INDIA Seat Sharing: करीब नौ महीने पहले, जून 2023 में 16 विपक्षी दलों के बड़े नेता पटना में मिले थे. दोबारा बेंगलुरु में मिलना हुआ तो INDIA नाम से गठबंधन अस्तित्व में आया. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले 26 विपक्षी पार्टियां एक छत के नीचे मौजूद थीं. सियासी जानकारों ने कहा कि सत्ताधारी बीजेपी के लिए यह INDIA धड़ा बड़ी चुनौती बनेगा. आधी से ज्यादा फरवरी गुजर चुकी है, शायद अगले महीने आम चुनाव का कार्यक्रम भी घोषित हो जाए. अब तक INDIA ब्लॉक के दल यह तय नहीं कर पाए हैं कि कौन, कहां से चुनाव लड़ेगा. नीतीश कुमार और जयंत चौधरी ने तो परेशान होकर पाला ही बदल लिया. ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, फारूक अब्दुल्ला जैसे क्षत्रप कांग्रेस का हाथ झटक चुके हैं. उनकी पार्टियां राज्यों में अकेले चुनाव लड़ने वाली हैं. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी अब कांग्रेस पर लाल हैं. अखिलेश ने कहा है कि जब तक सीट शेयरिंग पर बात फाइनल नहीं होती, सपा कांग्रेस की 'न्याय यात्रा' का हिस्सा नहीं बनेगी. अखिलेश के तेवर बताते हैं कि बीजेपी को हराने की मंशा लेकर नौ महीने पहले साथ आए विपक्षी दल नौ कदम भी साथ नहीं चल सके हैं. INDIA की हालत उस घोड़े जैसी हो गई है जो रेस शुरू होने से पहले ही लंगडाने लगा है.
कांग्रेस MP राहुल गांधी के नेतृत्व में 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' फिलहाल उत्तर प्रदेश से गुजर रही है. अखिलेश का बयान साफ इशारा है कि वह कांग्रेस के रवैये से नाखुश हैं. सपा सुप्रीमो ने सोमवार को कहा, 'हमारी कई राउंड की चर्चा हुई है, कई लिस्ट एक्सचेंज हुई है. जब सीट-शेयरिंग हो जाएगी, तब समाजवादी पार्टी उनकी (कांग्रेस) न्याय यात्रा में शामिल होगी.' सूत्रों के मुताबिक, सपा ने यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को 15 सीटें देने का ऑफर दिया था. सोमवार को सपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 11 उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी है.
जून 2023 से लेकर फरवरी 2024 के बीच, विपक्ष की सियासी एकजुटता बनती कम और बिखरती ज्यादा दिखी है. सितंबर 2023 में, मुंबई में INDIA धड़े की तीसरी बैठक में तीन बिंदुओं का प्रस्ताव पारित किया गया था. इसमें कहा गया था कि 2024 के आम चुनाव 'जहां तक संभव हो सके,' मिलकर लड़े जाएंगे. यहां तक विपक्षी गठबंधन के नेताओं का जोश देखते ही बन रहा था. मगर 19 दिसंबर 2023 को INDIA धड़े की चौथी बैठक होते-होते हालात बदल गए. जैसे ही राज्यों में सीटों के बंटवारे की बात आई, सारी एकजुटता नेपथ्य में चली गई.
- INDIA को पहला बड़ा झटका दिया पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने. TMC ने INDIA में शामिल सहयोगियों- कांग्रेस और लेफ्ट से दूरी बनाते हुए अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, TMC ने कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें ऑफर की थीं जो उसे नागवार गुजरा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर गांधी परिवार के दखल पर भी बात नहीं बनी.
- विपक्षी एकता की कोशिशों को एक और झटका पंजाब में लगा. राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. दिल्ली और गुजरात समेत अन्य राज्यों में भी AAP अकेले ही उतरने की प्लानिंग कर रही है.
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— Zee News (@ZeeNews) February 19, 2024
- केरल में भी कांग्रेस और CPI (M) के बीच गठबंधन अटका है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पिछले दिनों कहा था कि ''केरल में, यह कल्पना करना लगभग असंभव है कि INDIA गठबंधन के दो प्रमुख घटक मतलब सीपीआई (एम) और कांग्रेस, कभी सीट-बंटवारे पर सहमत होंगे."
- INDIA धड़े को सबसे बड़ा झटका तो पिछले महीने ही लगा है. जिन नीतीश कुमार ने पूरे गठबंधन की परिकल्पना की और पार्टियों को साथ लाने के लिए खूब दौड़भाग की, वही अलग हो गए. बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के नेता ने कांग्रेस-लेफ्ट और राजद के साथ बनाए महागठबंधन से नाता तोड़ लिया और बीजेपी नीत NDA में चले आए.
- नीतीश की रुखसती ने साफ कर दिया कि INDIA में कुछ भी ठीक नहीं है. ज्यादा दिन नहीं बीते थे कि जयंत चौधरी की RLD ने भी INDIA का दामन छोड़ BJP से हाथ मिला लिया. पिछले हफ्ते, जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भी कह दिया कि उनकी पार्टी तो अकेले ही चुनाव लड़ेगी.
INDIA गठबंधन बनाने के पीछे दलील थी कि बिखरे हुए विपक्ष का बीजेपी को हरा पाना मुश्किल है, इसलिए साथ मिलकर लड़ा जाए. लेकिन गठबंधन की दरारें लगातार बढ़ती जा रही हैं. दिसंबर में बीजेपी ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतकर INDIA के लिए मुश्किलें और बढ़ा दी. कई राजनीतिक विशेषज्ञ INDIA के इस हाल का ठीकरा कांग्रेस के सिर फोड़ते हैं. सीट शेयरिंग पर कांग्रेस का रवैया सहयोगी दलों को रास नहीं आया. नीतीश भी INDIA से अलग होने के बाद कांग्रेस को ही कोस रहे थे.
अगर विपक्ष को लोकसभा चुनाव में मजबूत चुनौती पेश करनी है तो जल्द से जल्द सीटों का बंटवारा करना होगा. बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी तीसरे कार्यकाल को लेकर निश्चित हैं. अगर विपक्ष ने गलतियां नहीं सुधारीं तो 2024 के परिणाम 2019 से चुनाव से ज्यादा अलग नहीं होंगे.