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Unique School: यहां स्टूडेंट्स को नहीं उठाना पड़ता भारी बैग का बोझ, नहीं देनी पड़ती परीक्षा फिर भी शानदार है परफॉर्मेंस

Nalanda Gurukul: इस स्कूल में बच्चों को न तो किताबों के बोझ तले दबना पड़ता है और न अगली क्लास में प्रमोट होने के लिए एग्जाम देना पड़ता है, लेकिन छात्रों की परफॉर्मेंस बढ़िया है. जानिए इस स्कूल की खूबियां, जिनके कारण बच्चे यहां स्ट्रेस फ्री होकर पढ़ते हैं.

Unique School: यहां स्टूडेंट्स को नहीं उठाना पड़ता भारी बैग का बोझ, नहीं देनी पड़ती परीक्षा फिर भी शानदार है परफॉर्मेंस
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Arti Azad|Updated: Aug 17, 2024, 08:27 AM IST

Nalanda Gurukul Vidyalaya: बच्चों की शिक्षा जितनी अच्छी होगी, उनका भविष्य उतना ही बेहतर होगी. ऐसे में स्कूल अच्छा हो तो कहना ही क्या, लेकिन इन स्कूलों में बच्चों का सिलेबस ही इतना होती है कि उसे होमवर्क कंप्लीट करने से ही फुरसत नहीं मिलती. भारी-भारी बस्ते नाजुक कंधों पर टांगे स्कूल जाते बच्चों को देख तो किसी का भी दिल पसीज जाए, उस पर परीक्षा में अच्छे नंबरों से पास होने का प्रेशर. इन सबके कारण उनका बचपन और मासूमियत छिनती जा रही है. आज हम आपको एक ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां बच्चे किताबों के बोझ से मुक्त, परीक्षा में फेल या पास होने की चिंता किए बगैर पढ़ाई करते हैं. 

फिर से गुरुकुल की राह 
अब गुरुकुल वाला कॉन्सेप्ट फिर से लोग अपनाना चाहते हैं. आज भी कई पेरेंट्स हैं अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में भेजना पसंद करते हैं, जहां बिना वजह का दिखावा न होकर केवल बच्चों को एक बेहतर इंसान बनाने पर ध्यान दिया जाता है.  ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजन के बजाय, उन्हें गुरुकुल भेजना पसंद करते हैं. सूरत में स्थित नालंदा गुरुकुल विद्यालय इन सब पैमानों पर खरा उतरता है, क्योंकि यहां बच्चों को परीक्षा के लिए डर में नहीं जीना पड़ता है. गुरुकुल में किताबों के बिना ही पढ़ाई कराई जाती है. यहां स्टूडेंट्स को बैग लेकर नहीं आना पड़ता.

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आने-जाने का वक्त तय नहीं
यहां पढ़ने वाले बच्चे किसी भी समय गुरुकुल में आ सकते हैं और जब मन हो यहां से जा सकते हैं. नालंदा गुरुकुल विद्यालय में पिछले 25 सालों से स्टूडेंट्स को स्ट्रेस फ्री एजुकेशन दी जा रही है. अपनी इसी खूबी के चलते यह स्कूल बच्चों और पेरेंट्स के बीच फेमस हो चुका है. यहां मिलने वाली शिक्षा से स्टूडेंट्स के ग्रेड बेहतर हो रहे हैं, जिससे  उनका आत्मविश्वास और बढ़ता है. यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के मुताबिक गरुकुल में उन्हें हर समय कोई जज नहीं कर रहा होता है. 

छात्र नहीं बनते किताबी कीड़ा
नालंदा गुरुकुल विद्यालय के फाउंडर बंकिम उपाध्याय कहते हैं, "हम बोर्ड एग्जाम के अलावा किसी भी तरह के एग्जाम आयोजित नहीं करवाते हैं. यहां स्टूडेंट्स सभी सब्जेक्ट्स पढ़ते हैं, लेकिन किताबों से मिलने वाली शिक्षा के इतर उन्हें जिंदगी के जरूरी सबक सिखाए जाते हैं."

बेहतर करियर के लिए मिलती है गाइडेंस
यहां पढ़ने वाले बच्चों का कहना है कि नालंदा गुरुकुल विद्यालय के टीचर्स बच्चों की स्किल को पहचानते हैं. इसके बाद उसे और निखारते पर काम करते हैं. जो स्टूडेंट जिस विषय में अच्छा है उनकी स्ट्रेन्थ को पहचान कर आगे करियर के लिए गाइड करते हैं. नालंदा गुरुकुल के छात्र जिस विषय की पढ़ाई करते हैं, उसके नोट्स खुद ही तैयार करते हैं. यहां के टीचर्स ने भी अपनी टीचिंग किट खुद ही तैयार की है. यहां छात्रों को वो सब कुछ सिखाया जाता है, जो दूसरे स्कूलों के स्टूडेंट्स सीखते हैं, लेकिन गुरुकुल के छात्रों को प्रैक्टिकल नॉलेज मिलती है. 

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