Modern School Delhi: दिल्ली एनसीआर में रहने वाले जानते ही होंगे कि देश की राजधानी के टॉप कॉलेजों में ही नहीं, बल्कि स्कूलों में भी अपने बच्चों का एडमिशन कराना कितना मशक्कत भरा काम होता है. हालांकि, दिल्ली में यूं तो सैकड़ों स्कूल हैं, जो पढ़ाई के मामले में टॉप पोजीशन पर आते हैं, जिनमें सरकारी और प्राइवेट दोनों शामिल हैं.
आज हम आपको यहां के एक ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पढ़ाई और हर तरह की सुविधाओं के मामले में यहां का सबसे शानदार स्कूल है. हम बात कर रहे हैं दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में स्थित मॉर्डन पब्लिक स्कूल की.
एक सदी पहले इन्होंने देखा था मॉडर्न स्कूल का सपना
मॉर्डन पब्लिक स्कूल 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. लाला रघुबीर सिंह ने अपने पिता राय बहादुर सुल्तान सिंह की प्रेरणा से एक उदार संस्था का सपना देखा था जो देश को कल के राष्ट्र नेता दे सके, जिसके चलते इस स्कूल की स्थापना 1920 में की गई थी.
राष्ट्रीय नेताओं की संगत का पड़ा गहरा असर
यह अपने समय से काफी आगे का सपना था और यह उस कसौटी पर खरा उतरा है. स्थापना से लेकर इसके बनने तक रघुबीर सिंह अपने सपने को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई. कश्मीरी गेट में उनका घर था, जो उस समय के राष्ट्रीय नेताओं के लिए एक केंद्र था. बचपन में उन्होंने जो देखा उसका युवा रघुबीर पर बहुत असर हुआ. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा के लिए बापू के आह्वान पर नैतिक मूल्यों और आधुनिक विचारों से युक्त एक स्कूल की नींव डालने का फैसला लिया.
ऐसे शुरू हुआ सफर
मास्टर अमीर चंद, पियर्सन, रेव सी.एफ. एंड्रयूज और गांधी जी और टैगोर से प्रभावितरघुबीर सिंह सर सोभा सिंह और डॉ. एस के सेन जैसे समान विचारधारा वाले लोगों की एक टीम को लेकर लाए और कमला बोस स्कूल की पहली प्रिंसिपल बनीं.
ऐसे हुआ स्कूल का विस्तार
जानकारी के मुताबिक 28 अप्रैल 1921 को नई दिल्ली में स्कूल के लिए उपयुक्त जगह के लिए सरकार को आवेदन दिया गया, क्योंकि दरियागंज की स्कूली इमारत नाकाफी साबित हो रही था, जिसके जवाब में सरकार ने कैंटोनमेंट रोड की 50 एकड़ जमीन देने का फैसला किया. हालांकि, यह जगह पुरानी दिल्ली के स्टूडेंट्स के लिए बहुत दूर थी, फिर एक बार सरकार से नए शहर के पास जगह देने का अनुरोध किया गया.
यहां के कई स्टूडेंट्स हैं देश का फेमस चेहरा
मॉडर्न स्कूल बाराखंभा रोड से भारत के मशहूर लेखक, उपन्यासकार और इतिहासकार खुशवंत सिंह ने पढ़ाई की थी. वहीं, फेमस जर्नलिस्ट, ऑथर, पॉलिटिशियन और इकोनॉमिस्ट अरुण शौरी यही से पढ़े थे. भारतीय शास्त्रीय सरोद वादक, पद्म विभूषण उस्ताद अमजद अली खान भी इसी स्कूल से पढ़कर निकले हैं. कुचिपुड़ी डांसर, टीचर, कोरियोग्राफर और नाट्य तरंगिणी की निदेशक यामिनी रेड्डी ने भी यहीं से पढ़ाई की है, अब उनका एक स्कूल है, जिसमें कुचिपुड़ी की टीचिंग होती है. इंडियन क्रिकेटर गौतम गंभीर और भारतीय डबल ट्रैप शूटर रंजन सोढ़ी भी यहीं से पढ़े हैं.