Planning For Green Energy: पिछले दिनों जब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हाइड्रोजन इंजन वाली कार से संसद पहुंचे थे तो इसकी खूब चर्चा हुई थी. हाइड्रोजन फ्यूल को फ्यूचर ईंधन के रूप में देखा जा रहा है. इससे कार चलने में प्रदूषण कम होने के साथ ही खर्च भी काफी कम आता है. अब मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज दुनियाभर की कई कंपनियों के साथ मिलकर इस तरह का फ्यूल इंडिया में डेवलप करने का प्लान कर रही है. इसके लिए एक लाख करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट करने का प्लान है. इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया का प्लांट कच्छ (गुजरात) के दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी (DPA) (कांडला पोर्ट) पर लगाया जाएगा.
एक लाख करोड़ रुपये का निवेश का प्लान
रिलायंस इंडस्ट्रीज की तरफ से प्लांट लार्सन एंड टूब्रो (L&T), ग्रीनको ग्रुप और वेल्सपून न्यू एनर्जी के साथ मिलकर लगाया जाएगा. प्लांट लगाने के लिए कंपनियों ने जमीन भी हासिल कर ली है. इसमें आने वाले समय में करीब एक लाख करोड़ रुपये का निवेश किये जाने का प्लान है. यह देश के अंदर ग्रीन एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अब तक का सबसे बड़ा निवेश होगा. ईटी की रिपोर्ट में दावा किया गया कि अक्टूबर 2023 में पोर्ट अथॉरिटी से कंपनियों ने 300 एकड़ प्रति प्लॉट के 14 भूखंड के लिए दिलचस्पी दिखाई थी. एक प्लॉट पर 1 मिलियन टन सालाना (MTPA) ग्रीन अमोनिया उत्पादन करने का लक्ष्य है.
चार कंपनियों को प्लॉट का आवंटन किया गया
पिछले महीने, दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी (DPA) ने चार कंपनियों को प्लॉट का आवंटन किया है. इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज को छह प्लॉट, एलएंडटी को पांच, ग्रीनको ग्रुप को दो और वेल्सपून न्यू एनर्जी को एक प्लॉट मिला है. कुल मिलाकर 14 प्लॉट का आवंटन किया गया है. इस तरह यह कुल एरिया 4000 एकड़ से ज्यादा का है. यह प्रोजेक्ट नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन (National Green Hydrogen Mission) का हिस्सा है. इसका मकसद भारत को ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन, इस्तेमाल और एक्सपोर्ट करने के लिए ग्लोबल हब बनाना है.
एक्सपोर्ट में होगी आसानी
रिपोर्ट में बताया गया कि इस मिशन के तहत 2030 तक 5 मिलियन टन सालाना (MTPA) की ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन का लक्ष्य रखा गया है. कांडला पोर्ट के पास 70 लाख टन ग्रीन अमोनिया और 14 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन के प्रोडक्शन का लक्ष्य है. कांडला पोर्ट कच्छ की खाड़ी में है. इससे यहां से निर्यात करने में आसानी होगी और भारत को ग्रीन अमोनिया व ग्रीन हाइड्रोजन का एक्सपोर्ट हब बनने में आसानी होगी. आपको बता दें ग्रीन हाइड्रोजन का प्रोडक्शन पानी की इलेक्ट्रोलाइजिंग से किया जाता है. इसके लिए रिन्यूएबल एनर्जी यूज होती है. ऐसे में इससे किसी प्रकार का कार्बन उत्सर्जन नहीं होता.
घट जाएगा कार चलाने का खर्च
हाइड्रोजन फ्यूचर से कार चलने पर प्रदूषण कम होता है और खर्च भी पेट्रोल कार के मुकाबले कम आता है. इससे कार चलाने पर ऑक्सीजन के साथ मिलकर धुएं की बजाय पानी की फुहार निकलती है. अभी पेट्रोल या डीजल से कार चलाने का खर्च 6 से 10 रुपये तक आता है. लेकिन ग्रीन हाइड्रोजन पर यह खर्च घटकर 4 रुपये किलोमीटर तक आने की उम्मीद है.