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Jehanabad Lok Sabha Chunav Result 2024: जहानाबाद में आरजेडी को मिली सफलता, सुरेंद्र प्रसाद यादव ने 443035 हासिल कर दर्ज की जीत

Jehanabad Lok Sabha Election 2024 News: बिहार के जहानाबाद, अरवल और गया तीन जिलों के छह विधानसभा क्षेत्रों को समेट कर जहानाबाद लोकसभा सीट का गठन किया गया है. 1996 के बाद जहानाबाद सीट पर कोई पार्टी का उम्मीदवार दोबारा नहीं जीत सका.

Jehanabad Lok Sabha Chunav Result 2024: जहानाबाद में आरजेडी को मिली सफलता, सुरेंद्र प्रसाद यादव ने 443035 हासिल कर दर्ज की जीत
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Keshav Kumar|Updated: Jun 06, 2024, 01:02 PM IST

Jehanabad Lok Sabha Chunav Result 2024: बिहार के 40 लोकसभा सीटों में एक जहानाबाद काफी चर्चित चुनावी इतिहास को समेटे हुए है. मध्य बिहार में सोन, पुनपुन और फल्गु नदी से सिंचित वाणभट्ट की धरती कहे जाने वाले जहानाबाद को राजनीतिक और सामाजिक रुप से काफी जागरूक इलाका माना जाता है.  जहानाबाद, अरवल और गया तीन जिलों के छह विधानसभा क्षेत्रों जहानाबाद, मखदुमपुर, घो सी, अरवल, कुर्था और अतरी को मिलाकर बनाए गए जहानाबाद लोकसभा सीट में एक समय सामाजिक, राजनीतिक और वैचारिक चेतना के आधार पर चुनावी मुद्दों को लेकर बहस होती थी. बाद के दिनों में जहानाबाद लोकसभा की राजनीति पर जातीय समीकरण पूरी तरह हावी हो गया.

कांग्रेस के बाद कम्युनिस्टों फिर समाजवादी दलों की जीत

जहानाबाद की राजनीति में शुरुआत में कांग्रेस के बाद कम्युनिस्टों को मजबूती मिली तो समाजवादी विचारधारा को भी फलने-फूलने का पूरा अवसर मिला. जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में साल 1996 में हुए लोकसभा चुनाव तक साम्यवाद को खाद-पानी मुहैया होता रहा. लेफ्ट का यह बोलबाला सीपीआई से राजद की समर्थन वापसी से ढह गया. वामपंथ का गढ़ धराशायी होने के बाद जहानाबाद में साल 1998 के बाद से समाजवादी ही एक-दूसरे के खिलाफ लड़ते और जीतते-हारते रहे हैं. मुख्यधारा की राष्ट्रीय पार्टी भाजपा और कांग्रेस ने जहानाबाद में क्षेत्रीय दलों की मददगार की भूमिका में ही अपने अस्तित्व को स्वीकार कर लिया है.

यादव और भूमिहार बहुल जहानाबाद लोकसभा में बदला रिवाज

यादव और भूमिहार जाति बहुल जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में साल 1977 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो यादव और भूमिहार जाति के नेता ही आमने-सामने के मुकाबले में रहे हैं. साल 1998 के बाद से हुए लोकसभा चुनाव में  जहानाबाद में चार बार जदयू और दो बार राजद ने जीत हासिल की है. लोकसभा चुनाव 2019 में एनडीए ने नया प्रयोग किया और अतिपिछड़ा समुदाय के चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी पर दांव लगाया. एनडीए उम्मीदवार ने चुनावी जीत हासिल कर नेतृत्व का भरोसा भी जीता. चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी ने राजद प्रत्याशी सुरेंद्र यादव को 1751 वोटों के मामूली अंतर से पराजित किया. वहीं, जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार तीसरे नंबर पर रहे थे.

जहानाबाद की सभी विधानसभा सीटों पर महागठबंधन काबिज

जहानाबाद संसदीय क्षेत्र के सभी छह विधानसभा सीटों पर फिलहाल महागठबंधन का कब्जा है. चार विधानसभा सीट में राजद के विधायक हैं और दो विधानसभा में भाकपा माले के विधायक हैं. जहानाबाद विधानसभा सीट से राजद के सुदय यादव, मखदुमपुर विधानसभा सीट से राजद के सतीश दास, घोसी विधानसभा क्षेत्र से भाकपा माले के विधायक रामबली सिंह यादव, अरवल जिले के अरवल विधानसभा क्षेत्र से भाकपा माले के विधायक महानंद सिंह, कुर्था विधानसभा से राजद के बागी कुमार वर्मा और गया जिले के अतरी विधानसभा क्षेत्र से राजद के अजय यादव सिटिंग विधायक हैं. 

नक्सल पीड़ित और नरसंहारों का दंश झेल चुके जहानाबाद का चुनावी इतिहास

कृषि प्रधान जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र नक्सली आतंक से पीड़ि‍त रहा है. साथ ही कई दशकों तक कई नरसंहारों का दंश भी झेला है. जहानाबाद में पर्यटक स्थलों के रूप में मौर्यकालीन वाणावर गुफा के साथ ही सूफी सर्किट से जुड़ी बीबी कमाल की मजार भी है. जहानाबाद में 1952 में सोशलिस्ट पार्टी के बिगेश्वर मिश्रा सांसद बने. उनके बाद 1957 से लेकर 1962 तक कांग्रेस की सत्यभामा देवी सांसद रहीं. 1967 से 1971 तक सीपीआई के चंद्रशेखर सांसद रहे. 1977 में जनता पार्टी के हरिलाल प्रसाद सिन्हा चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. 2004 में राजद के गणेश प्रसाद सिंह और 2009 के चुनाव में जदयू के डॉ. जगदीश शर्मा जहानाबाद से जीते. लोकसभा चुनाव 2014 में डॉ. अरुण कुमार जहानाबाद के सांसद बने. वहीं, 2019 में जदयू के चंदेश्वर प्रसाद को जनता ने चुनकर संसद में भेजा.

जहानाबाद के मुगलकालीन नामकरण की कहानी, भूगोल और डेमोग्राफी

जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में 15 लाख 80 हजार 563 वोटर हैं. इनमें  पुरुष  मतदाता 6,80,766 और महिला वोटर 5,96,146 है. जहानाबाद लोकसभा सीट पर थर्ड जेंडर के 284 और फर्स्ट टाइम मतदाता बने लोगों की संख्या करीब 17 हजार है. राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से 1057 किलोमीटर और बिहार की राजधानी पटना से करीब 48 किलोमीटर दूर स्थित जहानाबाद के नामकरण को कई इतिहासकार मुगल शासक औरंगजेब के समय की जहांआरा से जोड़ते हैं. कहते हैं कि तब जहांआरा नाम की मंडी की स्थापना होने के कारण इस क्षेत्र का नाम जहानाबाद पड़ गया.

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