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UPSC की तैयारी कराने वाले विकास दिव्यकीर्ति सर को इस विषय से थी नफरत, आते थे बहुत कम नंबर

Vikas Divyakirti: डॉ. विकास दिव्यकीर्ति देश के लाखों यूपीएससी एस्पिरेंट्स के पसंदीदा टीचर्स में से एक है. आज उन्हें युवा अपनी प्रेरणा मानते हैं, लेकिन स्कूल टाइम में वह भी एक विषय में बहुत फिसड्डी हुआ करते हैं. आइए जानते हैं दिव्यकीर्ति सर को कौन सा विषय कम पसंद है...

UPSC की तैयारी कराने वाले विकास दिव्यकीर्ति सर को इस विषय से थी नफरत, आते थे बहुत कम नंबर
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Arti Azad|Updated: Aug 12, 2024, 09:58 PM IST

Which Subject Vikas Divyakirti Like Least: यूपीएससी की तैयारी कराने वाले डॉ. विकास दिव्यकीर्ति किसी परिचय के मोहताज नहीं है . ह हिंदी माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं के सबसे पसंदीदा टीचर है. उनके पढ़ाने का अंदाज और समझाने का तरीका बहुत ही अलग है. दृष्टि IAS के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति यूं तो हमेशा ही सुर्खियों में रहते हैं, क्योंकि वह पढ़ाने के साथ-साथ अपनी लाइफ के किस्से भी स्टूडेंट्स से शेयर करते रहते हैं. इसमें वह ऐसे-ऐसे खुलासे करते हैं, जो हैरान कर देते हैं. ऐसा ही एक किस्सा उन्होंने बताया, जब उन्होंने अपने सबसे कम पसंद विषय के बारे में बताया था. आइए जानते हैं कि आखिर किस सब्जेक्ट से उन्हें नफरत थी...

​दृष्टि IAS कोचिंग के फाउंडर डॉ विकास दिव्यकीर्ति की कही बातें यूपीएससी एस्पिरेंट्स पर गहरा असर डालती हैं. सोशल मीडिया पर भी उनके वीडियो खूब पसंद और शेयर किए जाते हैं. ​एक इंटरव्यू में विकास सर ने खुद इस बात का खुलासा किया था कि उनको कौन सा विषय कम पसंद है...

इस सब्जेक्ट में कम आते थे नंबर​
​डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने बताया था कि उन्हें हमेशा से केमिस्ट्री विषय से नफरत रही है. स्कूल टाइम में केमिस्ट्री में वह फिसड्डी थे, उन्हें इस विषय में बहुत ही कम नंबर मिलते थे.  एक बार उन्हें केमिस्ट्री में केवल 7 नंबर मिले थे, जिसे उन्होंने बदलकर 47 कर दिया था. बाद में जब घर पर इस बारे में पता चला तो उनकी खूब पिटाई भी हुई थी. 

​​डॉ. विकास दिव्यकीर्ति की एजुकेशन​
विकास दिव्यकीर्ति का जन्म 26 दिसंबर 1973 को हरियाणा के भिवानी में हुआ था. डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के जाकिर हुसैन कॉलेज से बीए किया है. इसके बाद उन्होंने हिंदी साहित्य में एमए M.Phil और PhD की डिग्रियां हासिल की. उन्होंने 1996 में पहले ही अटैम्प्ट में सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाई थी और 384वीं रैंक हासिल की थी. उन्हें CISF कमांडेंट का पद मिला, लेकिन उन्हें इसमें ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी और फिर वे मेडिकल स्टैंडर्ड पूरा नहीं कर पाए. इसके बाद उन्होंने गृह मंत्रालय में एक डेस्क ऑफिसर के रूप में काम किया, लेकिन उन्होंने 1997 में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया.

दिव्यकीर्ति ने नौकरी छोड़ने का फैसला एजुकेशन के फील्ड में करियर बनाने की इच्छा के चलते लिया. फिर उन्होंने दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ाया. इसके बाद उन्होंने 1999 में दृष्टि IAS की स्थापना की, जो अब सिविल सेवा की तैयारी कराने वाले प्रमुख कोचिंग संस्थानों में से एक है.

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