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सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से क्यों औंधे मुंह गिरे Vodafone Idea के शेयर? Jio-Airtel को भी लगा झटका

Vodafone Idea Share: सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें समायोजित सकल राजस्व (AGR) में कथित त्रुटियों को सुधारने का अनुरोध किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से क्यों औंधे मुंह गिरे Vodafone Idea के शेयर? Jio-Airtel को भी लगा झटका
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Sudeep Kumar|Updated: Sep 19, 2024, 04:07 PM IST

SC on VI: सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को झटका देते हुए एजीआर बकाये में सुधार को लेकर की गई याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल सहित कई कंपनियों की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) में कथित त्रुटियों को सुधारने का अनुरोध किया गया था.

टेलीकॉम कंपनियों ने दावा किया था कि एजीआर बकाये में त्रुटियां हैं. वोडा आइडिया कंपनी पर 70,300 करोड़ रुपये का बकाया है. चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने सुनवाई करते हुए उस याचिका को भी खारिज कर दिया.

30 अगस्त को सुनाया था फैसला

गलतियां सुधार के लिए की गई याचिका सुप्रीम कोर्ट में अंतिम उपाय है यानी उसके बाद इस अदालत में गुहार लगाने का कोई कानूनी रास्ता नहीं होता. इस पर आम तौर पर बंद कमरे में विचार किया जाता है, जब तक कि प्रथम दृष्टया फैसले पर पुनर्विचार के लिए मामला नहीं बन जाता. कोर्ट ने 30 अगस्त को ही यह आदेश सुनाया था जो गुरुवार को पब्लिक किया गया. 

कोर्ट ने कहा,  "सुधारात्मक याचिकाओं को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने का आवेदन खारिज किया जाता है. हमने सुधारात्मक याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों पर गौर किया है. हमारा मानना है कि रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा में इस अदालत के फैसले में बताए गए मापदंडों के भीतर कोई मामला नहीं बनता है. सुधारात्मक याचिकाएं खारिज की जाती हैं."

1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है मामला

शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ अक्टूबर को कुछ दूरसंचार कंपनियों की दलीलों गौर किया था. इनमें समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया मुद्दे पर उनकी याचिकाओं को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया गया था. न्यायालय ने इससे पहले जुलाई 2021 में एजीआर बकाया की मांग में त्रुटियों को सुधारने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था. दूरसंचार कंपनियों ने शीर्ष अदालत का रुख कर दावा किया था कि एजीआर बकाया राशि तय करने में कई त्रुटियां थीं, जो कुल एक लाख करोड़ रुपये से अधिक थी.

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