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Wheelchair पर बैठ दिया UPSC Exam, रिजल्ट आया तो हॉस्पिटल में थीं एडमिट; भावुक कर देगी UPSC Aspirant की कहानी

Sherin Shahana Success Story: ऐसे एक नहीं कई हादसे उनके साथ हुए, जब वह बाल-बाल बची हैं. यूपीएससी सिविल सर्विस एग्‍जाम 2022 में उन्‍होंने 913वां स्थान हासिल किया, जो उनके परिवार के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात है. 

Wheelchair पर बैठ दिया UPSC Exam, रिजल्ट आया तो हॉस्पिटल में थीं एडमिट; भावुक कर देगी UPSC Aspirant की कहानी
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Arti Azad|Updated: May 26, 2023, 11:05 AM IST

UPSC CSE 2022 Sherin Shahana Success Story: आज सफलता की कहानी में पढ़ेंगे एक ऐसा यूपीएससी एस्पिरेंट की कहानी, जिनकी जिंदगी में बार-बार तूफान आए, लेकिन ये उनका जज्‍बा नहीं हिला सके. हम बात कर रहे हैं शेरिन शाहाना (Sherin Shahana) की, जिन्होंने बचपन से एक ही सपना देखा था और वो था सिव‍िल सर्विस परीक्षा (Civil Service Exam) क्लियर करना.

शेरिन की किस्मत तो देखिए उन्होंने अपना सपना तो पूरा कर लिया, लेकिन जब शेरिन को यह खबर मिली तो वह हॉस्पिटल में एडमिट थीं. शेरिन की इस सक्सेस स्टोरी (Success Story) के पीछे का संघर्ष आपको झिंझोड़कर रख देगा. आइए जानते हैं इस तूफानों से लड़कर जीतने वाली महिला के बारे में...

शेरिन ने अब तक लाइफ में बहुत चुनौतियां देखीं
25 साल की शेरिन  जो चल-फिर नहीं सकती हैं. व्हीलचेयर पर बैठकर उन्‍होंने देश की सबसे कठिन परीक्षा दी थी. उनके पिता तो अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनके इस संघर्ष भरे सफर में उनकी मम्मी और बहन ने उनका पूरा साथ दिया. कठिन वक्त में ये दोनों शेरिन की सबसे बड़ी ताकत बनकर उनसे साथ रहीं. उनका परिवार केरल के वायनाड में रहता है. 

यूपीएससी सीएसई 2022 में पाई 913वीं रैंक 
जानकारी के मुताबिक हाल ही में एक एक्‍सीडेंट के बाद शेरिन को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था. यूपीएससी सीएसई 2022 में उन्‍होंने 913वीं रेंक हालिस की. अपनी सफलता की खबर उन्‍हें अस्‍पताल के बेड पर मिली, जल्‍द ही उनकी सर्जरी होने वाली है.

ऐसे शुरू हुआ हादसों का दौर 
साल 2015 में उनके पिता चल बसे थे. इसके बाद 2017 में शेरिन छत से सूखे कपड़े उतारते वक्‍त पैर फिसलने के कारण गिर गई थीं. इससे उनकी रीढ़ पर गहरी चोट लगी थी और हाथों में लकवा मार गया था. इतना ही नहीं लोअर बॉडी ने काम करना पूरी तरह से बंद क‍र दिया था. इसके कारण अगले दो साल तक वह बिस्‍तर से पर ही रहीं.

आर्थिक हालात सही न होने के चलते उन्हें बहुत अच्‍छा इलाज भी नहीं मिला. ऐसे में शेरिन के सामने चुनौतियों का अंबार था, लेकिन उनके दिल-दिमाग में बस एक ही बात कौंधती थी कि यूपीएससी सीएसई क्लियर करना है. उनके हाथ हाथ मुश्किल से हिलते थे, लेकिन मोटराइज्‍ड व्हीलचेयर से उन्‍होंने दोबारा चलना-फिरना शुरू किया. 

इस समय पीएचडी कर रही हैं शेरिन
एक्‍सीडेंट ने पूरी तरह हिलाकर रख दिया था, जिसके बाद शेरिन को शुरू से पढ़ाई करनी पड़ी. उन्‍होंने ऑनलाइन स्टडी करना शुरू किया और पॉलिटिकल साइंस में नेट-जेआरएफ निकाला. इस समय वह कालिकट यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही हैं. दो साल पहले उन्होंने एब्‍सोल्‍यूट आईएएस एकेडमी में भी दाखिला लिया था, जो दिव्‍यांग कैंडिडेट के लिए स्पेशल प्रोग्राम की पेशकश करती है. शेरिन को यूएन इनवॉयरमेंट प्रोग्राम (डिजास्‍टर रिस्‍क रिडक्‍शन) के चीफ मुरली थुम्‍मरुकुडी का भी बहुत सपोर्ट मिला. 

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