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Indian railway: रेलवे ने 3 माह में ई-ऑक्शन से कमाए 844 करोड़, अश्विनी वैष्णव ने शुरू की थी स्कीम

Railway Minister Ashwini Vaishnaw: सबसे ज्यादा अनुबंध रेलवे स्टेशन परिसरों और रेल डिब्बों में विज्ञापन राइट से संबंधित हैं. इसमें आवंटित 374 कॉन्ट्रैक्ट्स से रेलवे को 155 करोड़ रुपये मिलेंगे. इसी तरह पार्किंग प्लेस के 374 अनुबंधों से 226 करोड़ रुपये हासिल होंगे.

Indian railway: रेलवे ने 3 माह में ई-ऑक्शन से कमाए 844 करोड़, अश्विनी वैष्णव ने शुरू की थी स्कीम
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Updated: Sep 05, 2022, 11:04 PM IST

Railway e-auction of assets: रेलवे ने पिछले तीन माह में अपनी परिसंपत्तियों (Assets) की ई-नीलामी से करीब 844 करोड़ रुपये कमाए हैं. पार्किंग स्थल, रेल परिसर में विज्ञापन लगाने, पार्सल की जगह को पट्टे पर देने और टॉयलेट्स के कॉन्ट्रैक्ट से यह रकम जुटाई गई है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले जून में इन कमर्शियल एक्टिविटीज को ई-ऑक्शन के जरिये अंजाम देने की शुरुआत की थी. इससे न सिर्फ ठेका आवंटन की प्रक्रिया में तेजी आएगी बल्कि छोटे उद्यमियों के लिए काम हासिल कर पाना भी आसान होगा.

रेलवे ने दिए 1200 ठेके

रेलवे ने कहा कि ई-नीलामी पोर्टल शुरू हो जाने से उसकी इनकम बढ़ी है और रेल परिसंपत्तियों का वास्तविक मूल्य पाने में मदद मिली है. रेलवे ने कहा, ‘वाणिज्यिक परिसंपत्तियों के लिए ई-नीलामी पोर्टल शुरू होने के बाद अब तक 8,500 परिसंपत्तियों के लिए करीब 1,200 ठेके दिए जा चुके हैं. आवंटित कॉन्ट्रैक्ट्स का कुल मूल्य 844 करोड़ रुपये है.’

सबसे ज्यादा अनुबंध रेलवे स्टेशन परिसरों और रेल डिब्बों में विज्ञापन राइट से संबंधित हैं. इसमें आवंटित 374 कॉन्ट्रैक्ट्स से रेलवे को 155 करोड़ रुपये मिलेंगे. इसी तरह पार्किंग प्लेस के 374 अनुबंधों से 226 करोड़ रुपये, पार्सल जगह के पट्टे वाले 235 अनुबंधों से 385 करोड़ रुपये और भुगतान वाले टॉयलेट्स के लिए आवंटित 215 अनुबंधों से 78 करोड़ रुपये मिलेंगे. रेलवे के तमाम सेगमेंट में बेंगलुरु डिवीजन ने एक पार्सल जगह की ई-नीलामी से सर्वाधिक 34.52 करोड़ रुपये जुटाए हैं. 

दिल्ली डिवीजन में भी ई-ऑक्शन

दिल्ली डिवीजन ने अपनी परिसंपत्तियों को पट्टे पर देने के लिए अब पूरी तरह ई-नीलामी का तरीका अपना लिया है. पट्टे के लिए उपलब्ध एसएलआर डिब्बों की 274 संपत्तियों में से 12 के लिए ई-नीलामी के कॉन्ट्रैक्ट हासिल हुए हैं. साथ ही ठेके देने के ऑनलाइन प्रोसेस भी इस सेक्टर में काम करने वाले कार्टेल की कमर तोड़ने का एक तरीका है क्योंकि बोली लगाने वालों की पहचान एक दूसरे के साथ-साथ भारतीय रेलवे से भी छिपी रहती है. 

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