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NEET, JEE, UPSC जैसे एग्जाम क्रैक करने में कैसे काम करता है पैरेंटल सपोर्ट?

Entrance Examination: केवल रिजल्ट पर फोकस करने के बजाय प्रक्टिस और प्रोग्रेस पर फोकस करके, माता-पिता असफलता के डर को कम करने में मदद करते हैं, एक सकारात्मक और प्रॉडक्टिव स्टडी एनवायरमेंट को बढ़ावा देते हैं.

NEET, JEE, UPSC जैसे एग्जाम क्रैक करने में कैसे काम करता है पैरेंटल सपोर्ट?
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chetan sharma|Updated: Jun 28, 2024, 07:49 AM IST

JEE (संयुक्त प्रवेश परीक्षा) और NEET (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) जैसी प्रवेश परीक्षाओं को पास करना लाखों छात्रों के लिए एक बड़ी चुनौती है जो अपनी शिक्षा के सपने को पूरा करना चाहते हैं. ये परीक्षाएं पूरे भारत में प्रमुख इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिलाने का एंट्री गेट हैं. इन परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने के लिए अच्छी तैयारी, एक्सपर्टीज का गाइडेंस और परिवार एवं दोस्तों का मजबूत सपोर्ट बहुत जरूरी है. पढ़ाई के लिए शांत वातावरण के साथ-साथ अनुभवी शिक्षकों द्वारा हायर लेवल और कोचिंग भी बहुत जरूरी है.

इन कठिन परीक्षाओं को पास करने में माता-पिता का साथ सबसे अहम भूमिका निभाता है. उनके लगातार सपोर्ट के बिना, इन चैलेंजिंग परीक्षाओं को क्लियर करना बहुत मुश्किल हो जाता है. माता-पिता का मोटिवेशन स्टूडेंट्स के ओवरऑल प्रदर्शन और उनके मानसिक स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित करता है. यह उन्हें गैरजरूरी तनाव से बचाता है और उन्हें सेल्फ कॉन्फिडेंस के साथ अपने टारगेट को पाने में सक्षम बनाता है.

JEE और NEET जैसी परीक्षाओं की तैयारी के दौरान अक्सर काफी तनाव होता है. स्टूडेंट्स को जटिल कॉन्सेप्ट को समझना, कठिन सवालों को हल करना और लगातार मॉक टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन करना होता है. यह दबाव छात्रों में घबराहट और थकावट पैदा कर सकता है. इसलिए, माता-पिता की भूमिका सिर्फ आर्थिक मदद देने से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है

इमोशनल सपोर्ट: सफलता की नींव
एनकरेजमेंट और मोटिवेशन

माता-पिता अपने बच्चों का हौसला बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं. छोटी-छोटी सफलताओं की सराहना, सिर्फ नंबरों से ज्यादा मेहनत को महत्व देना और लगातार हौसला बढ़ाते रहना - ये चीजें बच्चों का मनोबल ऊंचा रखने में बहुत मदद करती हैं.

सपोर्टिव एनवायरमेंट बनाना
घर का वातावरण पढ़ाई के लिए अच्छा होना चाहिए, जहां बच्चों पर ज़्यादा दबाव न डाला जाए और न ही उनसे उनकी क्षमता से ज्यादा की उम्मीदें रखी जाएं. ऐसा माहौल बच्चों को पढ़ाई में मन लगाने में मदद करता है. साथ ही, घर में खुलकर बातचीत होनी चाहिए ताकि बच्चे अपनी परेशानियों और मुश्किलों को बिना झिझक के बता सकें.

स्ट्रेस मैनेजमेंट
बच्चों की अच्छी आदतों को बढ़ावा देना ज़रूरी है, जैसे टाइम पर ब्रेक लेना, फिजिकल एक्टिविटी करना और पर्याप्त नींद लेना. मन को शांत रखने के तरीके सीखना, ध्यान लगाना या मनपसंद शौक अपनाना - ये चीजें तनाव कम करने और घबराहट दूर रखने में मदद करती हैं.

प्रक्टिकल सपोर्ट
इमोशनल सपोर्ट के अलावा, अच्छा स्टडी मटेरियल और अच्छे कोचिंग संस्थानों में दाखिला दिलाना जैसी  मदद भी बहुत ज़रूरी है.

टाइम मैनेजमेंट: माता-पिता पढ़ाई, एंटरटेनमेंट और आराम के लिए एक बैलेंस्ड टाइम टेबल बनाने में मदद कर सकते हैं. इस बैलेंस को बनाए रखना ज़रूरी है ताकि बच्चे थक न जाएं और लगातार अच्छा प्रदर्शन कर सकें.

लगातार कन्वर्सेशन: नियमित रूप से बच्चे की पढ़ाई में प्रोग्रेश, मुश्किलें और पढ़ाई की प्लानिंग में बदलावों के बारे में बातचीत करें. ये बातचीत डांट-डपट के लिए नहीं बल्कि बच्चे को समझने और उसका सपोर्ट करने के लिए होनी चाहिए.

हौसला बढ़ाना और मुश्किलों से निपटना

असफलता को सीखने का मौका समझना: बच्चों को यह सिखाएं कि असफलता आगे बढ़ने का मौका है. इससे उन्हें लंबे समय में सफल होने के लिए जरूरी फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है.

मेहनत और सुधार पर जोर देना: सिर्फ नतीजों पर फोकस के बजाय मेहनत और सुधार पर जोर दें. इससे बच्चों में असफलता का डर कम होगा और पढ़ाई का माहौल पॉजिटिव और अच्छा रहेगा.

प्रोफेशनल से मदद लेना: अगर बच्चे में बहुत ज्यादा तनाव या डिप्रेशन के लक्षण दिखें तो माता-पिता को किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक से सलाह लेनी चाहिए.  मानसिक स्वस्थ्य को ठीक रखना जरूरी है ताकि बच्चे चुनौतियों का सामना अच्छी तरह से कर सकें.

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