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Bollywood Legends: विवेक ओबेराय ने 15 दिन गुजारे झुग्गी झोपड़ी में; सोए जमीन पर, तब मिला बड़ा चांस

Vivek Oberoi: ऐसा कम होता है कि किसी स्टार का बेटा अपना डेब्यू रोमांटिक फिल्म से न करे. लेकिन विवेक ओबेराय ने जोखिम उठाया. न्यूयॉर्क से एक्टिंग की पढ़ाई के बाद जब लौटे तो उन्होंने राम गोपाल वर्मा की अंडरवर्ल्ड फिल्म कंपनी से फिल्मी पारी शुरू की. वह डॉन के भरोसेमंद साथी बने. परंतु रोल उन्हें आसानी से नहीं मिला.  

Bollywood Legends: विवेक ओबेराय ने 15 दिन गुजारे झुग्गी झोपड़ी में; सोए जमीन पर, तब मिला बड़ा चांस
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Ravi Buley|Updated: May 25, 2023, 10:26 PM IST

Vivek Oberoi Films: निर्माता-निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने बॉलीवुड में जिन चेहरों को हीरो बनाया, उनमें विवेक ओबेराय बड़ा नाम हैं. विवेक सीनियर बॉलीवुड सितारे सुरेश ओबेराय (Suresh Oberoi) के बेटे हैं. लेकिन वह फिल्मों में अपने लिए भूमिकाओं की तलाश में निर्माता-निर्देशकों से मिल रहे थे. वह राम गोपाल वर्मा के भी संपर्क में थे. जब वर्मा ने फिल्म जंगल (2000) शुरू की, तो इसमें विवेक ओबेराय को कास्ट करना चाह रहे थे. मगर आखिरी क्षणों में उन्होंने विवेक को न लेने का फैसला किया और उनसे कहा कि उन्हें अपनी दूसरी फिल्म में ज्यादा बड़े रोल में कास्ट करेंगे. विवेक की जगह रामू ने जंगल में हिमांशु मलिक (Himanshu Mallik) को लिया.

चाहिए चाल वाला लड़का
इसके बाद फिल्म कंपनी (2002) का नंबर आया. तब विवेक ओबेराय ने एक बार फिर वर्मा से मुलाकात की. रामू नए चेहरों के साथ यह फिल्म बनाना चाहते थे. मगर अचानक उन्होंने अजय देवगन (Ajay Devgn) को फिल्म में कास्ट कर लिया. तब हुआ कि सितारों के साथ फिल्म बनाई जाए. विवेक को एक बार फिर उन्होंने इस फिल्म में लेने से इंकार किया. परंतु इस बार उनसे कहा कि यह अंडरवर्ल्ड की फिल्म है और इसका हीरो मुंबई की चाल में रहने वाला लड़का है. जबकि विवेक ओबेराय अपनी कद-काठी और रंग से किसी चाल में रहने वाले लड़के नहीं लगते. आखिरकार वह फिल्मस्टार के बेटे थे, तो उनकी लाइफस्टाइल भी वैसी थी. परंतु विवेक ने हार नहीं मानी और राम गोपाल वर्मा से 15 दिनों का समय मांग लिया.

तपे सूरज की गरमी में
सत्या के बाद कंपनी रामू की दूसरी अंडरवर्ल्ड (Underworld) फिल्म थी. सत्या (Satya) की सफलता देख कर विवेक किसी हाल में यह मौका नहीं गंवाना चाहते थे. रामू से 15 दिन का समय मिलने के बाद विवेक ओबेराय ने मुंबई की चालों का रुख कर लिया. अगले 15 दिन उन्होंने इन्हीं झुग्गी-झोपड़ियों में बिताए. वह जमीन पर सोते थे और वहां रहने वाले लड़कों के रहने-चलने-फिरने-बोलने का अंदाज कॉपी करते थे. उन्होंने खुद को धूप में जलाया. वह क्रीम और तेल अपने बदन पर मलकर सूरज की तपती गरमी में रहते, जिससे उनका रंग गहरा हो जाए. आखिरकार 15 दिनों बाद वह रामू से मिले तो उनका रूप-रंग काफी बदल चुका था. रामू से मिलते वक्त वह अपने चेहरे पर कुछ मिट्टी भी लगा कर गए थे, जिसे पूरी तरह से चाल के युवक नजर आएं.

मिले दो अवार्ड
विवेक ओबेराय का नया लुक देख कर रामू को भरोसा हो गया कि वह कंपनी (D Company) में फिट रहेंगे. उन्होंने विवेक को फिल्म में कास्ट कर लिया. विवेक ओबेराय कंपनी में चंदू बन गए. यह एक ऐसे युवक का रोल था, जो चाल में रहते हुए एक अंडरवर्ल्ड डॉन का भरोसेमंद आदमी बन जाता है. विवेक ओबेराय का यह फिल्म डेब्यू था. चंदू के रोल में उन्हें खूब सराहना मिली. जबकि उनके सामने अजय देवगन जैसा सीनियर एक्टर था. फिल्म में मनीषा कोइराला और अंतरा माली थीं. फिल्म का गाना खल्लास... खूब चला. कंपनी को छह फिल्म फेयर अवार्ड (Filmfare Awards) मिले. जिसमें से दो विवेक ओबेराय ने जीते. पहला बेस्ट सपोर्टिंग एक्टिंग एक्टर और दूसरा बेस्ट मेल डेब्यू एक्टर. इस शुरुआत के बाद विवेक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

 

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