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IP University: यूनिवर्सिटी में फार्मेसी के नए पाठ्यक्रम को मंजूरी, जानें इन कोर्सेस में कैसे मिलेगा एडमिशन

IP University: गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में फार्मेसी के नए पाठ्यक्रम संचालिए किए जाएंगे. पीसीआई की ओर से IP University को इसके लिए मंजूरी मिल गई है. जानिए डी फॉर्मा, बी फॉर्मा और एम फॉर्मा में कितनी सीटें हैं.

IP University: यूनिवर्सिटी में फार्मेसी के नए पाठ्यक्रम को मंजूरी, जानें इन कोर्सेस में कैसे मिलेगा एडमिशन
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Arti Azad|Updated: Jul 13, 2024, 08:31 AM IST

IP University New Pharmacy Courses: गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (IP University) में अब फार्मसी के नए कोर्स संचालित किए जाएंगे. यूनिवर्सिटी को फार्मेसी के नए पाठ्यक्रम की मंजूरी मिल गई है. फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) की ओर से एकेडमिक सेशन 2024-25 से IP University में कई फार्मेसी कोर्सेस को संचालित करने के लिए हामी भर दी है. यूनिवर्सिटी में इस सेशन से नए कोर्सेस में डी फॉर्मा, बी फॉर्मा और एम फॉर्मा की डिग्रियां भी दी जाएंगी. पहली बार ये कोर्स यूनिवर्सिटी कैंपस में संचालिए किए जाएंगे.

जानिए किस कोर्स में हैं कितनी सीटें
जीजीएसआईपीयू के वाइस चांसलर पद्म श्री प्रोफेसर डॉ महेश वर्मा के मुताबिक इन कोर्सेस में टोटल 220 सीटें होंगी, जिन पर स्टूडेंट्स एडमिशन ले सकेंगे. डी फॉर्मा में 60 सीटें, बी फॉर्मा में 100 सीटें और एम फॉर्मा (फार्मास्यूटिक्स, फार्माकोलॉजी, फाइटोफार्मेसी और फाइटोमेडिसिन और फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री) में 15-15 सीटें हैं. जानकारी के मुताबिक इन कोर्सेस का संचालन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन फार्मास्यूटिकल साइंसेज (CEPS) के तहत किया जाएगा. 

इस आधार पर मिलेगा एडमिशन
मिली जानकारी के मुताबिक डी फॉर्मा कोर्स में स्टूडेंट्स को 12वीं की मेरिट लिस्ट के आधार पर एडमिशन दिया जाएगा. वहीं, बी फॉर्मा के लिए सीईटी एप्लीकेट्स को वरीयता मिलेगी, जिसके बाद अगर सीटें बचती हैं तो नीट क्वालिफाई कैंडिडेट्स को एडमिशन दिया जाएगा. जबकि, एम फॉर्मा की सीटें पहले GPAT क्वालिफाई उम्मीदवारों से भरी जाएंगी उसके बाद बची सीटों पर सीईटी आवेदकों को दाखिला दिया जाएगा. 

इंडियन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री 
कोरोना महामारी के बाद इंडियन फार्मास्यूटिकल्स इंडस्ट्री में उछाल देखने को मिला है. इस फील्ड के प्रोफेशनल्स की डिमांड भी कोविड के बाद से बढ़ी है. आंकड़ों के मुताबिक भारत मात्रा के हिसाब से दुनिया में तीसरे स्थान पर है और लगभग 200 देशों में निर्यात करता है. वर्तमान में भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग $50 बिलियन का है, जो अफ्रीका की जेनेरिक दवाओं की 50 परसेंट से ज्यादा, यूएस की 40 फीसदी जेनेरिक मांग और यूके को 25 प्रतिशत हर तरह की मेडिसिन की आपूर्ति करता है. 

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