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क्या आप जानते हैं कहां से आया आपका पसंदीदा 'हलवा'? जानें ये मिठाई कैसे बनीं भारतीयों की फेवरेट

History of Halwa: आपने अपनी जीवन में ना जाने कितने ही प्रकार के हलवे का स्वाद चखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि आखिर हलवा कब और कहां से भारत पहुंचा और यह कैसे आज सभी भारतीयों का फेवरेट बन गया है.

क्या आप जानते हैं कहां से आया आपका पसंदीदा 'हलवा'? जानें ये मिठाई कैसे बनीं भारतीयों की फेवरेट
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Kunal Jha|Updated: Aug 02, 2024, 06:40 PM IST

How Halwa Reach India from Arab: भारत में रहने वाले हर एक शख्स ने हलवा तो जरूर खाया होगा. आज भी जब कुछ मीठा खाने का मन करता है, तो हम सबके मन में सबसे पहले हलवे और खीर का ही ख्याल आता है. वहीं, आज के समय में हलवा सिर्फ सूजी, आटा या बेसन जैसी सामग्री से ही नहीं बनता, बल्कि लोग पपीता, सिंघाड़े, लौकी, कद्दू, तरबूज, चुकुंदर, बादाम, मूंग दाल और बहुत सी अनोखी सामग्री का भी हलवा बनाते हैं. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आखिर भारत में हलवा बनाने की विधि कब और कहां से आई और सबसे पहले दुनिया में हलवा किसने बनाया था? अगर नहीं, तो आज हम आपको हलवे के इतिहास के बारे में विस्तार से बताएंगे.

दरअसल, 'हलवा' शब्द अरबी शब्द 'हुलव' से आया है, जिसका अर्थ होता है 'मीठा'. माना जाता है कि यह 1840 और 1850 के बीच अंग्रेजी भाषा में आया था. वहीं, 20वीं सदी के लेखक और इतिहासकार अब्दुल हलीम शरर की 'गुजिश्ता लखनऊ' के ​​अनुसार, हलवा अरब की सरजमीं से आया और फारस  के रास्ते भारत पहुंचा. अरब में हलवा खजूर के पेस्ट और दूध से बनाया जाता था.

अपनी किताब 'फीस्ट्स एंड फास्ट्स' में कोलीन टेलर सेन लिखती हैं कि हलवा भारत में दिल्ली सल्तनत के दौरान 13वीं सदी की शुरुआत से 16वीं सदी के मध्य तक आया था. कुछ अन्य किंवदंतियों के अनुसार, हलवा पकाने की विधि की जड़ें ओटोमन साम्राज्य में हैं. ओटोमन साम्राज्य के दसवें और सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले सुल्तान सुलेमान को मिठाइयों का काफी शौक था और उनमें से हलवा एक था. उन्हें मीठा खाने का इतना शौक था कि उन्होंने केवल मीठे व्यंजनों के लिए एक अलग रसोई तक बनाई थी.

वहीं, खाद्य इतिहासकारों के निष्कर्षों के अनुसार, हलवे की पहली ज्ञात रेसिपी 13वीं शताब्दी के अरबी ग्रंथ 'किताब अल-तबीख' (व्यंजनों की पुस्तक) में दिखाई दी, जिसे मुहम्मद इब्न अल-हसन इब्न अल-करीम ने लिखा था. इसमें हलवे की आठ अलग-अलग किस्मों और उनकी रेसिपी का उल्लेख है. साथ ही, अरब प्रभाव वाले शुरुआती भारतीय शहरों में से दो कराची और कोझीकोड के तटीय शहर थे और इस प्रकार, हलवा इन शहरों में खाद्य परंपराओं का एक अभिन्न अंग है.

आज, पूरे देश में हलवे की कई किस्में उपलब्ध हैं. पुणे से 'हरी मिर्च का हलवा', पश्चिम बंगाल से 'चोलार दाल हलवा', उत्तर प्रदेश और बिहार से 'अंडा हलवा', कर्नाटक से 'काशी हलवा', केरल से 'करुथा हलवा', हलवे की कुछ ऐसी किस्में हैं, जो भारत में मिल सकती हैं. एक बहुत पसंद किया जाने वाला हलवा 'गाजर का हलवा' है. गाजर अफगानिस्तान में उगने वाली सब्जी थी और यह डच लोगों के जरिए भारत पहुंचा था. इसे पंजाब में उगाया जाने लगा और बाद में इसका प्रयोग किया गया, जिसका नतीजा गाजर के हलवे के रूप में सामने आया.

हालांकि हलवे की उत्पत्ति अरब में हुई थी, लेकिन यह पहले से ज्यादा भारतीय नहीं हो सकता. आज भारतीय उपमहाद्वीप में इसका इतना प्रभाव है कि मिठाई बनाने वालों को आज भी 'हलवाई' के नाम से जाना जाता है और हमेशा इसी नाम से पुकारा जाता रहेगा.

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