Abhay Deol: फिल्मी पर्दे पर चमकना भी किस्मत की बात होती है. सिनेमा के सौ साल से ज्यादा के इतिहास में तमाम सितारों के भाईयों-बहनों, रिश्तेदारों ने अपनी किस्मत आजमाई. लेकिन जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति चल जाए. जान-पहचान से एंट्री भले मिल जाती है, शौक पूरा हो जाता है परंतु पहचान मिले जरूरी नहीं. धर्मेंद्र आज अस्सी पार की उम्र में भी बड़े पर्दे पर चमक रहे हैं. उनके दो बेटे सनी और बॉबी भी फिल्मों में आए और अपने-अपने समय को उन्होंने एंजॉय किया. धर्मेंद्र की बेटी एशा देओल भी चमकीं. यहां तक कि धर्मेंद्र के भतीजे अभय देओल ने भी नए दौर के सिनेमा में अपनी खास जगह बनाई. अभय हमेशा कहते रहे हैं कि वह अपने ताऊजी धर्मेंद्र को देख कर फिल्मों में आने के लिए प्रेरित हुए. लेकिन क्या आप उनके बारे में एक खास बात जानते हैंॽ
एक्शन से कनेक्शन
वास्तव में अभय देओल के पिता ने भी फिल्मी पर्दे पर एक्टिंग की है. एक-दो नहीं बल्कि आधा दर्जन से ज्यादा फिल्मों में वह 1970 के दशक में हिंदी सिनेमा के पर्दे पर आए हैं. यह अलग बात है कि फिल्मों में उनकी भूमिकाएं छोटी रहीं. धर्मेंद्र के छोटे भाई और अभय देओल के पिता, कुंवर अजीत के नाम से फिल्मों में दिखे. उनका असली नाम था, अजीत सिंह देओल. ज्यादातर वह एक्शन फिल्मों में नजर आए. हिंदी सिनेमा का इतिहास उठाकर देखें तो एक नजर (1972), परछाइयां (1972), दो चोर (1972), खोटे सिक्के (1974), रईसजादा (1976), आखिरी गोली (1977) और तीन इक्के (1999) जैसी फिल्मों में कुंवर अजीत का नाम मिलता है.
अमिताभ की फिल्म
ऐसा नहीं है कि कुंवर अजीत जिन फिल्मों में आए वे कोई नॉन स्टारर फिल्में थी. दो चोर में तो खुद उनके भाई धर्मेंद्र की मुख्य भूमिका थी. जिसे राज खोसला जैसे डायरेक्टर ने बनाया था. रईसजादा में राकेश रोशन थे. जबकि आखिरी गोली में सुनील दत्त लीड रोल में थे. फिल्म में अमजद खान भी थे. यही नहीं, अमिताभ बच्चन के शुरुआती दौर की फिल्म एक नजर में कुंवर अजीत ने अहम भूमिका निभाई थी. निर्देशक बी.आर. इशारा की इस फिल्म में अमिताभ के साथ जया भादुड़ी और नादिरा भी थीं. फिल्म के प्रोड्यूसर मोहन खन्ना थे और अजीत सिंह देओल उनके अच्छे दोस्त थे. प्रोड्यूसर ने ही अजीत सिंह से कहा कि वह इस फिल्म में काम करें.
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