Who was Shomie Ranjan Das: यह 1986 की बात है, जब रात के दो बजे हैली धूमकेतु (Comet) अंधेरे आसमान में चमक रहा था, हिमाचल प्रदेश के सनावर में लॉरेंस स्कूल के तत्कालीन प्रिंसिपल शोमी रंजन दास ने अपने स्टूडेंट्स को एक दूरबीन के चारों ओर इकट्ठा किया और उनमें वैज्ञानिक जिज्ञासा की ऐसी भावना पैदा की जो जीवन भर बनी रहेगी.
भारत के तीन सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों मेयो कॉलेज, दून स्कूल और लॉरेंस स्कूल के पूर्व प्रमुख और देश के अग्रणी शिक्षाविदों में से एक शोमी रंजन दास का सोमवार को हैदराबाद में निधन हो गया. पिछले कुछ समय से वह बीमार थे. दास 89 साल के थे.
उन्होंने एक समय ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स तृतीय को भी पढ़ाया था. पाथवेज स्कूल गुरुग्राम के निदेशक रोहित एस बजाज ने कहा कि 38 साल पहले की वह रात अविस्मरणीय थी. बजाज ने कहा, "उन्होंने हमें कॉफी पिलाई और हमें अपनी दूरबीन से रात दो बजे हैली धूमकेतु देखने को कहा. उसके बाद, मेरे जैसा व्यक्ति, मैं सिर्फ साइंटिस्ट बनना चाहता था और मैं सिर्फ खगोल विज्ञान की पढ़ाई करना चाहता था. टीचर के रूप में उन्होंने हमें सीखने, सवाल पूछने और जानने का जुनून सिखाया."
दास के परिवार में दो बेटे, एक बेटी और सैकड़ों छात्र हैं जो आज भी उनकी शिक्षाओं को फॉलो कर रहे हैं. दास का जन्म 28 अगस्त, 1935 को हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई दून स्कूल में की, जिसकी स्थापना उनके दादा सतीश रंजन दास ने की थी. इसके बाद उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी के सेंट जेवियर्स कॉलेज और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की.
दास ने 1960 के दशक में स्कॉटलैंड के गॉर्डनस्टोन स्कूल में भी पढ़ाया, जहां उन्होंने, तत्कालीन 'प्रिंस ऑफ वेल्स' चार्ल्स को फिजिक्स पढ़ाई. क्रांतिकारी शिक्षाविद 1969 से 1974 तक मेयो कॉलेज, अजमेर के प्रमुख रहे, उसके बाद 1974 से 1988 तक लॉरेंस स्कूल, सनावर में प्रिंसिपल के पद पर रहे.
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दास 1988 से 1995 तक अपने विद्यालय, दून स्कूल के प्रिंसिपल रहे. दास की हालिया बायोग्राफी "द मैन हू सॉ टुमॉरो" में एजुकेशन आंत्रप्योर और राइटर नागा तुम्माला ने शिक्षाविद की लाइफ जर्नी और भारत में एजुकेशन सिस्टम के बारे में उनके विचारों पर करीबी नजर डाली है. लंबे समय तक सहयोगी रहे और शिष्य, तुम्माला ने बयां किया है कि दास किस तरह बच्चों को यथासंभव क्लास से बाहर ले जाकर उनके ओवरऑल डेवलपमेंट को इनकरेज करते थे.
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