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अंगद राज का बचपन हमेशा रहा संघर्ष भरा, ट्रेन के डिब्बों में पढ़कर पास किए 5 सरकारी नौकरी के एग्जाम

Angad Raj Success Story: कड़ी मेहनत की बदौलत बिहार के रहने वाले अंगद राज ने अपनी गरीबी को मात देकर अपना भविष्य संवार लिया. ये कहानी हर किसी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है.

अंगद राज का बचपन हमेशा  रहा संघर्ष भरा, ट्रेन के डिब्बों में पढ़कर पास किए 5 सरकारी नौकरी के एग्जाम
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Arti Azad|Updated: Dec 27, 2023, 11:10 PM IST

Success Story of Angad Raj: सफलता हासिल करने में कड़ी मेहनत, धीरज और दृढ़ता सबसे ज्यादा मायने रखते हैं. लाखों-करोड़ों लोगों में केवल वे ही कामयाबी हासिल करते हैं, जो अपनी यात्रा में दृढ़ रहते हैं. आज हम आपके लिए एक ऐसी ही सफलता की कहानी लेकर आए हैं, जहां एक व्यक्ति केवल कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता के जरिए अपनी गरीबी को दूर कर अपने भविष्य को संवारने में कामयाब हुआ. 

हम बात कर रहे हैं अंगद राज के बारे में, बिहार के एक छोटे शहर से आते हैं. वह एक, दो या तीन नहीं, बल्कि पांच सरकारी नौकरी की परीक्षाओं को पास करने में सफल रहे. शुरुआत में तो उन्हें रेलवे में ग्रुप डी श्रेणी में नौकरी मिल गई, लेकिन अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय की बदौलत वह अब राज्य के सहायक सचिवालय के पद पर पोस्टेड हैं. 

बेहद संघर्ष भरा रहा बचपन  
अंगद राज बिहार के आरा के उदवंत नगर गांव के रहने वाले है. वह एक बेहद गरीब परिवार से हैं और उनका बचपन हमेशा संघर्ष से भरा रहा. उवके पिता रमाशंकर सिंह अपने पैतृक गांव में किसान थे. अंगद राज के संयुक्त परिवार में उनके चाचा और उनके दादा थे. उनके घर में आय का एकमात्र स्रोत उनके दादा और चाचा की आय थी. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण अंगद अपनी पढ़ाई ठीक से पूरी नहीं कर सके. वह बहुत कम उम्र में ट्यूशन कक्षाएं लेकर अपनी पढ़ाई का खर्च उठाते थे. 

रेलवे की नौकरी छोड़ने का किया फैसला
सालों तक काफी संघर्ष करने के बाद अंगद राज को 2019 में पहली सरकारी नौकरी मिली. उनका चयन मुंबई में रेलवे ग्रुप डी के लिए हुआ. वहां, अंगद यार्ड में लगी रेलगाड़ी में ही रहते, सोते और पढ़ाई करते थे. दो साल तक ऐसा करने के बाद उन्होंने रेलवे की नौकरी छोड़ने का फैसला किया. फिर उन्होंने परीक्षा पास की और बिहार पुलिस में सब-इंस्पेक्टर बन गए.

अंगद के परिवार वाले नहीं चाहते थे कि वह पुलिस की नौकरी करें, जिसके बाद उनका चयन बीपीएससी के शाखा अधिकारी के पद पर हो गया. इसके बाद उन्होंने और मेहनत की और अब सचिवालय सहायक के पद तक पहुंच गए हैं. अंगद अब भी इससे संतुष्ट नहीं हैं और उनका लक्ष्य बीपीएससी पास कर डीएसपी बनकर राज्य की जनता की सेवा करना है.

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