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2015 में पेपर लीक के कारण कैसे मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम हो गया था रद्द?

Medical Entrance Exam: 2015 में AIPMT रद्द कर दी गई थी. जांच में पता चला कि परीक्षा के पेपर और आंसर की को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की मदद से 10 राज्यों में सर्कुलेट किया गया था.

2015 में पेपर लीक के कारण कैसे मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम हो गया था रद्द?
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chetan sharma|Updated: Jun 24, 2024, 08:54 AM IST

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आश्वासन दिया कि पेपर लीक से प्रभावित स्टूडेंट्स का नुकसान नहीं होगा और परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित नीट-यूजी और यूजीसी-नेट परीक्षा में पेपर लीक मामले की जांच के लिए एक हाई लेवल समिति बनाई जा रही है. इन दोनों परीक्षाओं में 30 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स छात्र शामिल हुए थे.

नीट-यूजी परीक्षा रद्द होगी या नहीं, इस सवाल का जवाब देते हुए प्रधान ने कहा कि सरकार को मेधावी छात्रों के हितों का भी ध्यान रखना है. उन्होंने कहा, "जहां तक नीट परीक्षा की बात है, हम बिहार सरकार के लगातार संपर्क में हैं और पटना पुलिस जल्द ही हमें एक डिटेल रिपोर्ट भेजेगी. शुरुआती जानकारी के मुताबिक, गड़बड़ी कुछ ही इलाकों तक सीमित है. सरकार को मेधावी स्टूडेंट्स का भी ध्यान रखना होगा."

पिछले कई सालों से देश में होने वाली प्रवेश परीक्षाओं में नकल और गड़बड़ी की समस्या रही है. इस साल, यूजीसी-नेट परीक्षा को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने गृह मंत्रालय के तहत आने वाली साइबर क्राइम यूनिट से मिली सूचना के आधार पर रद्द कर दिया था. उधर, नीट यूजी 2024 की परीक्षा में पेपर लीक होने की जांच अभी भी जारी है.

Medical entrance exam cancelled in 2015
2015 में भी इसी तरह की परीक्षा व्यवस्था में गड़बड़ी हुई थी. उस समय अखिल भारतीय पूर्व-चिकित्सा परीक्षा (AIPMT) को पेपर लीक होने की खबरों के चलते रद्द कर दिया गया था. ध्यान दें कि उस वक्त ये परीक्षा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा आयोजित की जाती थी.

2015 में भी मेडिकल की एक अहम परीक्षा रद्द कर दी गई थी. उस वक्त इसे ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (AIPMT) कहा जाता था.  परीक्षा 3 मई को 1,050 केंद्रों पर आयोजित की गई थी, लेकिन पेपर लीक होने की खबरों के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 15 जून को रद्द कर दिया गया था. कोर्ट ने सीबीएसई को चार हफ्तों में फिर से परीक्षा कराने और नतीजे घोषित करने का आदेश दिया था. जजों ने अपने फैसले में कहा था कि कुछ लोगों ने गलत तरीके से फायदा उठाने के लिए पूरी परीक्षा प्रणाली को ही खराब कर दिया है, इसलिए इस परीक्षा को दोबारा कराना जरूरी है.

2015 में AIPMT रद्द कर दी गई थी. जांच में पता चला कि परीक्षा के पेपर और आंसर की को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की मदद से 10 राज्यों में सर्कुलेट किया गया था. ये परीक्षा देशभर के 50 शहरों और विदेशों में भी 1,065 केंद्रों पर आयोजित की गई थी. इस परीक्षा के लिए कुल 6,32,625 स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जिनमें से लगभग 4,22,859 स्टूडेंट्स ने एडमिट कार्ड डाउनलोड किया था.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 90 आंसर की इलेक्ट्रॉनिक रूप से 15-20 लाख रुपये में स्टूडेंट्स को लीक कर दी गई थीं. रोहतक पुलिस ने इस मामले में दो डॉक्टरों और एक एमबीबीएस स्टूडेंट सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया था.

सीबीएसई, जिसने उस वक्त परीक्षा का आयोजन किया था, ने फिर से परीक्षा कराने का विरोध किया था. उनका कहना था कि सिर्फ 44 स्टूडेंट को ही गलत तरीके से फायदा उठाते हुए पाए गए हैं, जबकि 6.3 लाख स्टूडेंट्स को दोबारा परीक्षा देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.

शीर्ष अदालत ने कहा था कि 'अवैध' तरीकों से की गई एक भी एंट्री परीक्षा की 'पवित्रता' को 'ख़राब' कर देगी. बाद में सीबीएसई द्वारा परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित की गई.

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