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Home Loan EMI: ले रखा है होम लोन... तो ऐसे खत्म करें अपनी EMI, हर महीने पैसे देने का नहीं रहेगा झंझट

How to Reduce Home Loan EMI: अक्सर देखने में आता है कि लोग घर खरीदने के बाद होम लोन की ईएमआई से परेशान हो जाते हैं. हर महीने भारी-बरकम ईएमआई चुकाना कोई आसान काम नहीं है. लेकिन अगर आप सही प्लानिंग करेंगे तो यह काम आसान हो जाएगा.

Home Loan EMI: ले रखा है होम लोन... तो ऐसे खत्म करें अपनी EMI, हर महीने पैसे देने का नहीं रहेगा झंझट
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Shivani Sharma|Updated: Apr 11, 2024, 02:51 PM IST

Home Loan EMI: क्या आपने भी घर ले रखा है और आपको अब ईएमआई की टेंशन सता रही है. अगर ऐसा है तो आज हम आपको ईएआई की टेंशन से मुक्ति दिलाने का तरीका बता रहे हें. अक्सर देखने में आता है कि लोग घर खरीदने के बाद होम लोन की ईएमआई से परेशान हो जाते हैं. हर महीने भारी-बरकम ईएमआई चुकाना कोई आसान काम नहीं है. लेकिन अगर आप सही प्लानिंग करेंगे तो यह काम आसान हो जाएगा.

EMI को करा लें छोटा

अगर आप भी हर महीने ईएमआई भर-भरकर परेशान हो गए हैं तो आप अपनी मंथली ईएमआई की राशि को छोटा करा सकते हैं. EMI की राशि को छोटा कराने के लिए आप टेन्योर को बढ़ा सकते हैं. अगर आपके लोन की अवधि बढ़ती है तो इससे आपकी ईएमआई छोटी हो जाएगी, लेकिन ऐसा करने में आपको ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ेगा. 

लोन करा लें ट्रांसफर

इसके अलावा आप लोन ट्रांसफर की सुविधा का भी फायदा ले सकते हैं. लेकिन इसका फायदा आप सिर्फ तब ले सकते हैं जब आपका री-पेमेंट रिकॉर्ड अच्छो हो. आप अपने होम लोन के बैलेंस को दूसरे बैंक में ट्रांसफर करवा सकते हैं. ऐसे में आपको ये फायदा मिलेगा कि नए बैंक में कम ब्याज पर लोन मिल सकता है. 

लोन प्रीपेमेंट की सुविधा

इसके अलावा आप होम लोन प्रीपेमेंट भी करा सकते हैं. इसका मतलब यह है कि जब भी आपके पास में ज्यादा या फिर एक्स्ट्रा पैसा हो तो आप प्रीपेमेंट कर सकते हैं. प्रीपेमेंट करने से आपके लोन की ईएमआई काफी कम हो जाती है. जब भी आप प्रीपेमेंट करते हैं तो वह रकम सीधे प्रिंसिपल अमाउंट से कम होती है. तो इस हिसाब से आपकी मंथली किस्त भी कम हो जाती है. 

लोन रीस्ट्रक्चर 

आप होम लोन को रीस्ट्रक्चर भी करा सकते हैं. इसमें आपकी ईएमआई तो बढ़ जाती है, लेकिन लोन जल्द ही खत्म हो जाता है. इससे आपको कम ब्याज चुकाना होगा और आपका लोन भी जल्द ही खत्म हो जाएगा. 

कितनी होनी चाहिए EMI?

आपको अपनी इनहैंड सैलरी की करीब 20 से 25 फीसदी तक ही ईएमआई रखनी चाहिए. इससे ज्यादा ईएमआई रखने से आपके खर्च बिगड़ सकते हैं. अगर आपके पास में किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं है तो आप इस राशि को 30 से 35 फीसदी तक के बराबर रख सकता है. 

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