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हरियाणा चुनाव: CM बनने की ख्वाहिश, पर अंबाला कैंट सीट से अनिल विज की राह नहीं आसान

Haryana Vidhan Sabha Chunav: अंबाला कैंट हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 की एक हॉट सीट है. अनिल विज यहां से एक बार फिर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इस बार उनकी सीट चर्चा में इसलिए भी है क्योंकि वह सीएम बनने की ख्वाहिश रखते हैं. उधर, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की तरफ से धाकड़ उम्मीदवार उतारने से मुकाबला त्रिकोणीय हो चला है.

हरियाणा चुनाव: CM बनने की ख्वाहिश, पर अंबाला कैंट सीट से अनिल विज की राह नहीं आसान
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Anurag Mishra|Updated: Sep 24, 2024, 07:12 AM IST

Ambala Cantt Vidhan Sabha Chunav: 2014 में जब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी और नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली, उसी साल हरियाणा की सत्ता में भी भाजपा की वापसी हुई थी. 10 साल तक शासन करने के बाद लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी करना पार्टी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. भारतीय जनता पार्टी की हरियाणा यूनिट में कई दिग्गज नेता हैं, जो समय-समय पर मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश करते आए हैं. इसमें एक नाम अनिल विज का भी है. छह बार के विधायक और दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बन चुके अनिल विज समय-समय पर प्रदेश का मुखिया बनने की अपनी व्यक्तिगत चाहत दिखा चुके हैं. हालांकि इस बार दिग्गज नेता की अंबाला कैंट सीट पर जीत उतनी आसान नहीं है.

जी हां, अनिल विज लगातार चौथी बार इस सीट से चुनाव मैदान में हैं. भारतीय जनता पार्टी ने अंबाला कैंट विधानसभा सीट से 71 साल के अनिल विज को उम्मीदवार बनाया है. वह इस सीट से छह बार से विधायक रह चुके हैं. हालांकि इस बार विधायक बनने की राह उनके लिए पहले जैसी आसान नहीं होगी.

इस बार कांटे का मुकाबला

दरअसल, कांग्रेस ने कुमारी शैलजा के करीबी पूर्व पार्षद परविंदर सिंह परी को टिकट दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विश्वासपात्र निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के बाद अंबाला छावनी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. कुछ घंटे पहले खबर आई कि निर्दलीय चुनाव लड़ रही सरवारा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कांग्रेस पार्टी ने 6 साल के लिए निलंबित कर दिया है.

'आप' ने राज कौर गिल को टिकट देकर आधी आबादी को साधने की कोशिश की है. वहीं इनेलो-बसपा गठबंधन से ओंकार सिंह, जजपा-असपा गठबंधन से करधान मैदान में हैं. पूर्व कांग्रेस नेता चित्रा सरवारा ने इस विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार को रूप में ताल ठोका है. वह प‍िछली बार दूसरे स्‍थान पर थीं.

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अनिल विज के सामने इनकंबेंसी की भी बड़ी चुनौती है. कई चुनावी विश्लेषक मानते हैं कि अगर किसी दल की सरकार लगातार दो या उससे अधिक बार सत्ता में रहती है, तो वोटरों का रुझान उसकी तरफ थोड़ा कम होता है.

वोटरों का समीकरण

अगर मतदाताओं की बात करें, तो अंबाला कैंट में पंजाबी और जट सिख के करीब 80 हजार मतदाता हैं. दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा वैश्य समाज के वोटरों की संख्या है. भाजपा को यहां पर पंजाबी और जट सिख के वोटर्स पर भरोसा है. दूसरी तरफ ओबीसी समाज को भी लेकर भी पार्टी आश्वस्त है. विज को मुख्यमंत्री की दावेदारी पेश करने का भी एडवांटेज मिल सकता है. अगर विज इस बार चुनाव जीतते हैं, तो अंबाला कैंट से लगातार चार बार और कुल सात बार विधायक बनने का तमगा उनके सिर लगेगा.

90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में पांच अक्टूबर को मतदान होना है. इसके नतीजे आठ अक्तूबर को सामने आएंगे. जहां पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही थी, वहीं 'आप' की एंट्री ने चुनाव को त्रिकोणीय मोड़ दे दिया है. (आईएएनएस)

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