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₹50 की कमाई, चप्पल खरीदने तक के पैसे नहीं थे...आज ₹3300 करोड़ की कंपनी के मालिक, भावुक कर देगी वेलुमणि की कहानी

Thyrocare Success Story: ये कहानी है थायरोकेयर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के फाउंडर, चेयरमैन और एमडी ए वेलुमणि की. हाल ही में उनका एक पॉडकास्ट वायरल हुआ, जिसमें वो अपने संघर्ष और पत्नी के निधन को लेकर भावुक हो गए.  

 Thyrocare ceo
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Bavita Jha |Updated: Apr 21, 2024, 03:11 PM IST

Thyrocare founder A Velumani Success Story: अगर आप ईमानदारी से कोशिश करें तो सफलता जरूर मिलती है. जिसके पूरे परिवार का खर्चा कभी 50 रुपये में चलता था, जिसके पास न तो पैंट खरीदने के पैसे थे और न ही चप्पल....कोई सोच भी नहीं सकता था कि इतनी परेशानियां और गरीबी झेलने वाला कभी करोड़ों की कंपनी खड़ी कर सकता है. ये कहानी है थायरोकेयर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के फाउंडर, चेयरमैन और एमडी ए वेलुमणि की. हाल ही में उनका एक पॉडकास्ट वायरल हुआ, जिसमें वो अपने संघर्ष और पत्नी के निधन को लेकर भावुक हो गए.  

वेलुमणि का सफर 

वेलुमणि का जन्म तमिलनाडु में कोयंबटूर में गरीब परिवार में हुआ. पिता की बीमारी की वजह से पूरा बोझ मां के कंधों पर आ गया. तीन भाई बहन में वेलुमणि सबसे बड़े थे. मां ने किसी भी परिस्थिति में बच्चों की पढ़ाई को रोका नहीं. 50 रुपये में पूरे परिवार का गुजारा करना पड़ता था. वेलुमणि मां के संघर्ष को देख रहे थे. उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ कैमिस्ट की दुकान में नौकरी कर ली. जहां सैलरी के तौर पर उन्हें 150 मिलते थे. 50 रुपये अपने पास रखकर वो सारा पैसा मां को भेज लेते थे.  

14 साल नौकरी के बाद शुरू किया कारोबार 

कैमिस्ट की दुकान में नौकरी करते हुए उन्होंने पढ़ाई जारी रखी. पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद उन्हें भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में लैब असिसटेंट की पोस्ट पर नौकरी मिल गई. सुमति वेलुमणि से उनकी शादी हो गई. सुमति बैंक में काम करती थी. 14 साल नौकरी करने के बाद वेलुमणि ने नौकरी छोड़ दी. पत्नी की सरकारी नौकरी थी, इसलिए उन्होंने बिना पत्नी को बताए नौकरी छोड़ दी. कुछ सेविंग और पीएफ के पैसों से उन्होंने साल 1995 में थायरोकेयर की शुरुआत की.  उन्होंने मुंबई में अपना पहला लैब खोला.  शुरुआत में एक-दो टेस्ट ही आते थे, लेकिन उन्होंने कोशिश नहीं छोड़ी.  कई बार ऐसा होता था, जब उन्हें रातभर लैब में ही रहना पड़ता था. वहीं सो जाते थे.  कोशिश रंग लाने लगी और धीरे-धीरे उनका काम चल पड़ा.  

पत्नी का छूट गया साथ  

कंपनी को बड़ा बनाने के लिए वो शुरुआत में सैलरी तक नहीं लेते थे. जो कमाई होती, उसका सारा का सारा पैसा वो कंपनी में ही निवेश कर देते थे. पत्नी ने बिना किसी शर्त के पति का पूरा साथ दिया. वेलुमणि कहते भी है कि उनके बिजनेस सक्सेस की वजह मेरी पत्नी थी. संघर्ष में पत्नी ने पूरा साथ दिया, लेकिन साल 2016 में जिस दिन उनकी कंपनी का आईपीओ आने वाला था, उससे 50 दिन पता चला कि उनकी पत्नी को पोर्थ स्टेज का पैंक्रिएटिक कैंसर है. जिंदगी के अंतिम दिन तक उनकी पत्नी ने उनका साथ दिया. जब उन्हें सफलता मिलने लगी तो पत्नी का साथ छूट गया. आज उनकी कंपनी का मार्केट कैप 3300 करोड़ रुपये का है.  

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