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IAS Success Story: छोटी बहन ने बढ़ाया हौसला और बन गईं आईएएस, ऐसी है सदफ के अफसर बनने की कहानी

IAS Sadaf Chaudhary: कहते हैं मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती. यूपीएससी में ऑल इंडिया रैंक 23 हासिल करने वाली रुड़की के मोहितपुर गांव की सदफ चौधरी इसका जीता जागता उदाहरण हैं.

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सदफ उत्तराखंड के रुड़की में ग्रीन पार्क कॉलोनी की रहने वाली हैं. दो साल की कड़ी मेहनत और लगन के बाद सदफ ने सफलता का स्वाद चखा. उन्होंने एनआईसी जालंधर से बीटेक पूरा किया और फिर घर पर यूपीएससी सीएसई परीक्षा की तैयारी की.

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सदफ के पिता इसरार अहमद ग्रामीण बैंक की देवबंद शाखा में पूर्व प्रबंधक थे. हाल ही में जारी यूपीएससी 2020 के नतीजों में सदफ को पूरे भारत में 23वीं रैंक मिली. अपने बैच में मुस्लिम कैंडिडेट्स में उनकी रैंकिंग सबसे ज्यादा थी.

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2012 में उन्होंने सीबीएसई बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा में 91 फीसदी नंबर आए थे. इसके बाद उन्होंने जेईई मेन की परीक्षा पास की. एनआईटी जालंधर से उन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. 2016 में, उन्होंने एक अमेरिकी बैंक के लिए काम करना शुरू किया और 2018 तक दिल्ली में रही.

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सदफ का ऑप्शनल सब्जेक्ट पॉलिटिकल साइंस था. वह हमेशा इस सब्जेक्ट में रुचि रखती थीं और यह उनके लिए गेम-चेंजर था. वह कैंडिडेट्स को सलाह देती हैं कि वे अपने इटरेस्ट के सब्जेक्ट चुनें, जिससे उन्हें फायदा होगा.

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साल 2018 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी. उन्होंने बिना किसी कोचिंग के खुद से आईएएस की तैयारी शुरू की. दो साल की कड़ी मेहनत के बाद मेरिट लिस्ट में वह 23 वें नंबर पर आई थी. सदफ ने कहा कि आईएएस अधिकारी बनना उनकी सपना था. टारगेट चुनौतीपूर्ण था लेकिन इसे हासिल करना असंभव नहीं था. पहले बैकअप की तलाश की जा रही थी. 

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यही कारण है कि उन्होंने पहले बीटेक पूरा किया और फिर कुछ समय के लिए प्रोफेशनल वर्ल्ड में काम किया. जब यह स्पष्ट हो गया कि कदम अपनी जगह पर टिक गए हैं और बचपन के सपनों का टारगेट दूर नहीं है, तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी. वह जोश के साथ आईएएस की तैयारी करने लगीं. वहीं छोटी बहन सायमा चौधरी ने हर मोड़ पर हिम्मत और हौसला बढ़ाया.





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