trendingNow11595775
Hindi News >>शिक्षा
Advertisement

बिकी घर का सारी संपत्ति, पिता को चलाना पड़ा रिक्शा, पर बेटे ने IAS बन दिलाया बंगला

IAS Govind Jaiswal Success Story: पैर में तकलीफ होने के बावजूद गोविंद ने यूपीएससी की तैयारी जारी रखी और पहले ही प्रयास में परीक्षा पास कर आईएएस बन गए.

बिकी घर का सारी संपत्ति, पिता को चलाना पड़ा रिक्शा, पर बेटे ने IAS बन दिलाया बंगला
Stop
Kunal Jha|Updated: Mar 04, 2023, 12:35 PM IST

IAS Govind Jaiswal: हर साल लाखों उम्मीदवार यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में बैठते हैं. लेकिन उसमें से कुछ उम्मीदवार ही सफलता हासिल कर पाते हैं. ऐसे में आज हम उस उम्मीदवार की बात करेंगे, जिन्होंने यह परीक्षा अपने पहले ही अटेंप्ट में पास कर डाली और आईएएस ऑफिसर का पद हासिल किया. इसलिए उनकी यह कहानी किसी को भी प्रेरित करेगी, जो भारत में इस कठिन परीक्षा की तैयारी कर रहा है. महज 22 साल की उम्र में, गोविंद जयसवाल ने यूपीएससी परीक्षा पास की और ऑल इंडिया में 48वीं रैंक हासिल कर डाली. बात दें कि गोविंद ने इस परीक्षा के लिए "अब दिल्ली दूर नहीं" फिल्म से प्रेरणा ली थी. 

पिता ने बेटे की सफलता के लिए की जी तोड़ मेहनत
कहते हैं कि एक बच्चे की उपलब्धि अक्सर उसके माता-पिता के कड़ी मेहनत का परिणाम होती है. आईएएस गोविंद की सफलता की कहानी पर उनके पिता का महत्वपूर्ण प्रभाव था, उन्होंने गोविंद की सफलता का बीज तैयार करने में उनकी मदद की. गोविंद की इच्छा को साकार करने के लिए उनके पिता नारायण ने उतनी ही मेहनत की जितनी वे कर सकते थे.

मां ने बहुत जल्द छोड़ा साथ
बता दें कि उनका पूरा परिवार उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रहता था. साल 1995 में गोविंद के पिता नारायण के पास 35 रिक्शा थे, लेकिन पत्नी की तबीयत खराब होने के कारण उन्हें उनमें से 20 को बेचना पड़ा. हालांकि, वे अपनी पत्नी को बचाने में असमर्थ रहे, जिनकी 1995 में मृत्यु हो गई थी. इस बीच, जब गोविंद यूपीएससी के लिए तैयारी के लिए 2004 या 2005 में दिल्ली जाकर पढ़ना चाहते थे, तब उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे.

बेटे को IAS बनाने के लिए रिक्शा वाले से बने रिक्शा चालक 
हालांकि, अपने बेटे के इस सपने को पूरा करने के लिए पिता नारायण जयसवाल  ने 14 अन्य रिक्शे भी बेच दिए. उनके पास केवल एक बचा हुआ रिक्शा था, जिसे उन्होंने खुद चलाना शुरू कर दिया. अपने बेटे की शिक्षा के लाभ के लिए, गोविंद के पिता एक रिक्शा वाले से रिक्शा चालक बन गए. ऐसे में पैर में तकलीफ होने के बावजूद गोविंद ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. गोविंद ने अपनी पढ़ाई में लगन से काम किया और 2006 में यूपीएससी के पहले प्रयास में टॉप 48 में अपनी जगह बनाई.

हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे

Read More
{}{}