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अब SEBI की न‍िगरानी कौन करेगा? अडानी से संबंधों का खुलासा करने में क्‍या माधबी बुच चूक गईं?

Madhabi Puri Buch: सेबी चीफ माधबी पुरी बुच पर जब से ह‍िंडनबर्ग र‍िसर्च की तरफ से अडानी ग्रुप से कारोबारी संबंध रखने का आरोप लगा है, तब से अलग-अलग तरह के सवाल उठ रहे हैं. हालांक‍ि उन्‍होंने अपना पक्ष रखते हुए आरोपों को पूरी तरह गलत बताया है.

अब SEBI की न‍िगरानी कौन करेगा? अडानी से संबंधों का खुलासा करने में क्‍या माधबी बुच चूक गईं?
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Kriyanshu Saraswat|Updated: Aug 12, 2024, 02:00 PM IST

Hindenburg Report On Madhabi Buch: हिंडनबर्ग र‍िसर्च ने शन‍िवार को सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पत‍ि धवल बुच पर आरोप लगाए हैं. हिंडनबर्ग की तरफ से आरोप लगाया गया क‍ि उनका अडानी ग्रुप के साथ कारोबारी संबंध है. इन आरोपों के बाद अडानी ग्रुप और माधबी बुच ने बयान जारी कर आरोपों को पूरी तरह न‍िराधार बताया. हकीकत क्‍या है यह तो जांच का व‍िषय है लेक‍िन हिंडनबर्ग र‍िसर्च की तरफ से सेबी चीफ पर आरोपों के बाद कई सवाल उठ रहा हैं क्‍या सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच अडानी एंटरप्राइजेज से अपने संबंधों को छ‍िपाने में नाकाम रहीं? क्या उन्होंने पूरी तरह उस फंड में अपने निवेश का खुलासा किया जिसमें प‍िछले सालों में अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाई गई थीं? जब वह सेबी की अध्यक्ष थीं तो उन्होंने अडानी के ख‍िलाफ सेबी की जांच से खुद को अलग क्यों नहीं किया?

भारतीय शेयर बाजार के रेग्‍युलेटर सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच इस समय विवादों के बीच फंसी हैं. यह सब तब शुरू हुआ जब विदेशी निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया कि उनका भारतीय कारोबारी ग्रुप अडानी से संबंध है. लेक‍िन न‍ियम क्‍या है, इस पर बात करते हैं?

क्‍यों जरूरी होता है ड‍िक्‍लोजर?

अगर आप शेयर बाजार में न‍िवेश करते हैं, खासकर यद‍ि आप क‍िसी कंपनी में काम करते हैं तो आपको अपने निवेश के बारे में नियोक्ता को पूरी जानकारी देनी पड़ सकती है. खासकर तब जब अगर आपके निवेश से कंपनी को कोई नुकसान हो सकता है या अगर आपको कोई गोपनीय जानकारी मिली हो. कई फाइनेंशियल कंपनियां अपने कर्मचारियों से यह जानकारी लेती हैं क‍ि उन्होंने किन-किन शेयरों में निवेश किया है.

सेबी चेयरपर्सन के ल‍िए क‍ितना जरूरी?
सेबी चेयरपर्सन एक सरकारी अधिकारी हैं. ऐसे में न‍ियम यह है क‍ि उन्‍हें सरकार को अपने निवेश के बारे में जानकारी देनी चाह‍िए. बुच पहली ऐसी मह‍िला है जिन्हें सेबी चीफ की ज‍िम्‍मेदारी सौंपी गई. उन्होंने साल 2022 में तीन साल के लिए यह पद संभाला था. हालांकि बुच प्राइवेट सेक्‍टर से आती हैं न क‍ि वह स‍िव‍िल सर्वेंट हैं. इसलिए उन्हें अलग-अलग कंपनियों या उनसे जुड़ी कंपनियों के शेयर रखने या उनके बोर्ड में रहने का अधिकार है. लेकिन न‍ियम यह है क‍ि इन सभी निवेश के बारे में प्रत्‍यक्ष या परोक्ष रूप से सरकार को पता होना चाहिए ताकि भविष्य में क‍िसी भी प्रकार के संभावित हितों के टकराव से बचा जा सके.

सेबी चेयरपर्सन का कार्यवाही से अलग होने का मुद्दा?
आप इसे इस तरह कह सकते हैं यद‍ि कोई सेबी अधिकारी किसी कंपनी या व्‍यक्‍त‍ि के साथ प्रत्‍यक्ष या परोक्ष रूप से न‍िवेश करता है और सेबी उसकी जांच कर रही है. ऐसे में उस अधिकारी को यह फैक्‍ट उजागर करना चाह‍िए और खुद को उस जांच से अलग कर लेना चाहिए, ऐसा पहले भी हो चुका है. सेबी के पूर्व चेयरमैन सीबी भावे ने खुद को एक मामले से अलग कर लिया था, जब सेबी के बोर्ड ने नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड की देखरेख में कमी की बात की थी, क्योंकि भावे उस समय एनएसडीएल (NSDL) के मैनेजिंग डायरेक्टर थे.

खुद को जांच से अलग करना क‍ितना जरूरी
सेबी के पूर्व बोर्ड मेंबर ने एक न्‍यूज पेपर से बातचीत में बताया पहले भी ऐसा हुआ है, जब चेयरमैन ने खुद को मामले से अलग कर लिया था. इससे ऐसा लग सकता था कि उसमें उनके हित शामिल हैं. ध्‍यान देने वाली बात यह है क‍ि अडानी की जांच पिछले साल हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद सेबी ने की थी और उसे क्लीन चिट दे दी थी. उस समय सेबी चेयरपर्सन बुच ही थीं. इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने एक पूर्व सेबी प्रमुख के हवाले से कहा कि जब भी अडानी से जुड़ी कोई शिकायत या जांच बुच के पास आई, तो उनके व्यवहार पर सवाल उठ रहे हैं. क्या उन्होंने खुद को उस मामले से अलग किया?

सेबी के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने एक बार शेयर बाजार में हुए घोटाले की जांच की थी. उन्हें उस समय के सेबी चेयरमैन को अपनी जांच फाइलें नहीं भेजने के लिए कहा गया था, क्योंकि उन पर भी आरोप लगे थे. इसी तरह, अब अडानी मामले में हितों के टकराव के आरोप लग रहे हैं, इसलिए अध्यक्ष को शायद खुद को इस जांच से अलग कर लेना चाहिए था.

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