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Medical Colleges: भारत में 38 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द, 100 को मिला नोटिस, चेक कर लीजिए अपने का स्टेटस

Medical Colleges In India: कर्मचारियों द्वारा बायोमेट्रिक सिस्टम पर अटेंडेंस नहीं लगाने से लेकर कॉलेज में नए कैमरा, बायोमेट्रिक और हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम-बेस्ड निगरानी को लागू करने में सक्षम नहीं होने से लेकर कर्मचारियों और डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे संस्थानों के मुद्दों के लिए कॉलेजों की खिंचाई की गई है.

Medical Colleges: भारत में 38 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द, 100 को मिला नोटिस, चेक कर लीजिए अपने का स्टेटस
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chetan sharma|Updated: Jun 03, 2023, 02:06 PM IST

Recognition of 38 Medical Colleges: देश भर में 38 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गई है, और कमियों को ठीक करने के लिए देश के टॉप मेडिकल रेगुलेटर से अन्य सौ या ज्यादा को नोटिस प्राप्त हुए हैं. कॉलेजों में बायोमेट्रिक सिस्टम पर अटेंडेंस नहीं लगाने वाले कर्मचारियों से संबंधित मुद्दों के लिए कॉलेजों की खिंचाई की गई है. स्टाफ और डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे संस्थानों पर नए कैमरा, बायोमेट्रिक और हेल्थ मैनेजमेंट बेस्ड मॉनिटरिंग सिस्टम लागू नहीं कर पाना शामिल है.

नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के एक अधिकारी ने कहा कि संख्या बदलती रहेगी क्योंकि अगले दो महीनों में ज्यादा सुनवाई और अपील की जाएंगी. मौजूदा एमबीबीएस बैच के लिए काउंसलिंग जुलाई से शुरू होने की संभावना है; नीट का आयोजन मई के पहले सप्ताह में किया गया था. अधिकारी ने कहा, 'अगर कोई कॉलेज कमियों को दूर करने में असमर्थ है, इसका असर केवल करंट ईयर में एडमिशन पर पड़ेगा. पहले से नामांकित छात्र प्रभावित नहीं होंगे.'

चेन्नई के सबसे पुराने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में से एक - स्टेनली मेडिकल कॉलेज - और राज्य के कुछ अन्य द्वारा मान्यता खो देने के बाद यह मामला सामने आया. "यह चल रहे अभ्यास का हिस्सा है. एनएमसी के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कॉलेजों का हर साल नियमित रूप से निरीक्षण किया जाता है कि वे मानदंडों का पालन कर रहे हैं या नहीं.

अधिकारी ने कहा कि जब कॉलेजों में गंभीर कमियां नहीं होंगी - जैसे बुनियादी ढांचे की कमी या फैकल्टी की भारी कमी - उन्हें मौजूदा सत्र के लिए फिर से मान्यता मिलने की संभावना है.

पहले अधिकारी ने कहा कि जिन कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गई है, या नोटिस भेजे गए हैं, उनमें बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम थी, लेकिन कर्मचारियों ने कोविड-19 के बाद हर दिन अटेंडेंस लगाना शुरू नहीं किया था (सभी संस्थानों को महामारी के दौरान बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम का उपयोग नहीं करने की दी गई थी.)

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