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Faizabad Lok Sabha election results 2024: क्या लल्लू सिंह का यह बयान है वजह? BJP विधायक ने बता दी अयोध्या में भाजपा क्यों हारी

Ayodhya Faizabad Lok Sabha Chunav results 2024: जिस अयोध्या पर पूरे देश की निगाहें लगी थीं. भाजपा वहीं हार गई. राम नगरी से आए जनादेश ने सबको चौंका दिया. 1980 में बीजेपी की स्थापना से लेकर रथयात्रा, बाबरी विध्वंस से लेकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और 2024 के चुनाव तक भाजपा के मूल में रहने वाली अयोध्या फैजाबाद सीट पर पार्टी ने जी-जान से खून पसीना बहाया लेकिन ये सीट न जीत सकी.

Faizabad Lok Sabha election results 2024: क्या लल्लू सिंह का यह बयान है वजह? BJP विधायक ने बता दी अयोध्या में भाजपा क्यों हारी
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Shwetank Ratnamber|Updated: Jun 08, 2024, 01:48 PM IST

Faizabad Lok Sabha election results 2024: कहा जाता है कि जिस 'राम' नाम का सहारा लेकर लोग भवसागर से तर जाते हैं. उसी राम नाम को सियासी अस्त्र बनाकर दो से 303 सीटों तक की विजय यात्रा कर चुकी बीजेपी के लिए जब राम मंदिर बनने और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद भी यहां से लोकसभा का चुनाव हारने की खबर आई तो शुरुआत में किसी को भी यकीन नहीं हुआ. लेकिन सच्चाई किसी के छिपाए नहीं छिपती. अयोध्या में बीजेपी की हार की खबर जंगल में लगी आग की तरह फैली.

हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं था जब बीजेपी यहां से हारी हो. पहले भी कई बार ऐसा हुआ. खासकर 1984 के बाद से अयोध्या (फैजाबाद) की सीट समाजवादी पार्टी ने दो बार अपनी झोली में डाली. कांग्रेस भी दो बार ये सीट जीती. यहां तक कि बसपा ने भी यहां जीत दर्ज की. हालांकि राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के बाद बीजेपी इस बार यहां से हार जाएगी ये किसी ने सोचा भी नहीं था.

अयोध्या हार की समीक्षा जारी

लगातार तीसरी बार केंद्र सरकार बनाने जा रही BJP से लेकर सभी पार्टियां चुनावी नतीजों की समीक्षा कर रही हैं. बीजेपी, अयोध्या में कैसे हार गई? इसका विश्लेषण करने के दौरान गली चौराहों से लेकर सोशल मीडिया तक हाय तौबा मची रही. दरअसल राम मंदिर के शिलान्यास से लेकर भव्य राम मंदिर (Ram Temple) बनने और वहां रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से अबतक अयोध्या न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर की सुर्खियों में रही. अमेरिका से लेकर पाकिस्तान तक में अयोध्या में बीजेपी की हार की चर्चा हुई. इस बीच पूर्वी यूपी के एक बीजेपी विधायक ने ही अयोध्या हारने की वजह बताई है. 

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अयोध्या किसी की पारंपरिक सीट और गढ़ नहीं

बीते कुछ सालों में अयोध्या की तुलना भारत के विकसित शहरों से होने लगी. कम समय में घनघोर विकास यानी वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन से लेकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनने के बाद भी जब बीजेपी अयोध्या यानी फैजाबाद लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी से हार गई तो बीजेपी आलाकमान से लेकर नीचे तक हड़कंप मच गया.

अयोध्या/फैजाबाद संसदीय सीट किसी भी सियासी दल का गढ़ यानी पारंपरिक सीट नहीं है. बीते 30-40 साल के नतीजों को देखें तो भगवान राम की जन्मभूमि यानी चक्रवर्ती सम्राट दशरथ के साम्राज्य का हिस्सा रहे इस भूभाग से सपा, कांग्रेस और अन्य भी चुनाव जीते है. यहां बात लल्लू सिंह की हार की कारणों की.

पीएम मोदी कर रहे निगरानी

बीजेपी की समीक्षा जारी है. पीएम मोदी खुद अयोध्या की हार की वजह जानने के लिए जारी पड़ताल की निगरानी कर रहे हैं. हालांकि पार्टी का कोई अधिकृत बयान नहीं आया है लेकिन इसी बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश की रुद्रपुर देवरिया सीट से बीजेपी विधायक जय प्रकाश निषाद ने अयोध्या में चुनाव हारने के वजह बता दी है.

दरअसल देवरिया जनपद में रुद्रपुर से भाजपा विधायक जयप्रकाश निषाद अपने आवास पर पत्रकारों से रुबरु हुए. वहां उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 14 क्लस्टर प्रभारी बनाए गए थे. जिसके एक विधायक को चार से पांच लोकसभा सीटों को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इसमे गोरखपुर के क्लस्टर प्रभारी वह खुद थे.

उनके क्लस्टर में गोरखपुर, बांसगांव, देवरिया, कुशीनगर और महाराजगंज में भाजपा के प्रत्याशी की जीत हुई है. इसी को लेकर विधायक जी ने जनता का आभार जताते हुए उन्हें धन्यवाद दिया और अयोध्या हारने की वजह बताकर सबको सन्न कर दिया.

