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ILO: 100 में से केवल 1.4 लोग ही सरकारी नौकरी वाले, फिर भी गर्वमेंट जॉब पहली पसंद क्यों?

Sarkari Naukri in India: भारत में अच्छी प्राइवेट नौकरियां कम हैं, जिनमें हर महीने सैलरी और छुट्टियां जैसी सुविधाएं मिलती हों. शहरों में भी, सिर्फ करीब 50 फीसदी ही नौकरियां ऐसी हैं जिनमें रेगुलर सैलरी मिलती है. 

ILO: 100 में से केवल 1.4 लोग ही सरकारी नौकरी वाले, फिर भी गर्वमेंट जॉब पहली पसंद क्यों?
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chetan sharma|Updated: Apr 02, 2024, 11:15 AM IST

International Labour Organization Data: भारत में लाखों लोग सरकारी नौकरी, लगभग कोई भी सरकारी नौकरी पाने के लिए संघर्ष करते हैं. केवल दो उदाहरण लेते हैं. हाल ही में,60,000 यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए, 48 लाख कैंडिडेट्स ने आवेदन किया था, अगर इसका रेश्यो निकाला जाए तो यह 1.25 फीसदी आएगा. ऐसा ही सेना में जवानों की भर्ती के लिए भी होता है, जहां सिर्फ 3-4 फीसदी लोगों को ही चुना जाता है. यह इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की 2024 की रिपोर्ट में कहा गया है. सुधारों के 30 साल बाद भी और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में, सरकारी नौकरी इतनी पॉपुलर क्यों है? इसके कई कारण हैं.

सबसे पहले, आइए लेबर मार्केट का एक अंदाजा लेते हैं.

  • 972 मिलियन लोग भारत में काम करने के लिए योग्य है. (2023 में 15 से 64 साल की उम्र के)

  • 58.6 करोड़ भारतीय एंप्लॉयड हैं (2023 डेटा के मुताबिक)

  • ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर (प्राइवेट और सरकारी) में 15.2 करोड़ लोग काम करते हैं. जो कि कुल जॉब का करीब 25 फीसदी है. 

  • और इसमें सरकारी (केंद्र+राज्य) नौकरियों की संख्या 14 मिलियन है. तो, भारत में हर 100 नौकरियों में से 2 सरकारी हैं.

  • हमारी 100 में से केवल 1.4 लोग ही सरकारी नौकरी वाले हैं. 

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक यह तब है जब भारत में एलएफपीआर 49.9 फीसदी है, या भारत में 972 मिलियन कामकाजी उम्र के लोगों का लगभग आधा है. लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन दर कामकाजी उम्र के लोगों का अनुपात है जो काम के लिए उपलब्ध हैं. सरकारी नौकरियां तो बहुत कम हैं, फिर भी हर कोई सरकारी नौकरी पाने के लिए जद्दोजहद करता है, क्योंकि सरकारी नौकरियों में जॉब सिक्योरिटी समेत कई चीजें होती हैं जो प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में नहीं मिलती हैं. 

ज्यादातर नॉन गवर्मेंट जॉब्स के साथ क्या दिक्कत है?

भारत में अच्छी प्राइवेट नौकरियां कम हैं, जिनमें हर महीने सैलरी और छुट्टियां जैसी सुविधाएं मिलती हों. शहरों में भी, सिर्फ करीब 50 फीसदी ही नौकरियां ऐसी हैं जिनमें रेगुलर सैलरी मिलती है. और इनमें से भी सिर्फ 47 फीसदी ही ऐसी नौकरियां हैं जहां छुट्टियां मिलती हैं. हालात और भी खराब हो जाते हैं, क्योंकि 43 करोड़ से भी ज्यादा असंगठित क्षेत्र की नौकरियों में काम करने की परिस्थितियां तो और भी खराब होती हैं.

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सरकारी नौकरियों का आकर्षण

  • कम स्किल वाली नौकरी के लिए एंट्री लेवल की सैलरी 33,000 रुपये है (साथ ही एचआरए, डीए, पेड लीव जैसे लाभ).

  • कम स्किल वाली नौकरी के लिए एंट्री लेवल की प्राइवेट नौकरी में सैलरी लगभग 10,000 रुपये है, इसके अलावा अलग से कोई फायदे भी नहीं मिलते हैं. 

  • यहां तक ​​कि कम स्किल वाली सरकारी नौकरियां भी जॉब सिक्योरिटी प्रदान करती हैं.

  • ज्यादातर कम स्किल वाली प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में जॉब सिक्योरिटी नहीं होती है. 

जो चीज कुछ सरकारी नौकरियों के लिए लाखों लोगों की भागदौड़ को कम करेगी, वह है कम, मिडियम स्कलि वाले वर्कर्स के लिए कुछ फायदों के साथ प्राइवेट सेक्टर की बहुत सारी रेगुलर जॉब, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. उदाहरण के लिए, मेन्युफेक्चरिंग के फील्ड में केवल 35 मिलियन लोग काम करते हैं.

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