip to the Moon: जब नहीं बना था रॉकेट, तब बनी मिशन मून पर पहली फिल्म; यहां देखिए, लगेंगे सिर्फ 12 मिनट
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Ravi Buley|Updated: Aug 23, 2023, 06:58 PM IST

Chandrayaan 3 landing: अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले इंसान थे. तारीख थी, 20 जुलाई 1969. अमेरिका के अपोलो 11 मिशन के अंतरिक्ष यात्री के रूप में नील आर्मस्ट्रांग, बज एल्ड्रिन और माइकल कोलिन्स शामिल थे. आज भारत का चंद्रयान (Chandrayaan) चांद के दक्षिण ध्रुव पर इतिहास रच रहा है. चांद (Moon) को इंसान ने अपनी कल्पना की दुनिया में भी गढ़ा है. उससे अपना रिश्ता माना है. सिनेमा की शुरुआत 19वीं सदी में हो चुकी थी. 1895 में लुमियेर ब्रदर्स ने सिनेमा के सार्वजनिक प्रदर्शन की शुरुआत की. इसके साथ ही कल्पना की ऊंची उड़ान भरने वाले सिनेमा में पहली बार 1902 में ऐसी फिल्म बनी, जिसमें इंसान को चांद पर पहुंचते दिखाया गया.

चंद्रमा पर कदम
दुनिया में चंद्रमा मिशन के बारे में पहली फिल्म फ्रांस में बनी थी. नाम थाः ले वॉयज डान्स ला ल्यून यानी ए ट्रिप टू द मून (Film A Trip to the Moon). इसे फ्रांसीसी फिल्म निर्माता-निर्देशक जॉर्जेस मेलियस ने बनाया था. यह ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म 1902 में रिलीज हुई थी. वास्तव में यह फिल्म शुरुआती साइंस फिक्शन में से है. फिल्म ऐसे खगोलविज्ञानियों के एक समूह की कहानी बताती है, जो एक अंतरिक्ष कैप्सूल में चंद्रमा की यात्रा करते हैं. चंद्रमा पर उन्हें अजीब प्राणियों या एलियंस का सामना करना पड़ता है. उनसे मुकाबला करने के बाद यह सभी वापस पृथ्वी पर लौटते हैं. रोचक बात यह है कि 1902 में दुनिया में रॉकेट भी नहीं बने थे. सबसे पहला रॉकेट 16 मार्च 1926 को अमेरिकी प्रोफेसर और वैज्ञानिक रॉबर्ट हचिंग्स गोडार्ड ने बनाया था. ए ट्रिप टू द मून उस दौर के वीएफएक्स और कल्पनाशील कहानी के लिए आज भी सिनेमाई क्लासिक (Cinematic Classic) मानी जाती है.

नये युग की शुरुआत
वास्तव में यह फिल्म उस दौर में बनी थी, जब ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में इंसान नई खोज और नए आविष्कार कर रहा था. फिल्म ने साइंस फिक्शन के द्वारा यह संदेश दिया था कि मानवता के लिए कुछ भी संभव है. सपनों को पूरा करने के लिए हमें साहस और संघर्ष की आवश्यकता है. फिल्म भविष्य में इंसान की संभावनाओं को भी बताती है. यह एक नये युग की शुरुआत की कहानी है. यह फिल्म अब कॉपी राइट के अधिकारों से बाहर है और दुनिया के तमाम फिल्म प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध है. इसे आप यूट्यूब पर भी देख सकते हैं.

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