क्यों हारे अयोध्या? लल्लू सिंह का बड़बोलापन इसकी वजह

अयोध्या से भाजपा की हार के सवाल पर क्लस्टर प्रभारी और भाजपा विधायक ने कहा, 'यह लल्लू सिंह (Lallu Singh) का यह बड़बोलापन है जिसने उन्हें चुनाव हरवा दिया. दरअसल उन्होंने एक बयान दिया था कि मोदी जी को चार सौ पार दिलाइये संविधान बदलना है. इस बयान से अनुसूचित जाति वाले समाज मे यह डर फैल गया की मोदी जी की चार सौ पार से सरकार आएगी तो बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान बदल देगी. संविधान बदलने के मुद्दे को कांग्रेस और सपा दोनों ने बड़े आक्रामक तरीके से अनुसूचित समाज को गुमराह किया. जिससे जो अनुसूचित समाज कभी समाजवादी पार्टी के पास नहीं सटता था उसने भी सपा को वोट किया और हम लोग यानी भाजपा इस बात को काउंटर नहीं कर पाए कि सपा और कांग्रेस झूठ बोल रही है. इसी वजह से बीजेपी न सिर्फ अयोध्या ही नहीं बल्कि कुछ और सीटें भी हार गई.'

जातियों पर भाजपा हार गई...

1990 के दशक में बीजेपी अयोध्या में मजबूत हुई. यहां से बीजेपी के बड़े कुर्मी और कट्टर हिंदूवादी चेहरे विनय कटियार ने 3 बार जीत दर्ज की. वहीं सपा के मित्रसेन यादव तीन बार यहां से सांसद बने. बीजेपी ने अयोध्या में अपने ओबीसी चेहरे विनय कटियार को हटाकर 2004 में लल्लू सिंह को  मौका दिया. हालांकि लल्लू सिंह 2014 और 2019 में तब जीते जब देशभर में प्रचंड मोदी लहर थी. वहीं हिंदुत्व का मुद्दा भी लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रहा था. 2014 में तो यूपी में कांग्रेस, सपा और बसपा सब खात्मे के कगार पर आ गए थे लेकिन दस साल बाद 2024 में जैसे ही चुनाव जातियों पर आया भाजपा यहां से निपट गई.

जो राम को लाए हैं... बनाम अयोध्या में न मथुरा न कासी सिर्फ अवधेश पासी! 

बीजेपी के कई नेता खुलकर तो नहीं कहते लेकिन अंदरखाने मानते हैं कि अयोध्या फैजाबाद में इस बार बीजेपी का पॉपुलर गीत जो राम को लाए हैं हम उनको लाएंगे कुछ काम नहीं आया. यहां पिछड़े और दलित मतदाताओं में आरक्षण खोने का डर इस कदर बैठा कि 2024 में नतीजा ये निकला कि जनता को सपा के विधायक अवधेश प्रसाद पासी पसंद आए गए तो मिल्कीपुर विधानसभा सीट से विधायक थे.

यहां से मोदी जी भी लड़ते तो हार जाते: अवधेश पासी

अब इसे सपा का आत्म विश्वास कहें या इस सीट से विजेता अवेधश का ओवर कॉफिंडेंस, जो हाल ही उन्होंने कहा- 'चर्चा तो PM नरेंद्र मोदी के अयोध्या से चुनाव लड़ने की हो रही थी. हम भी खुश थे कि अब अच्छा समय आएगा कि मोदी जी यहां से चुनाव लड़ें. हम जानते थे कि जनता मेरे साथ है. इस बार पीएम भी अयोध्या से लड़ते तो चुनाव हार जाते.'

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने यहां से एक जबरदस्त और कामयाब प्रयोग किया. उन्होंने सामान्य श्रेणी की इस सीट से दलित समुदाय (पासी) के अवधेश प्रसाद को लड़ाया और वो जीत गए. वो अवधेश जीते जो अपने प्रचार के दौरान कहते रहे कि जीत तो राम जी की होगी. गौरतलब है कि भगवान राम का एक नाम 'अवधेश' भी है.

1990 और 2024 के नतीजों का तुलनात्मक अध्यन

1991 में जब भाजपा के विनय कटियार ने फैजाबाद का लोकसभा चुनाव जीता उस साल फैजाबाद की पांचों विधानसभा सीटों (अयोध्या, रुदौली, मिल्कीपुर, बीकापुर और दरियाबाद) पर भाजपा जीती. लेकिन 2024 में अयोध्या/फैजाबाद लोकसभा चुनाव में से बीजेपी सिर्फ अयोध्या विधानसभा में जीती और बाकी चार रुदौली, मिल्कीपुर, बीकापुर और दरियाबाद से हार गई. 

वहीं 30 साल पहले 1994 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा अयोध्या को छोड़कर बाकी चारों विधानसभा सीट हार गई. मस्जिद टूटी हो या मंदिर बना हो फैजाबाद के लोगों ने अपने जनादेश से लोगों को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर किया है.

साल     कैंडिडेट पार्टी नतीजा
1999   विनय कटियार बीजेपी जीत
2004 मित्रसेन यादव   बसपा जीत
2009 निर्मल खत्री कांग्रेस जीत
2014 लल्लू सिंह बीजेपी जीत
2019 लल्लू सिंह बीजेपी जीत
2024 अवधेश पासी सपा जीत

 

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