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Share Market: बाजार में गिरावट, निफ्टी ने तोड़ा 17300 का स्तर, सेंसेक्स भी लुढ़का

Nifty 50: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने कैलेंडर वर्ष 2023 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि के लिए अपने पूर्वानुमान को एक बार फिर घटाते हुए कहा है कि 2026 तक विश्व अर्थव्यवस्था में चार लाख करोड़ डॉलर तक की गिरावट आ सकती है. 

शेयर मार्केट
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Zee News Desk|Updated: Oct 07, 2022, 09:29 AM IST

Sensex Today: पिछले कुछ दिनों से शेयर बाजार (Share Market) में तेजी का माहौल बना हुआ था. वहीं शुक्रवार 7 अक्टूबर 2022 को बाजार गिरावट के साथ खुला है. इस बीच निफ्टी ने 17300 का स्तर भी तोड़ दिया है तो वहीं सेंसेक्स में भी गिरावट दर्ज की गई है. सेंसेक्स 58100 के स्तर के नीचे खुला है. वहीं बीते दिन रुपया भी अपने अब तक के निचले स्तर पर पहुंच गया है. इसके अलावा IMF के जरिए वैश्विक आर्थिक वृद्धि के लिए अपने पूर्वानुमान को एक बार फिर घटाया गया है.

गिरावट के साथ खुला बाजार

कारोबारी हफ्ते के आखिरी दिन भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली है. निफ्टी ने जहां 17300 के स्तर को तोड़कर 17287.20 अंक पर ओपनिंग दी है तो वहीं सेंसेक्स ने 58100 का स्तर तोड़ते हुए 58092.56 के स्तर पर ओपनिंग दी है. सेंसेक्स 129.54 अंक और निफ्टी ने 44.60 अंक की गिरावट के साथ खुले हैं.

टॉप गेनर्स और लूजर्स

शुरुआती कारोबार में टॉप गेनर्स में Titan Company, Hero Motocorp, Apollo Hospital, Bajaj Auto और Maruti Suzuki शामिल हैं. वहीं टॉप लूजर्स में BPCL, IndusInd Bank, Tata Motors, ICICI Bank और Hindalco शामिल है. 

वैश्विक आर्थिक वृद्धि पूर्वानुमान

वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने कैलेंडर वर्ष 2023 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि के लिए अपने पूर्वानुमान को एक बार फिर घटाते हुए कहा है कि 2026 तक विश्व अर्थव्यवस्था में चार लाख करोड़ डॉलर तक की गिरावट आ सकती है. आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वैश्विक आर्थिक वृद्धि में गिरावट की आशंका जताई. उन्होंने कहा, ‘‘चीजों के बेहतर होने के पहले और खराब होने की आशंका अधिक दिख रही है.’’

रुपये में गिरावट

वहीं कच्चे तेल की कीमतों और डॉलर सूचकांक में मजबूती से अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया गुरुवार को 55 पैसे गिरकर 82.17 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया. भारतीय मुद्रा डॉलर की तुलना में पहली बार 82 प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे बंद हुई. तेल आयातकों की भारी डॉलर की मांग और ब्याज दरों में बढ़ोतरी की बढ़ती आशंकाओं का भी स्थानीय मुद्रा पर असर पड़ा.

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