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Income tax slabs: पी. चिदंबरम ने ट्विटर पर वित्‍त सचिव की लगा दी क्‍लास, समझा दिया सेविंग का फंडा

Income tax slab: जब से बजट आया है तब से ही नए और पुराने टैक्‍स सिस्‍टम के फायदे और नुकसान बताए जा रहे हैं, लेकिन फिर भी कई लोगों को इसके बारे में पूरी समझ नहीं है. ऐसे में अब पूर्व वित्‍त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी वित्‍त सचिव को पुरानी टैक्‍स सिस्‍टम के फायदे बताना शुरू कर दिए.       

फाइल फोटो
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ritesh |Updated: Feb 05, 2023, 04:15 PM IST

P Chidambaram: देश के पूर्व वित्त मंत्री पी. चिंदबरम ने रविवार, 5 फरवरी को वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन को अर्थशास्‍त्र पड़ा दिया. जी हां, सही सुना आपने दरअसल, वित्‍त सचिव सोमनाथन ने एक इंटरव्‍यू में कहा था कि होम लोन कोई सेविंग नहीं है. इस मामले पर चिदंबरम ने उन्‍हें बहुत ही आसान उदाहरण से समझाया कि क्‍यों होम लोन को एक सेविंग माना जा सकता है. अगर आपको जरा भी इकॉनामी के बारे में पता नहीं है फिर भी आप इस उदाहरण से समझ पाएंगे कि पी. चिंदबरम क्‍या कहना चाहते हैं, तो चलिए जानते हैं पूर्व वित्‍त मंत्री ने क्‍या जवाब दिया. 

टी.वी. सोमनाथन ने कही ये बात 

वित्‍त सचिव टी.वी. सोमनाथन ने अंग्रेजी अखबार को एक इंटरव्यू दिया था. जिसमें उनका कहना था कि होम लोन एक खर्च है. ये कोई सेविंग नहीं है. इस बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि पुराने टैक्स सिस्टम में के बारे आधी छूट ‘सेविंग स्कीम्स’ के लिए है और आधी छूट ‘नॉन-सेविंग योजनाओं’ के लिए है. जैसे होम लोन और उस पर लगने वाला ब्याज. ऐसे में उन्‍होंने सवाल उठाया था कि क्‍या सच में होम लोन एक सेविंग टूल है?

ट्विटर पर लगा दी क्‍लास 

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए कहा कि वित्त सचिव पूछ रहे हैं कि क्या होन लोन सेविंग है? आपको बता दें कि वित्‍त सचिव का मानना था कि ये कोई बचत नहीं है. इस पर चिदंबरम कहते हैं कि पता नहीं इस सवाल पर कितने लोग वित्त सचिव से सहमत होंगे? फिर वे समझाते हुए कहते हैं कि होम लोन पर जो ब्याज का भुगतान करते हैं. वैसे तो ये एक खर्च है, लेकिन ये एक ऐसा खर्च है. जो आगे चलकर संपत्ति बन जाता है. इस वजह से इसे बचत माना जाना चाहिए. 

चिदंबरम ने वित्‍त सचिव को ऐसे समझाया

चिदंबरम ने एक उदाहरण दिया कि अगर होम लोन की इंस्टालमेंट और ब्याज पर आप जो खर्च करते हैं. उस पैसे को आप छुट्टियों या रेसकोर्स में खर्च कर दें, तो इससे आपके पास कोई असेट नहीं बनता है. वे कहते हैं कि वित्त सचिव को अपने इस सिद्धांत पर फिर से विचार करना चाहिए.

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