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पाई-पाई को मोहताज भारत का ये पड़ोसी देश चाय पिलाकर उतार रहा कर्ज, कर ली ‘चाय के बदले तेल’ की डील

श्रीलंका की वो तस्वीर आज भी जहन में है, जहां महंगाई से तरस रहे लोग सड़कों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. चीन के कर्ज ने श्रीलंका की ऐसी हालत कर दी थी कि वो अपनी अर्थव्यवस्था को संभाल न सका. नकदी संकट से जूझ रहा श्रीलंका आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है.

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Bavita Jha |Updated: Feb 23, 2024, 01:51 PM IST

Sri Lanka Debt: श्रीलंका की वो तस्वीर आज भी जहन में है, जहां महंगाई से तरस रहे लोग सड़कों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. चीन के कर्ज ने श्रीलंका की ऐसी हालत कर दी थी कि वो अपनी अर्थव्यवस्था को संभाल न सका. नकदी संकट से जूझ रहा श्रीलंका आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है. अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के बीच वो तमाम उपाय खोज रहा है. ईंरान के तेल का बिल चुकाने के लिए भी उसने ऐसा ही एक उपाय किया है. वो ईरान को अपनी चाय पिलाकर कर्ज चुका रहा है.  

ईरान को 20 करोड़ डॉलर की चाय 

श्रीलंका पर ईरान का 251 करोड़ डॉलर का कर्ज है. ये कर्ज तेल के बिल का है, जिसे चुकाने के लिए श्रीलंका के पास नकदी नहीं है. अब इसे चुकाने के लिए उसने नई तकरीब निकाल ली है. वो कैश के बदले ईरान को चाय भेज रहा है. श्रीलंका ने ईरान को अब तक 20 मिलियन डॉलर कीमत की बराबर चाय निर्यात की है. कर्ज के बदले चाय पाकर तेहरान ने संतुष्ठ है.  

श्रीलंका-ईरान में बार्टर एग्रीमेंट 

श्रीलंका ने ईरान के साथ बार्टर एग्रीमेंट किया.  इस बार्टर ट्रेड एग्रीमेंट के तहत अब तक वो 20 मिलियन डॉलर की चाय का निर्यात ईरान को कर चुके हैं. श्रीलंका की कैश किल्लत को देखते हुए ईरान ने भी दिसंबर 2021 में दोनों देशों के बीच चाय के बदले तेल का ये समझौता हुआ था, लेकिन श्रीलंका की इकोनॉमिक क्राइसिस के चलते ये डील अधर में अटक गया. आपको बता दें कि पहले से समय में बार्टर सिस्‍टम की मदद से ट्रेड होता है. एक सामान के बदले दूसरा सामान देकर व्यापार किया जाता था. आर्थिक संकट में उलझा श्रीलंका इन दिनों इसी पुराने बार्टर सिस्टम से अपना काम चला रहा है.  श्रीलंका की सीलोन चाय ईरान में काफी मशहूर है. श्रीलंका चाय के शीर्ष उत्पादक और निर्यातकों में से एक है. ऐसे में उसका काम बिना नकद के हो रहा है.  

श्रीलंका की चाय से फायदा ईरान को भी  

ईरान में श्रीलंका की चाय काफी मशहूर है.  बार्टर सिस्टम से जहां श्रीलंका को कर्ज चुकाने में मदद मिल रही है तो वहीं फायदा ईरान का भी है. ईरान अमेरिका के प्रतिबंधों की मार झेल रहा है. ऐसे में श्रीलंका के साथ बार्टर सिस्टम से उसकी जरूरत पूरी हो रही है. अगर श्रीलंका की बात करें तो चीन के जाल में फंसकर श्रीलंका दिवालिया हो चुका है. उसका विदेशी मुद्रा भंडार गिरता जा रहा है तो वहीं अप्रैल 2022 में 46 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज न चुकाने पर वो डिफॉल्ट हो गया.  

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