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मुसलमानों पर प्यार लुटाने में आगे..टिकट देने में पीछे, कांग्रेस-सपा दोनों ने क्यों काट ली कन्नी

Muslim Representation: इन आंकड़ों पर इसलिए भी नजर डालना जरूरी है क्योंकि इस लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों का मामला जमकर चर्चा में है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मुस्लिमों की बात करती है, ऐसे में उन्होंने टिकट कितनों को दिया है, यह समझना चाहिए.

मुसलमानों पर प्यार लुटाने में आगे..टिकट देने में पीछे, कांग्रेस-सपा दोनों ने क्यों काट ली कन्नी
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Gaurav Pandey|Updated: May 18, 2024, 04:08 PM IST

Loksabha Chunav 2024: अगर इस लोकसभा चुनाव प्रचार को कभी इतिहास के आंकड़े में दर्ज किया जाएगा तो इस प्रचार में दिए गए बयानों की चर्चा भी होगी. पीएम मोदी से लेकर राहुल गांधी और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों ने भी हिंदू मुस्लिम का मुद्दा जोरशोर से उठाया है. बीजेपी पर पार्टियां भले ही आरोप लगाती रहती हैं कि बीजेपी कभी भी मुस्लिमों को ना तो टिकट देती है और ना ही मुस्लिमों के लिए कोई काम करती है. ऐसे में बीजेपी का भी पलटवार रहता है कि कांग्रेस, सपा समेत अन्य पार्टियां कांग्रेस के वोट बैंक पर सिर्फ राजनीति करती है.

असल में यह बात इसलिए है क्योंकि ये थाह लेना जरूरी है कि इन चुनावों में किस पार्टी ने कितने मुसलमानों को टिकट दिया है. जब आंकड़ों पर नजर डालते हैं तो सारा सच सामने आ रहा है. सच तो ये है कि कुछ पार्टियां मुसलमानों पर प्यार लुटाने में आगे हैं लेकिन टिकट देने में पीछे हैं. यहां तक कि कांग्रेस-सपा दोनों ने कन्नी काट ली है.

जरा आंकड़ों पर नजर डालते हैं 

चूंकि इस बार चुनाव में हिंदू मुसलमान कुछ ज्यादा हुआ है, ऐसे में यह जानना और जरूरी है. कांग्रेस ने इस चुनाव में कुल 16 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है. अगर उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की बात की जाए तो मुस्लिमों की हिमायती सपा ने सिर्फ 4 मुस्लिम उम्मीदवार ही खड़े किए हैं. लालू प्रसाद यादव की आरजेडी भी आंकड़ों पर खरी नहीं उतर रही है. उसने सिर्फ दो मुसलमानों को टिकट दिए हैं. 

इंडिया गठबंधन का टोटल आंकड़ा.. 

कई कई राज्य तो ऐसे हैं जहां पर कांग्रेस ने एक भी मुस्लिम उमीदवार को टिकट नहीं दिया है. महाराष्ट्र और गुजरात का यही हाल है, यहां कांग्रेस ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है. अब अगर इंडिया गठबंधन की बात की जाए तो कुल 34 मुस्लिम प्रत्याशियों को इस बार इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने चुनाव में उतारा है।  

अब आंकड़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुस्लिमों के नाम पर वोट मांगने वाली पार्टियां चुनाव में कितने मुस्लिमों को टिकट दे रही हैं. जबकि प्रचार में तो कोई पार्टी मुस्लिमों को आरक्षण देने की बात कर रहा है तो कोई उनका विरोध करते हुए घुसपैठिया बता रही है. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व का औसत क्या है.

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