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किराना दुकानदार की बेटी ने लगातार 3 बार क्रैक किया UPSC, 19वीं रैंक हासिल कर बनीं IAS

IAS Shweta Agarwal: श्वेता अग्रवाल ने भारत की सबसे कठिन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा लगातार 3 बार क्रैक की है. उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया 19वीं रैंक के साथ आईएएस का पद हासिल किया था. 

किराना दुकानदार की बेटी ने लगातार 3 बार क्रैक किया UPSC, 19वीं रैंक हासिल कर बनीं IAS
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Kunal Jha|Updated: Aug 03, 2024, 12:05 AM IST

IAS Shweta Agarwal Success Story: गरीब परिवारों के बच्चे जब बड़ें अधिकारी बनते हैं, तो वे और भी कई बच्चों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन जाते हैं. आईएएस ऑफिसर श्वेता अग्रवाल उनमें से ही एक हैं, जिनकी सफलता की कहानी छात्रों व अभ्यर्थियों को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रोत्साहित करती है. एक किराना विक्रेता की बेटी रही श्वेता अग्रवाल ने अपनी मेहनत के दम पर यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास की और आईएएस ऑफिसर बन गई. बता दें श्वेता तीन बार यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास कर चुकी हैं. श्वेता अग्रवाल ने साल 2016 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 19वीं रैंक हासिल की थी.

यहां से हासिल की शिक्षा
श्वेता अग्रवाल ने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट जोसेफ कॉन्वेंट बैंडेल स्कूल से पूरी की है, इसके बाद उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, कोलकाता से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. श्वेता के पिता एक किराना की दुकान चलाते हैं.

तीसरी बार में IAS बनने का सपना हुआ पूरा
श्वेता ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दो बार क्रैक की थी, लेकिन उनका सिलेक्शन आईएएस ऑफिसर के पद के लिए नहीं हो पाया था. हालांकि, श्वेता को आईएएस अधिकारी बनना था, इसलिए उन्होंने तीसरी बार फिर से यूपीएससी परीक्षा दी. तीसरी बार में आखिरकार उनका आईएएस बनने का सपना पूरा हो गया और उन्हें बंगाल कैडर दिया गया. 

हासिल की ऑल इंडिया 19वीं रैंक
श्वेता नें अपने पहले प्रयास में उन्होंने 497वीं रैंक हासिल की थी, जिसके बाद उनका आईआरएस (IRS) के लिए चयन हुआ था. इसके बाद साल 2015 में श्वेता ने दोबारा UPSC क्रैक कर डाया और इस बार उन्होंने 141वीं रैंक हासिल की, लेकिन इसके बावजूद उन्हें आईएएस का पद नहीं मिला. हालांकि, साल 2016 में तीसरी बार श्वेता ने इस प्रकार तैयारी की कि उनका आईएएस बनेन का सपना पूरा हो गया और उन्होंने ऑल इंडिया 19वीं रैंक हासिल की और इतनी मुद्दतों के बाद IAS का पद प्राप्त किया.  

परिवार को बेटी नहीं बेटा चाहिए था
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, श्वेता के जन्म के वक्त परिवार में कोई उत्साह नहीं था. परिवार को बेटी नहीं बल्कि बेटा चाहिए था. हालांकि, श्वेता के माता-पिता ने यह तय कर लिया था कि वे अपनी बेटी को ही पढ़ा लिखा कर अफसर बनाएंगे. ऐसे में आप कह सकते हैं कि श्वेता ने अपना लक्ष्य हासिल कर निश्चित रूप से अपने माता-पिता को गौरवान्वित किया है.

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