स्टार कास्ट: शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, जॉन अब्राहम, डिंपल कपाड़िया, आशुतोष राणा, सलमान खान आदि.
निर्देशक: सिद्धार्थ आनंद
कहां देख सकते हैं: सिनेमा घरों में
मूवी रेटिंग: 3.5
Shah Rukh Khan Pathaan Movie Review: वायरस से लेकर धारा 370 तक, सूर्यवंशी से लेकर कृष तक, पौराणिक राक्षस से लेकर टाइगर सल्लू तक, हर फॉर्मूला शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) की मूवी ‘पठान’ में आजमाया गया है. टॉम क्रूज या विन डीजल जैसे हॉलीवुड स्टार की किसी भी एक्शन मूवी में जो स्टंट हो सकता है, वो सिद्धार्थ आनंद ने इसमें इस्तेमाल किया है. दीपिका के हॉट सींस भी हैं, भगवा बिकिनी पर विवाद पहले से हो ही चुका है, बावजूद इसके भी मूवी ना चली तो शाहरुख की खराब किस्मत ही होगी.
फिल्म पठान की कहानी (Pathaan Story)
कहानी के मूल में है एक ऐसे सीक्रेट सर्विस एजेंट का किरदार, जिसकी पत्नी को बचाने के लिए सरकार आतंकियों के आगे झुकने और उन्हें 10 करोड़ देने से मना कर देती है. पत्नी की हत्या के बाद ‘जिम’ (जॉन अब्राहम) देश के खिलाफ एक मिशन में जुट जाता है. पुलिस और सीक्रेट सर्विस के अधिकारियों के पाला बदलने की ऐसी कहानियां आपने पहले भी कई फिल्मों में देखी होंगी. उसके ‘रक्तबीज’ मिशन को फेल करने में जुटती है भारतीय सीक्रेट एजेंट पठान (शाहरुख खान) की टीम.
कहानी इतनी ही है, बाकी सब फॉर्मूले हैं. पहला फॉर्मूला है जो यशराज फिल्म की फिल्मों में ही देखने में आ रहा है, सीक्रेट सर्विस एजेंट की जाति ही नहीं धर्म भी गायब कर दो. ताकि मूवी को पाकिस्तान, दुबई आदि जगह भी बेचा जा सके. टाइगर का नाम अविनाश सिंह राठौर भी शुरू में ही बताया गया था, सीक्वल और पठान में भी अब बस उसे टाइगर कहा गया है. ऐसे ही ‘वॉर’ में ऋतिक रोशन का नाम कबीर था, आखिर तक उसका धर्म छुपाया गया और इस मूवी में आतंकवादी एक हिंदू को दिखाया गया.
‘पठान’ में भी दो किरदार हैं, पठान और जिम. दोनों के नाम से अनुमान लगाते रहे, लेकिन पठान के बारे में साफ कर दिया गया कि वो मुसलमान हो भी सकता है और नहीं भी. खान स्टार्स की फिल्मों में एक और फॉर्मूला इन दिनों कई बार आजमाया जा रहा है, वो ‘पठान’ में भी है. पाकिस्तान के साथ मिलकर आतंक की लड़ाई लड़ने का, जिस नीति को कभी भारत सरकार ने मंजूरी नहीं दी क्योंकि इससे पाकिस्तान का नाम आतंक को समर्थन वाले देशों में में रखने का उनका दावा इंटरनेशनल मंचों पर कमजोर हो जाएगा. उस काम को हिंदी फिल्मों के ये खान सितारे जरूर कर रहे हैं.
सलमान की ‘टाइगर जिंदा है’ में भी कॉमन दुश्मन एक आतंकवादी था, जो भारत-पाकिस्तान की नर्सों को बंधक बना लेता है और उसको छुड़ाने के लिए टाइगर आईएसआई एजेंट कैटरीना से हाथ मिला लेता है और फिर दिल भी. इसी तरह सैफ अली खान की ‘एजेंट विनोद’ में रॉ एजेंट विनोद आईएसआई एजेंट करीना कपूर से मिलकर दुश्मनों से लड़ता है. अब शाहरुख की ‘पठान’ में भी दीपिका आईएसआई एजेंट के रोल में शाहरुख के साथ मिलकर मिशन में जुटती हैं.
पठान में भी दिखाया गया है ‘नॉन स्टेट एक्टर’ भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं, पाकिस्तानी सरकार नहीं. यही बात तो अपनी सफाई में पाकिस्तान दशकों से कह रहा है, और हमारी फिल्में भी उसी की नीति को आगे बढ़ा देती हैं, जानबूझकर या अनजाने में, मकसद सिर्फ पाकिस्तान और मुस्लिम देशों में अपनी मूवी बेचना होता है बस या शायद कुछ और भी वो, उसके बारे में वो भी जानें.
