Pakistan's economic crisis: नकदी की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान को अभूतपूर्व वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है. देश की बदहाल आर्थिक स्थिति के बीच एक प्रमुख पाकिस्तानी-अमेरिकी अर्थशास्त्री ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान लगातार चुनौतियों से घिरता जा रहा है.
पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रिंसटन के अर्थशास्त्री आतिफ मियां ने आसमान छूते पाकिस्तान के घरेलू और विदेशी कर्ज, पेंशन का बोझ और बिजली क्षेत्र के लगातार फेल्योर ने पाकिस्तान को आर्थिक रसातल में धकेलने वाले महत्वपूर्ण कारकों के रूप में इंगित किया है. उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान का आर्थिक संकट अत्यंत गंभीर है, जो इसे वैश्विक मंच पर राजकोषीय कुप्रबंधन का एक स्पष्ट उदाहरण बनाता है.
किसी दूसरे देश के लिए यह कल्पना करना मुश्किलः मियां
मियां ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, "पाकिस्तान के घरेलू और विदेशी कर्ज, उसकी अप्राप्त पेंशन देनदारियां और बिजली क्षेत्र ने पाकिस्तान को गहरे वित्तीय संकट में धकेल दिया है. किसी दूसरे देश की हालत इतनी खराब होने की कल्पना करना मुश्किल है."
Pakistan’s domestic and external debts, its unfunded pension liabilities and the zombie power sector has pushed Pakistan into a deep fiscal crisis. It is hard to think of another country in as bad a shapehttps://t.co/F9AxvgugmM
— Atif Mian (@AtifRMian) September 1, 2024
मियां के इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए चेस मैनहट्टन बैंक के पूर्व राजकोषीय प्रमुख असद रिजवी ने उनसे इन चुनौतियों से निपटने और अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए व्यावहारिक समाधान पेश करने का आग्रह किया.
रिजवी ने मियां से यह भी पूछा कि उच्च ऋण-से-जीडीपी अनुपात वाली उन्नत अर्थव्यवस्थाएं अपनी स्थितियों का प्रबंधन कैसे करती हैं. रिजवी ने इस बात पर जोर दिया कि कर-जीडीपी अनुपात (अर्थव्यवस्था का दस्तावेजीकरण करके), बैंक कर्ज-जमा अनुपात, और खुले बाजार परिचालन (ओएमओ) जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित किए बिना अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में संघर्ष करना पड़ेगा.
(इनपुटः एजेंसी)