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Quota Reservation: क्या है कोटा आरक्षण, जिसने हिला दी शेख हलीना की सत्ता, पलट दिया बांग्लादेश में तख्ता

Bangladesh Protest: बांग्लादेश के प्रमुख शहरों में इंटरनेट पर बैन लगा दिया गया है. रेलवे सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं. देशभर के कारखाने बंद हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं जिस कोटा आरक्षण के चलते ये देश जल रहा है, आखिर वो क्या है...

Quota Reservation: क्या है कोटा आरक्षण, जिसने हिला दी शेख हलीना की सत्ता, पलट दिया बांग्लादेश में तख्ता
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Arti Azad|Updated: Aug 06, 2024, 07:56 PM IST

What Is Quota Reservation: बांग्लादेश में भारी हिंसक प्रदर्शन के बाद आखिरकार पीएम शेख हसीना को इस्तीफा देना ही पड़ा. आज दोपहर अपने आधिकारिक आवास बंग भवन छोड़ वह सैन्य हेलिकॉप्टर से भारत के लिए रवाना हुईं. आखिर कोटा आरक्षण क्या है, जिसके कारण आज बांग्लादेश जला रहा है, शेख हसीना को पीएम पद की कुर्सी भी छोड़नी पड़ी और बांग्लादेश का तख्ता पलट हो गया. यहां जानिए सबकुछ...

कोटा प्रणाली
सबसे पहले यह जानते हैं कि बांग्लादेश की इस कोटा प्रणाली के तहत किसे कितना रिजर्वेशन मिला है.  इसमें 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए 30 प्रतिशत, पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए 10 प्रतिशत, महिलाओं को 10 फीसदी, जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए 5  फीसदी और एक प्रतिशत विकलांग उम्मीदवारों के लिए सीटें रिजर्व हैं. 

आखिर क्यों शुरू हुआ प्रदर्शन
सबसे पहले जानते हैं कि आखिर बांग्लादेश में यह नौबत आई कैसे, तो बता दें कि 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद से पाकिस्तान से देश को आज़ाद कराने के आंदोलन में भाग लेने वाले लोगों के वंशजों को सिविल सर्विस और पब्लिक सेक्टर की नौकरियों में 30 फीसदी कोटा दिया है. प्रदर्शनकारी इस कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग कर रहे हैं, जिसके तहत गवर्नमेंट जॉब्स में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानायकों के परिजनों के लिए 30 फीसदी सीटें रिजर्व हैं. आंदोलन स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को मिलने वाले 30 फीसदी आरक्षण के खिलाफ चलाया जा रहा है.

दरअसल, बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 14 जुलाई को दिए एक बयान में कहा था कि स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को कोटे का फायदा ना मिले, तो क्या 'रजाकारों' के पोते-पोतियों को मिलना चाहिए? इसके बाद युवाओं में आक्रोश फैल गया. कोटा सिस्टम हटाने की मांग ने और जोर पकड़ लिया. 

प्रदर्शनकारियों की मांगें
कोर्ट के आदेश के बाद 56 फीसदी सरकारी नौकरियां विशिष्ट समूहों के लिए आरक्षित कर दी गईं. इनमें फ्रीडम फाइटर्स के पोते-पोतियां, महिलाएं और 'पिछड़े जिलों' के लोग शामिल हैं. इन्हीं वजहों ने बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया, जिसमें स्टूडेंट्स का सबसे बड़ा सवाल यही है कि फ्रीडम फाइटर्स की तीसरी जनरेशन को फायदा क्यों दिया जा रहा है. इसी के साथ वे चाहते हैं कि सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती योग्यता के आधार पर की जाए. 

बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने ये दिया था आदेश
पिछले महीने, बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी में दिए जाने वाले विवादास्पद कोटा प्रणाली को वापस ले लिया. कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को ख़ारिज कर दिया था, जिसमें आरक्षण को बहाल किया गया था. इसके साथ ही 93 फीसदी सरकारी नौकरियों के लिए योग्यता के आधार पर भर्ती करने का आदेश दिया. वहीं, कोर्ट ने बाकी कैटेगरी के अलावा 1971 के फ्रीडम फाइटर्स के पोते-पोतियों के लिए 7 फीसदी छोड़ दिया गया, जो पहले 30 फीसदी था. 

प्रोटेस्ट बदला सरकार विरोधी आंदोलन में
आरक्षण हटाने की मांग को लेकर बांग्लादेश में व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन, जो अब एक सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया. इसमें पीएम शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की गई. कई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने प्रोटेस्ट के दौरान कहा कि सरकार को कोई टैक्स नहीं दिया जाएगा. सरकारी बिल नहीं भरे जाएंगे और सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे. 

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