रोहित शेट्टी की पुलिस वालों की सीरीज की तरह यशराज की भी एजेंट्स की सीरीज बन गई है और सूर्यवंशी की तरह इसमें पठान के साथ टाइगर का भी अहम रोल दिखाया गया है. कबीर की भी कई बार चर्चा की गई है, अगली फिल्मों में ये तीनों एक साथ दिख सकते हैं.
हालांकि कुछ नई कहानी की उम्मीद कर रहे शाहरुख फैंस निराश हो सकते हैं, क्योंकि कहानी वायरस पर है, जो आप हृतिक की ‘कृष’ और तमाम हॉलीवुड मूवीज में देख चुके हैं. इस मूवी में उस वायरस पर पौराणिक राक्षस ‘रक्तबीज’ का फॉर्मूला चढ़ा दिया गया है.
पठान का विरोध कर रहे लोगों को कुछ और बातों से भी आपत्ति हो सकती है. अपनी पत्नी की मौत से खफा जॉन अब्राहम जब भारत के खिलाफ हो जाते हैं, तो पठान शाहरुख से एक डायलॉग बोलते हैं, “मैं अपने आपको उसका आशिक समझता था और तुम बेटा... वो है भारत मां’’. ये ठीक है कई लोगों ने वतन को मां की जगह महबूब माना है, मनोज मुंतशिर के गीत तेरी मिट्टी में मिल जांवा में भी... यही रुख है. लेकिन या तो मां का जिक्र होता है या वतन से आशिकी का. यहां दोनों को मिलाकर डायलॉग विवादित लगता है, मानो जॉन कह रहे हों कि वो भारत मां के आशिक हैं.
एक्शन के शौकीन नहीं होंगे निराश
आपने पठान के ट्रेलर में एक सीन देखा होगा, जिसमें शाहरुख कहते हैं, ‘’पार्टी पठान के घर रखोगे, तो पठान तो आएगा ही और पटाखे भी लाएगा’’. तब ये लगा था कि पठान ये कह रहा है कि हिंदुस्तान में कुछ करोगे तो पठान रोकेगा. लेकिन मूवी में हकीकत कुछ और थी, ये डायलॉग अफगानिस्तान में बोला गया है, जहां शाहरुख एक परिवार को अपना मानता है. लेकिन ये दूसरी तरफ इशारा करता है, चूंकि पठानों का घर अफगानिस्तान माना जाता है, और शाहरुख भी अपने को अफगानी पठान मूल का होने का दावा करते आए हैं, हालांकि पेशावर में उनके कजिन खुद को पठान नहीं मानते. सो शाहरुख एक ही मूवी में अलग अलग दर्शक वर्ग को साधने की कोशिश करते दिखते हैं.
लेकिन एक्शन के शौकीन निराश नहीं होंगे, आपने फोन उठाया या ह्वाट्स एप देखा और आपने एक शानदार सीन मिस किया. क्या चलती और जलती ट्रेन, क्या बाइक, क्या कार और क्या एरो सूट, पानी-वर्फ-हवा-पहाड़, ऊंची इमारतें सब कुछ इस्तेमाल किया गया ताकि आप हॉलीवुड स्तर के स्टंट का मजा ले सकें. पुल टूटने पर ट्रेन के गिरने का सीन वाकई में जबरदस्त है, उस पर सलमान खान का तड़का भी. दीपिका पादुकोणे के हॉट सींस तो पहले से चर्चा में हैं ही.
बावजूद इस स्पीड के मूवी के क्राफ्ट में कई सवाल आपके दिमाग में भी उठेंगे कि जब लूथरा (आशुतोष राणा) ने जॉन अब्राहम के मामले में फैसला लिया तो उससे बदला क्यों नहीं लिया? वो वायरस एक बही शहर तक कैसे सीमित रखते?
पठान: देखें या नहीं?
जो भी हो, इस मूवी में मेहनत हुई है, अब तक की यशराज की एक्शन फिल्मों में सबसे ज्यादा. इस चक्कर में इमोशन थोडे कम हो गए हैं. शाहरुख भले ही एक स्तर से ऊपर नहीं जा पाए, लेकिन जॉन अब्राहम ने असर छोड़ा है. डिंपल कपाड़िया का रोल भी ठीक ठाक है. कई देशों में फिल्म शूट हुई है, 250 करोड़ रुपया खर्च हुआ है जो दिखता भी है. सिनेमेटोग्राफी की तारीफ करनी होगी, लोकेशंस भी बेहतरीन ढूंढे गए हैं, स्पेशल इफैक्ट्स भी असरदार हैं. ऐसे में मूवी एक बार तो देखी ही जा सकती है और छूट भी जाए तो गम भी ना करें.
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