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Success Story: मां घर-घर जाकर उठाती हैं कचरा, बेटी का नेवी में सेलेक्शन, स्टेशनरी खरीदने तक के नहीं थे पैसे

Ragpicker's Daughter INS Chilka: मराठी से अंग्रेजी मीडियम की पढ़ाई करने में शुरुआती दिक्कतों के बावजूद, श्वेता ने अपनी कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा 78 फीसदी नंबरों के साथ पास की.

Success Story: मां घर-घर जाकर उठाती हैं कचरा, बेटी का नेवी में सेलेक्शन, स्टेशनरी खरीदने तक के नहीं थे पैसे
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chetan sharma|Updated: Apr 18, 2024, 08:52 AM IST

INS Chilka Indian Navy: महाराष्ट्र के एक सफाई कर्मचारी की 20 साल की बेटी ने प्रतिकूल परिस्थितियों और अपनी मां के "कभी न हार मानने वाले रवैये" से मोटिवेट होकर एक कैडेट के रूप में भारतीय नौसेना में जगह बनाने के लिए लगभग 400 अग्निवीर उम्मीदवारों को हराया है. वह लंबे समय से इसका सपना देख रही थीं. श्वेता पंडित, जिनकी मां ज्योति पुणे के वानोवरी में SWaCH नाम के सेल्फ एंप्लॉयड सफ़ाई वर्कर्स के एक कॉपरेटिव का हिस्सा हैं, को एक कमीशन कैडेट के रूप में आधिकारिक तौर पर नौसेना के सफेद कपड़े पहनने से पहले ट्रेनिंग के लिए ओडिशा में आईएनएस चिल्का में कमीशन किया गया है.

भाई के साथ की फिजिकल टेस्ट की तैयारी

उनके बैकग्राउंड को देखते हुए, श्वेता की सफलता की जर्नी किसी तूफान का सामना करने से कम नहीं रही है. एक समय, हडपसर के साधना गर्ल्स स्कूल की यह स्टूडेंट एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए प्राइवेट ट्यूशन का खर्च नहीं उठा सकती थी. बिना किसी डर के, उन्होंने ऑनलाइन ट्यूटोरियल की ओर रुख किया. चैलेंजिंग फिटनेस टेस्ट आने पर, एनसीसी कैडेट श्वेता ने अपने भाई से मदद मांगी. ज्योति ने याद करते हुए कहा, "दोनों सुबह 4.30 बजे उठते थे और दौड़ने और अन्य एक्सरसाइज के लिए जाते थे."

स्टेशनरी खरीदने तक के नहीं थे पैसे

श्वेता ने रिटिन असेसमेंट और फिटनेस टेस्ट में सफलता हासिल की, लेकिन फाइनेंशियल समस्याओं का सामना करना पड़ा. ओडिशा में अपनी ट्रेनिंग यूनिट में शामिल होने से पहले उनके पास स्टेशनरी खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे. इससे भी बदतर, उसकी वेटिंग लिस्ट वाली ट्रेन टिकट भी रद्द हो गई थी. 

चाचा ने कराई फ्लाइट टिकट

उनकी मां ने कहा, "जब उनके चाचा ने उसके लिए फ्लाइट टिकट खरीदा तो SWaCH ने जरूरी चीजों की मदद के लिए कदम बढ़ाया. श्वेता दो दिन पहले अपने ट्रेनिंग सेंटर पर पहुंचीं." ज्योति 2013 से SWaCH के साथ हैं, हर दिन घर-घर कचरा कलेक्ट करने के लिए वानोवरी जाती हैं. सहकारी समिति के सदस्यों को श्वेता पर उतना ही गर्व है जितना उसकी मां को है.

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10 घंटे करती थीं पढ़ाई

ज्योति ने कहा, "मेरी बेटी हमेशा से अपने देश की सेवा करना चाहती थी. वह नेवी ग्राइंड की ट्रेनिंग के साथ-साथ रोजाना 10 घंटे तक पढ़ाई करती थीं. वह मुझे गर्व से भर देती है." श्वेता उसे "बड़े सपने देखने" का साहस देने का क्रेडिट अपनी मां को देती हैं.

मराठी से अंग्रेजी मीडियम की पढ़ाई करने में शुरुआती दिक्कतों के बावजूद, श्वेता ने अपनी कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा 78 फीसदी नंबरों के साथ पास की. अग्निवीर बनने का मौका मिलना समुद्र में उसके जीवन के अगले चरण की शुरुआत है. श्वेता छह महीने तक आईएनएस चिल्का पर ट्रेनिंग करेंगी. 14 दिन के ब्रेक के बाद वह ट्रेनिंग के अगले छह महीने के फेज की शुरुआत करेंगी. उनके स्किल सेट के आधार पर, उन्हें नेवी में पोस्टिंग मिलेगी.

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