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High Salary: हाई सैलरी का क्रेज, इस कोर्स में एडमिशन के लिए IIT भी छोड़ने के लिए तैयार हैं स्टूडेंट्स

IIT Admission: जॉइंट सीट एलोकेशन ऑथारिटी द्वारा शेयर किए गए आंकड़ों के मुताबिक JEE एडवांस में टॉप 100 रैंक लाने वाले में से 97 स्टूडेंट्स ने कंप्यूटर साइंस के कोर्स को चुना.

High Salary: हाई सैलरी का क्रेज, इस कोर्स में एडमिशन के लिए IIT भी छोड़ने के लिए तैयार हैं स्टूडेंट्स
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chetan sharma|Updated: Jun 11, 2023, 06:33 AM IST

Salary for CS Graduates: स्टूडेंट्स का सबका अपना इंटरेस्ट होता है. वह उसी के मुताबिक पढ़ाई भी करते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक कोर्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स IIT भी छोड़ने को तैयार हो रहे हैं. वजह सिर्फ इतनी है कि इस कोर्स को करने के बाद अच्छी सैलरी की उम्मीद होती है. जेईई एडवांस में टॉप करने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स कंप्यूटर साइंस और इससे संबंधित इंजीनियरिंग कोर्स में ही एडमिशन ले रहे हैं. 'कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग' का क्रेज इतना ज्यादा है कि कई स्टूडेंट्स इसकी वजह से आईआईटी तक में एडमिशन नहीं ले रहे हैं.

दरअसल, आईआईटी का ऑप्शन छोड़ने वाले इन स्टूडेंट्स को जेईई एडवांस रैंक के मुताबिक आईआईटी मे कंप्यूटर साइंस के कोर्सेज में एडमिशन नहीं मिल सकता. ऐसे में ये स्टूडेंट्स आईआईटी को छोड़कर ट्रिपल आईटी, एनआईटी और बीआईटीएस जैसे अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में एडमिशन ले लेते हैं. इसका मूल कारण यही है कि इन संस्थानों में वे कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में दाखिला पाने में सक्षम हैं.

जॉइंट सीट एलोकेशन ऑथारिटी द्वारा शेयर किए गए आंकड़ों के मुताबिक JEE एडवांस में टॉप 100 रैंक लाने वाले में से 97 स्टूडेंट्स ने कंप्यूटर साइंस के कोर्स को चुना था. जो स्टूडेंट्स कोर इंजीनियरिंग ब्रांच में रजिस्टर हैं, वे भी आईटी में जॉब लेने की चाहत रखते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि आईटी सेक्टर में शुरूआत से ही ज्यादा सैलरी मिलती है.

हालांकि एजुकेशनलिस्ट इस ट्रेंड को गलत मानते हैं, उनका कहना है कि यह बहुत गंभीर बात है, यह बढ़ता हुआ ट्रेंड कोर इंजीनियरिंग की वेल्यू को कम कर रहा है. बहुत बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स और पेरेंट्स इस संबंध में बिना-सोचे समझे फैसला ले रहे हैं. कई प्राइवेट कॉलेज भी बिना सोचे-समझे हजारों स्टूडेंट्स को 'कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग' के अलग अलग वैरिएंट में एडमिशन दे रहे हैं. इस संबंध में कानून बनाने वालों और रेगुलेटरी बॉडी (नियामक निकायों) के साथ-साथ इंडस्ट्री की भूमिका भी बहुत ही असंतोषजनक है, इस पर कोई कार्रवाई नही हो रही है.

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