SP Lok Sabha Candidate 2024: यूपी में कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी गठबंधन के खिलाफ ताल ठोक रही सपा अब तक लोकसभा उम्मीदवारों की 3 सूची जारी कर चुकी है. तीनों सूचियों में उसका जोर पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यकों को साधने पर रहा है. इन तीनों तबकों को सपाई नेता गर्व से PDA कहते नहीं थकते. वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव भी अपने इसी जाति कॉम्बिनेशन यानी PDA को अपना भगवान बताते हैं. अगर सपा की अब तक घोषित हुई तीनों सूचियों को देखें तो साफ नजर आता है कि उसने सारी रणनीति PDA को ध्यान में रखकर ही बनाई हैं.
PDA के जरिए जंग जीतने की कोशिश
सपा ने अपनी पहली सूची में कुल 16 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से 1 दलित, 11 पिछड़ा, 1 मुस्लिम और 3 सामान्य जाति के उम्मीदवार थे. इसके बाद घोषित की गई दूसरी सूची में कुल 11 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए गए थे. उस लिस्ट में 3 दलित, 1 मुस्लिम, 6 पिछड़ा और 2 सामान्य वर्ग के प्रत्याशी थे.
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) March 15, 2024
4 सूची में अब 38 उम्मीदवारों को टिकट
वहीं 20 फरवरी को घोषित की गई तीसरी लिस्ट में 5 प्रत्याशियों के नाम जारी किए गए थे. इस लिस्ट में 2 पटेल, 1 मुस्लिम, 2 सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के नाम थे. चौथी सूची में सपा ने कुल 6 सीटों पर अपने कैंडिडेट घोषित किए हैं. इनमें 3 दलित, 2 पिछड़ा और 1 सामान्य जाति के उम्मीदवार हैं. इन चारों सूचियों को देखने से साफ पता चलता है कि पार्टी अब तक 4 सूची जारी कर 38 सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर चुकी है, जिसमें मुस्लिमों के हिस्से में केवल 3 टिकट आए हैं.
मुस्लिम नेताओं को टिकट देने से परहेज!
सपा की तीनों सूचियों को ध्यान से देखने पर एक बात साफ नजर आ रही है कि वह अपने कोर वोट बैंक मुसलमानों को टिकट देने से कतरा रही है. इसकी वजह चुनावों में बीजेपी को धुव्रीकरण करने से रोकना माना जा रहा है. पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि दलित- पिछड़ों को ज्यादा टिकट देने से इन समुदायों के वोट तो मिलेंगे ही, साथ ही उसके कोर वोट बैंक मुसलमानों के वोट भी मिल जाएंगे, जिससे उसकी जीत पक्की हो जाएगी. लेकिन मुसलमानों को ज्यादा टिकट देने से हिंदू मतदाता बीजेपी के पीछे गोलबंद हो सकते हैं. जिससे उसे पिछले 10 सालों की तरह इस बार भी करारी हार झेलनी पड़ सकती है. यही वजह है कि वह मुस्लिम नेताओं को ज्यादा टिकट देने से संकोच करती नजर आ रही है.
कहीं सपा के अरमान धो न दे बसपा?
हालांकि बसपा उसकी इस रणनीति को पंक्चर करती दिख रही है. पार्टी के जोनल को-ऑर्डिनेटरों की ओर से अब तक 7 सीटों पर बसपा उम्मीदवारों की घोषणा की जा चुकी है. उनमें से 5 सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारे गए हैं. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि मुस्लिम मतदाताओं का एक बड़ा तबका बसपा की ओर शिफ्ट हो सकता है, जिससे सपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है. फिलहाल पार्टियों के इस दांव-पेंच पर वोटर चुप हैं और उनका फैसला क्या होता है, यह नतीजे वाले दिन ही पता चल पाएगा.