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IAS Success Story: आर्मी स्कूल से पढ़ीं आईएएस अफसर ने फर्स्ट अटेंप्ट में ऐसे पास किया UPSC एग्जाम, किया था ये काम

IAS officer Saumya Panday: जब वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थीं, तब वह देश की सेवा करना चाहती थीं, इसलिए अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने फाइनल ईयर में यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. 

IAS Success Story: आर्मी स्कूल से पढ़ीं आईएएस अफसर ने फर्स्ट अटेंप्ट में ऐसे पास किया UPSC एग्जाम, किया था ये काम
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chetan sharma|Updated: Dec 12, 2022, 05:59 AM IST

IAS Saumya Panday Success Story: इलाहाबाद की IAS सौम्या पांडे ने CSE में शानदार चौथी रैंक हासिल करके UPSC 2016 की परीक्षा में अपना सपना पूरा किया. उन्होंने बहुत कम उम्र में यह अविश्वसनीय रैंक हासिल की, वह भी फर्स्ट अटेंप्ट में. इस वंडर वुमन ने 2015 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन पूरा किया और अगले ही साल उन्होंने न सिर्फ UPSC क्लियर किया बल्कि चौथी रैंक भी हासिल की. एक पढ़े-लिखे परिवार से ताल्लुक रखने वाली सौम्या ने साल 2016 में अपने पहले प्रयास में यूपीएससी क्रैक किया. जब उन्होंने परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया तो उन्हें अपने माता-पिता से पूरा सपोर्ट मिला.

वह एकेडमिक्स में हमेशा अच्छी रही हैं. वह 10वीं क्लास में 98 फीसदी और 12वीं में 97.8 फीसदी नंबरों के साथ जिला टॉपर भी रही. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा इलाहाबाद के आर्मी स्कूल से की. अपने ग्रेजुएशन लेवल पर आईएएस सौम्या पांडे मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान से गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं. 2018 में नितिन गौर ने आईएएस अधिकारी सौम्या पांडे से शादी की है. 

जब वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थीं, तब वह देश की सेवा करना चाहती थीं, इसलिए अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने फाइनल ईयर में यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. उनके परिवार में किसी और ने कभी सिविल सेवा परीक्षा के लिए पढ़ाई नहीं की थी, इसलिए वह बिल्कुल नए पेशे में थी. वह नहीं जानती थीं कि वह किस बारे में बात कर रही हैं, क्योंकि वह सब नया था. उन्हें पता नहीं था कि क्या जरूरी है और क्या नहीं. 

सौम्या ने न केवल परीक्षा पास की, बल्कि इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल भी प्राप्त किया. इसलिए उसका पहला काम उन चीजों का पता लगाना था जिनकी उन्हें तैयारी के दौरान जरूरत थी. नतीजतन, उन्होंने परीक्षा की तैयारी में मदद करने के लिए कोचिंग जाने का फैसला किया. कोचिंग क्लासेज ने उन्हें यह तय करने में हेल्प की कि उन्हें क्या पढ़ाई करनी चाहिए और तैयारी के दौरान उन्हें क्या चाहिए. इसने उन्हें एग्जाम की स्ट्रेटजी बनाने में भी मदद की.

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