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Odisha Result 2024: नवीन बाबू ने जितने ठाठ से किया राज, उतने ही बेआबरू होकर सत्ता से हुए बाहर; अपनी सीट तक हार बैठे

Odisha Assembly Election Result 2024: ओडिशा में पिछले ढाई दशक से जारी नवीन पटनायक युग अब बीते वक्त की बात हो गया है. उन्हें लोकसभा चुनाव में तो नुकसान हुआ ही, राज्य की सत्ता हाथ से भी निकल गई. यहां तक कि सीएम पटनायक अपनी सीट भी हार गए.  

Odisha Result 2024: नवीन बाबू ने जितने ठाठ से किया राज, उतने ही बेआबरू होकर सत्ता से हुए बाहर; अपनी सीट तक हार बैठे
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Devinder Kumar|Updated: Jun 04, 2024, 11:08 PM IST

Odisha Election Result 2024 in Hindi: ओडिशा पर पिछले 24 साल से एकछत्र राज कर रहे नवीन पटनायक ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी इस तरह से विदाई होगी. ढाई दशक तक जिस राज्य में उन्होंने ठाठ से राज किया, वहीं पर बेआबरू होकर उन्हें सत्ता से बाहर होना पड़ा. उनकी पार्टी न केवल राज्य में लोकसभा चुनाव हार गई, बल्कि असेंबली का चुनाव भी गंवा बैठी. इतना ही नहीं नहीं, खुद सीएम नवीन पटनायक एक सीट से असेंबली चुनाव हार गए. 

वर्ष 2000 से ओडिशा के सीएम

बीजू जनता दल पार्टी के मुखिया नवीन पटनायक वर्ष 2000 से ओडिशा के सीएम रहे. उनकी सरल जीवन शैली, पब्लिक से बात करने का आत्मीय ढंग और सरकार पर मजबूत पकड़ की वजह से वे 24 साल तक राज्य में अजेय रहे. बीजेपी और कांग्रेस ने कई बार उनकी सत्ता को हिलाने की कोशिश की लेकिन नाकामयाब रहे. 

हालांकि इस बार वह हो गया, जिसका नवीन पटनायक को भी अंदाजा नहीं था. पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने राज्य में भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर-शोर से उठाया. पटनायक की गिरती सेहत और उनकी पूर्व आईएएस पांडियन पर निर्भरता से भी बीजेपी को उन पर निशाना साधने का मौका मिला. बीजेपी नेताओं ने रैलियों में कहा कि अब कोई भी फैसला सीएम पटनायक खुद नहीं लेते, बल्कि वे एक 'तमिल बाबू' के कहने पर चल रहे हैं.

बीजेपी के प्रचार का लोगों पर पड़ा असर

बीजेपी के इस प्रचार का लोगों पर काफी फर्क पड़ा. राज्य में सक्रिय आरएसएस कार्यकर्ताओं ने पिछले 20 सालों में लगातार काम करके बीजेपी के लिए माहौल तैयार किया. लगातार ढाई दशकों से एक ही पार्टी का शासन देखते- देखते लोग भी बीजेडी से उकता चुके थे. ऐसे में जब बीजेपी ने राज्य में बदलाव का नारा दिया तो लोगों ने उसे हाथोंहाथ लपक लिया. 

वहीं ओडिशा में लोकसभा की कुल 21 सीटें हैं, जिनमें से रात 10 बजे तक 14 सीटों पर रिजल्ट आ चुका था. इनमें बीजेपी 13 सीटें जीत चुकी थी और 6 पर आगे चल रही थी. वहीं कांग्रेस ने एक सीट जीती. जबकि बीजू जनता दल केवल एक सीट जीतता दिख रहा था. यह उसकी अब तक की करारी हार रही.

लोकसभा के साथ असेंबली चुनाव भी हारे

वहीं ओडिशा असेंबली की 147 सीटों में रात 10 बजे तक 141 के नतीजे सामने आ चुके थे. जबकि 6 सीटों पर गिनती जारी थी. इनमें से बीजेपी 73 सीटें जीतकर अपनी झोली में डाल चुकी थी और 5 पर आगे चल रही थी. जबकि कांग्रेस ने 14 सीटें, माकपा ने 1 और निर्दलीय ने 3 सीटें जीतीं.

सत्तारूढ़ बीजू जनता दल के हिस्से में 50 सीटें आईं और 1 सीट पर उसकी बढ़त बनी हुई थी. राज्य में चुनाव जीतने के लिए असेंबली में 74 सीटें जीतना जरूरी है. इसका मतलब ये हुआ कि ओडिशा में नवीन पटनायक का युग अब खत्म हो गया है और बीजेपी अब वहां की सरकार है.

बेआबरू होकर गंवानी पड़ी सत्ता

नवीन पटनायक के लिए शर्मिंदगी केवल यहीं तक नहीं रही.  इस बार वे दो सीटों पर असेंबली चुनाव लड़े थे. इनमें से कांताबंजी सीट पर वे आखिरी राउंड तक बीजेपी प्रत्याशी लक्ष्मण बाग के हाथों 16 हजार वोटों से पिछड़े हुए थे. यानी उनकी हार तय थी हालांकि चुनाव आयोग की ओर से तब तक औपचारिक घोषणा नहीं हुई थी. 

दूसरी हिंजली सीट उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी सिसिर कुमार मिश्रा से जीत ली लेकिन यहां पर उनकी जीत का आंकड़ा महज 4636 रहा यानी वे हारते-हारते बचे. पीएम मोदी की लोकप्रियता और बीजेपी की सटीक रणनीति इस बार नवीन पटनायक के अवसान की बड़ी वजह बन गई. 

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